यमुना सिटी : यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण का एक अजीबो-गरीब वाक्य सामने आया है। जहा प्राधिकरण ने ना पूरी तरह से आवंटियों को देने के लिए किसानों से जमीन पे कब्ज़ा प्रपात किया, न ही आवंटियों को भूखंडों का कब्जा प्रदान किया है, पर आवंटियों से ब्याज सहित पैसों के भुगतान के लिए कह दिया।
मिली जानकारी के अनुसार प्राधिकरण ने जुलाई 2013 में दो और अक्टूबर में एक औद्योगिक भूखंड आवंटन योजनाएं शुरू कीं। दोनों योजनाओं का ड्रा अक्टूबर 2013 और जनवरी 2014 में होना था पर यह ड्रा दो साल की देरी के बाद अगस्त 2015 में आयोजित किया गया। साथ ही औद्योगिक आवंटन की दर में भी वृद्धि की गयी। पहले औद्योगिक आवंटन के लिए 5500 की दर से मूल आवेदन पत्र आमंत्रित किये गये थे। जिसे बाद में 600/- प्रति वर्ग मीटर तक बढ़ा दिया गया।
यमुना एक्सप्रेसवे उद्यमी संगठन के सचिव, राकेश निगम ने बतया की "इस पूरी प्रक्रिया में प्राधिकरण ने खुद के नियमों को ही ताक पे रख दिया है।प्राधिकरण के पास राज्य सरकार से मास्टर प्लान की मंजूरी भी नहीं थी और योजना को शुरू कर दिया गया। उपलब्ध भूखंडों से कम आवेदन प्राप्त हुए जिससे 100% आवेदकों को आवंटन दे दिया गया। और बाद में ड्रा सिर्फ इस लिए कराया गया की मौजूदा आवंटियों में से किसे कौनसा प्लाट मिलेगा। अलॉटमेंट की 20 परसेंट राशि नवंबर 2014 में ही ले ली गयी जबकि ड्रा अगले वर्ष अगस्त 2015 में निकला गया।"
अब सात वर्ष बीत जाने के बाद भी अभी तक सभी आवंटियों को पूरी तरह से भूमि पे कब्ज़ा नहीं मिल पाया है। जिन्ह सेक्टर 33 इस्थित प्लॉटों पे कब्ज़ा मिला है वो एक जगह ना होकर बिखरे हुए है, साथ ही क्षेत्र का विकास होना भी बाकि है। हालाँकि दो में दंडात्मक ब्याज की छूट दी गई है वो भी इसलिए क्योकि प्राधिकरण अपने आप में विफल रहा है।"
मामले को लेकर उद्यमी संगठन ने नवंबर 2019 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में प्रधिकरण के खिलाफ, शून्य अवधि की घोषणा और एनएलआई (गैर मुकदमेबाजी प्रोत्साहन) की छूट की मांग करते हुए एक रिट याचिका दायर की थी। जिसके जवाब में प्राधिकरण ने अपनी 70वीं बोर्ड बैठक में सशर्त दो वर्ष (1अप्रैल 2018 से 31मार्च 2020) के लिए शून्य अवधि देने पे राज़ी हो गया, की उद्यमी संगठन न्यायालय में प्रधिकरण के खिलाफ दायर याचिका वापिस लेगा। जबकि उद्यमी संगठन ने अलॉटमेंट की तिथि से शून्य अवधि की मांग की।
उद्यमी संगठन के अनुसार 30 सितंबर 2021 को प्राधिकरण ने ओटीएसएस योजना लाकर उन्हें दुविधा में डाल दिया है। क्योकि प्राधिकरण अपने पहले दिए गए आदेश में ही ब्याज माफ़ कर चूका है। ऐसे में आवंटी यह समज पाने में असमर्थ है यह योजना उन्हें कैसे लाभ पहुंचाए गई।