ये दो चेहरे बताते हैं कि 'नेता' और 'अफसर' शब्द पॉजिटिव फीलिंग भी देते हैं

महमारी के बीच उजियारा : ये दो चेहरे बताते हैं कि 'नेता' और 'अफसर' शब्द पॉजिटिव फीलिंग भी देते हैं

ये दो चेहरे बताते हैं कि 'नेता' और 'अफसर' शब्द पॉजिटिव फीलिंग भी देते हैं

Tricity Today | धीरेन्द्र सिंह और डॉ. अरुण वीर सिंह

'नेता' और 'अफसर', ये दो ऐसे शब्द हैं, जिन्हें सुनकर लोगों नेगेटिव फीलिंग आने लगी है। तमाम किताबों, विद्वानों के लेखों-भाषणों में लिखा मिल जाएगा, "नेतागिरी और अफसरशाही देश को घुन की तरह चाट रही है।" लेकिन गौतमबुद्ध नगर के एक नेता और एक अफसर की जुगलबंदी इस महामारी के बीच उजियारा बिखेर रही है। हम भी कोरोना संक्रमण के बीच नकारात्मक खबरें लिखकर थक चुके हैं। इस बोझिल वक्त में इन दोनों का काम हौसला देने वाला है। 

चलिए पूरी कहानी विस्तार से बताते हैं। महामारी ने बाकी देश की तरह गौतमबुद्ध नगर को भी झकझोर कर रख दिया है। जिले में जहां एक और नोएडा और ग्रेटर नोएडा जैसे हाईटेक शहर हैं तो दूसरी ओर अभी भी बेहद पिछड़ा इलाका जेवर का ग्रामीण क्षेत्र है। महामारी ने ग्रामीण इलाकों पर दोहरी मार मारी है। कोरोनावायरस का संक्रमण तेजी से पांव पसारता चला गया। दूसरी ओर नॉन कोविड-19 बीमारियों से ग्रसित लोगों को कोई मदद नहीं मिल पा रही है। ऐसे दौर में जेवर से विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह ने यहां के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को नोएडा और ग्रेटर नोएडा के हाईटेक अस्पतालों की बराबर सुविधाओं वाला बनाने का बीड़ा उठा लिया।

नेता ने कुछ इस तरह कठिन योजना पर काम शुरू किया
धीरेंद्र सिंह कहते हैं, "हमारे यहां जेवर कस्बे में बरसों से बना पड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है, लेकिन इसमें सुविधाएं नहीं की बराबर हैं। डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ भी बहुत कम है। इस अस्पताल में कोरोनावायरस संक्रमितों का इलाज करवाया जाए, यह योजना बेहद कठिन थी। लेकिन मैंने बीड़ा उठा लिया। सबसे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात की। उन्हें मैंने अपना प्रस्ताव बताया। मुख्यमंत्री जी ने तत्काल सहमति दे दी। इससे मेरा मनोबल और बढ़ गया। मैंने तुरंत जिला अधिकारी को पत्र लिखा और अपनी विधायक निधि से 50 लाख रुपए अस्पताल का कायाकल्प करने के लिए आवंटित कर दिए। शुरुआत में यहां 10 वेंटीलेटर के साथ आईसीयू वार्ड शुरू करने की योजना बनाई। मुझे पता था कि यह धनराशि कम पड़ेगी, लेकिन आधारभूत ढांचा हमारे पास उपलब्ध है। केवल उपकरणों की जरूरत है। मुझे यह भी अनुमान था कि जब काम आगे बढ़ेगा तो मदद करने वाले हाथ भी आ जाएंगे।"

धीरेन्द्र सिंह ने आगे कहा, "ऐसे में यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉक्टर अरुणवीर सिंह से बात की। उन्होंने भी सहज भरपूर मदद करने का भरोसा दे दिया। डॉक्टर अरुणवीर सिंह ने अपने संसाधनों का उपयोग करके पिछले दो-तीन दिनों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की सूरत बदलवा दी है। मेरी विधायक निधि से जारी फंड से उपकरणों की खरीद की जा रही है। इस काम में मुख्य चिकित्सा अधिकारी लगे हुए हैं। अभी स्वास्थ्य केंद्र में एक्सरे मशीन, वेंटिलेटर, ऑक्सीमीटर, लिक्विड ऑक्सीजन और कोरोना संक्रमण का उपचार करने के लिए जरूरी तमाम सुविधाएं बहुत जल्दी उपलब्ध हो जाएंगी। यह अस्पताल शुरू होने से दोहरा लाभ मिलेगा। एक और ग्रामीण इलाके में लंबे अरसे के लिए अच्छी स्वास्थ्य सुविधा विकसित हो जाएगी। दूसरी ओर इस महामारी के दौर में नोएडा और ग्रेटर नोएडा के अस्पतालों पर पढ़ रहा है। वह कम हो जाएगा। अस्पताल शुरू होने के बाद जेवर क्षेत्र के मरीजों को रेफर करके शहर नहीं भेजना पड़ेगा।

