- मंगलवार को ग्रेटर नोएडा में यमुना अथॉरिटी की बोर्ड बैठक चेयरमैन अरविंद कुमार की अध्यक्षता में हुई
- भारत सरकार उत्तर प्रदेश सरकार की नई नीति के तहत प्राधिकरण बोर्ड ने यह फैसला लिया है
- गौतम बुध नगर बुलंदशहर अलीगढ़ हाथरस मथुरा और आगरा जिलों के 1,189 कामों में होगा सर्वे
- इस सर्वे में गांव की आबादी को शामिल किया जाएगा और मालिकाना हक के दस्तावेज बनाए जाएंगे
- इन दस्तावेजों के आधार पर ग्रामीण बैंकों से लोन ले सकेंगे और प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री करने का हक मिलेगा
Yamuna Authority Board Meeting : मंगलवार को ग्रेटर नोएडा में यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (Yamuna Authority) की 71वीं बोर्ड बैठक संपन्न हुई। इस बैठक में यमुना प्राधिकरण ने अपने इलाके के 1,189 गांवों के लिए बड़ा फैसला लिया है। अथॉरिटी 6 जिलों के इन गांवों में ड्रोन के जरिए सर्वे करवाएगी। यह सर्वे गांवों की आबादी का होगा। इसके बाद गांवों में घरों, अहातों और दूसरी प्रॉपर्टी के दस्तावेज बनाकर निवासियों को दिए जाएंगे। इन दस्तावेजों के आधार पर गांव वाले कृषि भूमि और शहरी संपत्ति की तरह लाभ उठा सकेंगे।
यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी के दायरे में छह जिलों गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, हाथरस, मथुरा और आगरा के 1,189 गांव शामिल हैं। ये सारे गांव गौतमबुद्ध नगर की जेवर और सदर तहसील, बुलंदशहर जिले की खुर्जा और सिकंदराबाद तहसील, अलीगढ़ की खैर तहसील, हाथरस की सादाबाद, हाथरस और सासनी तहसील, मथुरा जिले की सदर, मांट और महावन तहसील और आगरा जिले की एत्मादपुर व सदर तहसील में पड़ते हैं। आपको बता दें कि भारत सरकार गांवों की आबादी को रजिस्ट्रीकृत कर रही है। इसी सिलसिले में उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी जिलों को गांवों का सर्वे करके आबादी की संपत्तियों, इमारतों और जमीनों के दस्तावेज तैयार करने का आदेश दिया है।
यमुना अथॉरिटी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ.अरुणवीर सिंह ने बताया कि मंगलवार को बोर्ड बैठक हुई। इस बैठक में राज्य सरकार के आदेशों पर अमल करते हुए सभी 6 जिलों में 1,189 गांवों की आबादी का ड्रोन से सर्वे करवाने का फैसला लिया गया है। इस सर्वे रिपोर्ट के आधार पर जिला अधिकारी संपत्तियों के दस्तावेज ग्रामीणों को उपलब्ध करवाएंगे। यह दस्तावेज मिलने के बाद लोगों को बड़ा फायदा होगा। सबसे बड़ी बात यह है कि गांव वालों को अपने घरों और गांव की हद में मौजूद दूसरी संपत्तियों पर दस्तावेजी मालिकाना हक मिल जाएगा।
ग्रामीणों को यह 4 बड़े फायदे होंगे
अभी गांव की आबादी का कोई स्वामित्व नहीं रहता है। जिससे आबादी की भूमि पर विवाद रहते हैं। कानून-व्यवस्था लागू करने में प्रशासन और पुलिस को परेशानी होती है। इससे विवाद खत्म हो जाएंगे और गांवों में सामाजिक एकता बढ़ेगी।
आबादी की संपत्तियों का स्वामित्व निर्धारण होने के बाद किसी भी सरकारी या गैर सरकारी संस्था से इस प्रॉपर्टी का मूल्यांकन करवाया जा सकता है। जरूरत पड़ने पर मालिक अपनी संपत्ति पर बैंकों से ऋण ले सकते हैं।
आबादी की जमीनों के दस्तावेज बन जाने से गांव वालों को न्यायिक प्रक्रिया में फायदा मिलेगा। मसलन, इस संपत्ति के दस्तावेज के आधार पर अदालत से जमानत ली जा सकेंगी।
राज्य सरकार और जिला प्रशासन को भविष्य में सभी योजनाएं लागू करने में आसानी होगी।