यमुना अथॉरिटी का मैनेजर सस्पेंड, यह हैं गंभीर आरोप

BIG BREAKING : यमुना अथॉरिटी का मैनेजर सस्पेंड, यह हैं गंभीर आरोप

यमुना अथॉरिटी का मैनेजर सस्पेंड, यह हैं गंभीर आरोप

Tricity Today | यमुना अथॉरिटी

Lucknow/Greater Noida : उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास विभाग से बड़ी खबर सामने आ रही है। शासन के आदेश का पालन नहीं करने पर यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (Yamuna Authority) के एक मैनेजर को सस्पेंड कर दिया गया है। मैनेजर को 8 महीने पहले गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण से यमुना अथॉरिटी स्थानांतरित किया गया था। मैनेजर बृजेश कुमार अग्रहरि का तबादला 30 जून 2022 को यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी में किया गया था। उन्हें कई बार ग्रेटर नोएडा जाकर यमुना प्राधिकरण में नया पद ग्रहण करने का आदेश दिया गया, लेकिन उनकी ओर से आदेशों पर अमल नहीं किया गया। इस पर औद्योगिक विकास विभाग ने बृजेश कुमार अग्रहरि को कई बार चेतावनी जारी कीं। इसके बावजूद उनके व्यवहार में कोई सुधार नहीं हुआ। अब बृजेश कुमार अग्रहरि को सस्पेंड कर दिया गया है। 

निलंबित मैनेजर को यमुना अथॉरिटी से अटैच किया गया
अपर मुख्य सचिव औद्योगिक विकास अरविंद कुमार की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि निलंबित मैनेजर अग्रहरि को यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण से अटैच किया गया है। उनसे प्रमाण पत्र मांगा गया है कि वह कहीं अन्यत्र व्यापार, नौकरी या कोई काम तो नहीं कर रहे हैं। अपर मुख्य सचिव ने बताया कि बृजेश अग्रहरि को निलंबन अवधि के दौरान जीवन यापन भत्ता दिया जाएगा। यह भत्ता उन्हें यमुना अथॉरिटी से ही प्राप्त करना होगा। उनके खिलाफ शासन के आदेशों की अवहेलना करने, बिना जानकारी अनुपस्थित रहने और अनुशासनहीनता के आरोप में विभागीय जांच का आदेश दिया गया है। 

औद्योगिक विकास विभाग में ट्रांसफर ऑर्डर ना मानना आम बात
आपको बता दें कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण, गोरखपुर विकास प्राधिकरण और राज्य के दूसरे औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में ऐसे तमाम अफसर और कर्मचारी हैं, जिनके स्थानांतरण कई-कई महीनों पहले हो चुके हैं लेकिन उन्होंने आज तक नई तैनाती कार्यालय में कार्यभार ग्रहण नहीं किया है। कई अफसर तो दो-दो या तीन-तीन साल से ट्रांसफर होने के बावजूद कुंडली मारकर बैठे हुए हैं।

डेपुटेशन खत्म होने के बावजूद वापस नहीं लौटते कर्मचारी
कर्मचारियों और अफसरों की मनमानी का यह सिलसिला यहीं नहीं थमता है। औद्योगिक विकास प्राधिकरण में प्रतिनियुक्ति के आधार पर तैनात कर्मचारी व अधिकारी समय सीमा समाप्त होने के बाद भी वापस नहीं लौटते हैं। नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना अथॉरिटी में ऐसे कर्मचारियों की संख्या दर्जनों में है। कई कर्मचारी तो ऐसे भी हैं, जिनकी प्रतिनियुक्ति का वक्त खत्म हुए पांच 5 साल बीत चुके हैं। यह कर्मचारी आवास विकास, सिंचाई विभाग, लोक निर्माण विभाग और राज्य निर्माण निगम से गौतमबुद्ध नगर के विकास प्राधिकरणों में प्रतिनियुक्ति पर आए। सामान्य नियमों के तहत शुरुआत में 3 साल की प्रतिनियुक्ति मिलती है। इसे विशेष परिस्थितियों में बढ़ाकर 5 साल तक किया जा सकता है। इसके बाद हर हाल में कर्मचारी को अपने मौलिक विभाग में वापस लौटना पड़ता है, लेकिन सरकार के इन नियमों पर विकास प्राधिकरण अमल नहीं करते हैं।

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