यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने गाजियाबाद के मुरादनगर में हुए श्मशान घाट हादसे से सबक लिया है। विकास प्राधिकरण ने अपने निर्माण कार्यों की गुणवत्ता जांचने की पूरी प्रक्रिया में बड़ा फेरबदल कर दिया है। प्राधिकरण ने अपने दायरे में चल रहे विकास कार्यों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। प्राधिकरण अब स्वतंत्र जांच एजेंसियों से प्रत्येक योजना के निर्माण कार्यों की अलग से तीन बार जांच करवाएगा। दो बार जांच प्रोजेक्ट के बीच में होगी और तीसरी जांच अंतिम भुगतान करने से पहले की जाएगी। अगर निर्माण कार्य में गुणवत्ता खराब पाई जाती है तो ठेकेदार को काली सूची में डाल दिया जाएगा। उसका पैसा जब कर लिया जाएगा। इतना ही नहीं सामान तो रूप से विकास प्राधिकरण इंजीनियर खुद भी निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर निगरानी रखेंगे।
रविवार की सुबह गाजियाबाद के मुरादनगर कस्बे में श्मशान घाट की छत गिर जाने के कारण बड़ा हादसा हुआ है। वहां 23 लोगों की मौत हो गई है और करीब 35 लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। यह छत अक्टूबर महीने में ही बनवाई गई थी। जिसमें खराब गुणवत्ता का निर्माण करने के आरोप लग रहे हैं। भ्रष्टाचार और खराब निर्माण करवाने के लिए नगर पालिका की अधिशासी अधिकारी, इंजीनियर, ठेकेदार और सुपरवाइजर को गिरफ्तार कर लिया गया है। इस हादसे से यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने बड़ा सबक लिया है। मंगलवार को प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अरुणवीर सिंह ने सभी विभागों की बैठक बुलाई। निर्माण कार्यों की गुणवत्ता जांचने की पूरी प्रक्रिया समझी। इसके बाद उन्होंने इस प्रक्रिया को बदल दिया है।
अरुणवीर सिंह ने बताया कि निर्माण कार्यों में गुणवत्ता बनाए रखने के लिए अभी प्राधिकरण की अपनी एजेंसी जांच करती है, लेकिन निर्माण के ऑडिट को व्यापक रूप दिया जाएगा। कुछ स्वतंत्र जांच एजेंसी को निर्माण की जांच के लिए बुलाया जाएगा। ये एजेंसी प्रत्येक परियोजना की तीन बार जांच करेंगी। दो बार प्रोजेक्ट के बीच में और एक बार अंत में जांच होगी। तीनों जांच रिपोर्ट सही पाए जाने पर ठेकेदार को उसका भुगतान दिया जाएगा। अगर एक बार भी जांच रिपोर्ट खराब पाई गई तो ठेकेदार से परियोजना छीन ली जाएगी। उसे आगे का भुगतान भी नहीं किया जाएगा। सीईओ का कहना है कि इससे निर्माण कार्यों में गुणवत्ता बढ़ेगी।