Yamuna City News : जेवर एयरपोर्ट के पास बसने वाले गांवों पर यमुना प्राधिकरण खास ध्यान दे रहा है। यमुना प्राधिकरण अपने अधीन आने वाले गांवों को स्मार्ट विलेज बनाने की तैयारियों में लगा हुआ है। अब प्राधिकरण द्वारा 29 और गांवों को स्मार्ट विलेज बनाने का फैसला किया है। प्राधिकरण द्वारा इन 29 गांवों की जमीन अधिकृत की गई है। इस साल के अंत तक इन गांवों को 157 करोड़ रुपए खर्च कर विकसित किया जाएगा। साथ ही यह भी ध्यान में रखा जाएगा कि लोगों को सभी तरह की सुविधाएं गांवों के अंदर ही उपलब्ध कराई जा सके। 7 गांव को स्मार्ट विलेज बनाने का काम पिछले साल से ही चल रहा है। जबकि 8 गांव की डीपीआर बन गई है। इसकी टेंडर प्रक्रिया जल्द शुरू होगी। ताकि काम शुरू कराया जा सके।
इन गांवों की डीपीआर बनकर हुई तैयार
यमुना प्राधिकरण के अधीन 96 गांव आते हैं। इनकी संख्या बहुत जल्द बढ़ जाएगी। इनमें से गौतमबुद्ध नगर जिले के 29 गांवों की जमीन ली गई है। यमुना प्राधिकरण पहले जमीन लेने वाले गांव की ही सूरत बदलने की तैयारी में जुट गया है। यमुना प्राधिकरण ने इस वित्तीय वर्ष में इन गांव की सूरत बदलने के लिए 157 करोड़ रुपए खर्च करेगा। फंड का प्रावधान बजट में कर दिया गया है। यमुना प्राधिकरण इस वर्ष 29 गांवों को स्मार्ट विलेज बनाएगा। पिछले साल 7 गांव को स्मार्ट बनाने का काम शुरू कर दिया गया था। इन गांवों में रामपुर बांगर, अच्छेजा बुजुर्ग, मिर्जापुर, निलोनी शाहपुर, सलारपुर, रुस्तमपुर और डूंगरपुर रीलखा शामिल है। यमुना प्राधिकरण में 8 गांव की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करवा ली है। अब इन गांव की टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी। जिन गांव की डीपीआर तैयार हुई है, उनमें औरंगपुर, गुनपुरा, अट्टा गुजरान, दनकौर, मूजखेड़ा, खेरली भाव, चपररगढ़ और रौनीजा शामिल है। टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद यहां काम शुरू हो जाएगा।
प्राधिकरण इस तरह बनाएगा गांवों को स्मार्ट विलेज
यमुना प्राधिकरण सात और गांवों का चयन करके उनकी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाएगा। गांव की चयन प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अधिकारियों की उम्मीद है कि गांव का चयन करने के बाद विशेषज्ञ कंपनी से इन गांव में विकास कार्य कराने के लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनवाई जाएगी। डीपीआर बन जाने के बाद इन गांव की टेंडर निकाले जाएंगे ताकि यहां भी काम शुरू हो सके। स्मार्ट विलेज में प्राधिकरण सीवर, सड़क, नाली, पानी आदि का इंतजाम करता है। सामुदायिक केंद्र का निर्माण किया जाता है। इसके अलावा जो जरूरी सुविधाएं हैं उन्हें भी दुरुस्त किया जाता है। एक गांव में 8 से 10 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। गांव वालों से भी चर्चा की जाती है ताकि कोई समस्या रह ना जाए।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण भी बना रहा अपने गांवों को स्मार्ट विलेज
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण भी अपने अधीन गांव को स्मार्ट विलेज में तब्दील कर रहा है। पहले चरण में 14 गांव को स्मार्ट विलेज बनाने की तैयारी की गई है। मायचा गांव से इस काम की शुरुआत हुई है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि यह काम तेजी के साथ किया जाएगा। इसमें फंड की किसी तरह की दिक्कत नहीं आएगी। स्मार्ट विलेज बनने से ग्रामीणों को तमाम सुविधाएं मिलेंगी।