अफसर ने स्विट्जरलैंड से मंगवा ली मदद
नेता ने अपना काम पूरा किया तो आगे अफसर ने भी अपनी भूमिका मुकम्मल तौर पर निभाई। यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ.अरुण सिंह ने इस आपात स्थिति में जरूरी उपकरण और मदद कहां से मिल सकती है, यह रास्ता तैयार किया। जेवर में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का निर्माण स्विट्जरलैंड की कंपनी जूरिख इंटरनेशनल एयरपोर्ट कर रही है। अरुणवीर सिंह ने ज़्यूरिख़ एयरपोर्ट से बात की। वहां से सीधे यमुना प्राधिकरण को मदद भेज दी गई। रविवार को 100 ऑक्सीजन कन्संट्रेटर मिल गए हैं। इनमें से 50 कन्संट्रेटर जेवर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लगेंगे। बाकी जिले के दो और कोविड-19 अस्पतालों को 25-25 ऑक्सीमीटर दिए गए हैं। 

डॉ.अरुणवीर सिंह ने कहा, "हमारे प्राधिकरण का दायरा ग्रामीण इलाके में ज्यादा है। ऐसे में विधायक जी की योजना और हमारा कार्य क्षेत्र मेल खाते हैं। उन्होंने प्रस्ताव दिया तो हम लोगों ने उस पर तेजी से काम शुरू कर दिया। स्विट्जरलैंड से मदद आ चुकी है। चीनी मोबाइल कंपनी वीवो और फॉर्चून 500 में शामिल कंपनियां जल्दी ही और मदद देंगी। इस अस्पताल के लिए वेंटिलेटर और अत्याधुनिक बेड मंगवाए जा रहे हैं। कोशिश है कि जेवर का यह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नोएडा और ग्रेटर नोएडा के बड़े अस्पतालों से किसी भी तरह कमतर न रहे।" अरुणवीर सिंह आगे कहते हैं, "धीरेंद्र सिंह ने एक कठिन योजना पर काम शुरू किया। ऐसे वक्त में और बेहद कम समय में इस स्तर का अस्पताल बनाना कोई आसान बात नहीं है, लेकिन उनकी इच्छाशक्ति देखकर हम लोगों का भी मनोबल बढ़ा और मदद मिलती चली गई। निसंदेह इस अस्पताल से जेवर इलाके के सैकड़ों गांवों में लाखों लोगों को बड़ा फायदा मिलने वाला है।

विशेषज्ञ कर रहे हैं इस प्रोजेक्ट की सराहना
इन दोनों लोगों के इस प्रयास की सराहना शहर के तमाम लोग कर रहे हैं। केरल कैडर से सेवानिवृत्त आईएएस पूर्व गृह सचिव निवेदिता हरण ने कहा, "इस अस्पताल का उच्चीकरण टिकाऊ विकास का एक शानदार उदाहरण है। अक्सर देखने में आता है कि जनप्रतिनिधि और अफसर शहरी इलाकों में मौजूद सुविधाओं को ही मजबूत करने में जुटे रहते हैं। इसका अपेक्षित लाभ सोसायटी को नहीं मिल पाता है। जब तक सेवाओं का विकेंद्रीकरण नहीं होगा और खासतौर से ग्रामीण अंचल में स्वास्थ्य सेवाएं विकसित नहीं होंगी, तब तक शहरी ढांचा भी दबाव में रहेगा। जेवर में धीरेंद्र सिंह की पहल पर एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आईसीयू बेड और वेंटिलेटर जैसी सुविधाओं से लैस हो जाएगा, यह अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। यह प्रोजेक्ट बाकी इलाकों के लिए एक नजीर है। इस प्रोजेक्ट का लोगों को अध्ययन करना चाहिए।"

ग्रामीण विकास और प्रबंधन पर ख़ास पकड़ रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार एसके सिंह का कहना है, "यह महामारी कुछ दे या ना दे, हम लोगों को एक सीख जरूर दे रही है। संसाधनों का केवल शहरी इलाकों में केंद्रीकरण नहीं होना चाहिए। उद्योग, स्वास्थ्य, शिक्षा, चिकित्सा और आधारभूत ढांचा केवल शहरी इलाकों तक सिमटकर रह गया है। जिसका परिणाम हम लोगों ने भुगता है। पिछले साल करोड़ों लोगों को शहरों से गांव की ओर पलायन करना पड़ा। आज शहरों में कामगारों की भारी किल्लत है। दूसरी ओर गांवों में बेरोजगारी बढ़ रही है। अगर इस तरह के प्रयास लगातार होते रहें तो शहर और गांव में क्या फर्क रह जाएगा। गांवों से शहरों की ओर भागने की प्रवृत्ति कम होगी। जिसका फायदा न केवल गांव को मिलेगा, बल्कि शहरों को भी मिलेगा। विधायक धीरेंद्र सिंह की पहल और उनके सहयोगी यमुना प्राधिकरण के सीईओ अरुणवीर सिंह के काम से उत्तर प्रदेश के बाकी नेता-अफसरों को सीख लेनी चाहिए।

 

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