Google Image | विज्ञान भवन में संगठनों और सरकार के बीच आठवें दौर की बातचीत जारी
केंद्र सरकार के तीन नए कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों और सरकार के बीच आठवें दौर की बातचीत शुरू हो गई है। उम्मीद जताई जा रही है कि आज की बातचीत से एक महीने से जारी गतिरोध को खत्म हो जाएगा। अभी तक किसान संगठनों और सरकार के बीच सात दौर की बातचीत हो चुकी है। पर इसमें कोई हल नहीं निकला सका। इस बीच कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे किसानों ने गुरुवार को ट्रैक्टर रैली भी निकाली थी। केंद्र सरकार का कहना है कि वह कानूनों को रद्द करने के सिवा अन्य प्रस्ताव पर विचार करने को तैयार है। दोनों पक्षों के बीच दो बजे से विज्ञान भवन में आठवें दौर की बातचीत शुरू हो गई है।
इससे पहले चार जनवरी को भी किसान संगठनों और सरकार के बीच बैठक हुई थी। पर यह बेनतीजा रही थी। हालांकि 30 दिसम्बर को छठे दौर की बैठक में कुछ मसलों पर सहमति बनी थी। इस बैठक में सरकार किसानों की बिजली सब्सिडी और पराली जलाने संबंधी मांगों पर राजी हो गई थी। पर किसानों ने गुरुवार को प्रदर्शन स्थल-सिंघू, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर और हरियाणा के रेवासन में ट्रैक्टर रैली निकाल कर कानूनों के खिलाफ आक्रोश जताया था। प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने कहा कि 26 जनवरी को हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के तमाम हिस्सों से किसान दिल्ली आएंगे। गुरुवार को हुई ट्रैक्टरों रैली महज एक 'रिहर्सल’ थी।
किसान दिल्ली से लगी सीमाओं पर नवम्बर से डटे हुए हैं। इस वजह से ट्रैफिक में बदलाव किया जा रहा है। ट्रैफिक पुलिस के अधिकारी लगातार ट्विटर पर लोगों को बंद और परिवर्तित मार्गों की जानकारी दे रहे हैं। यातायात पुलिस ने बताया कि सिंघू, औचंदी, प्याऊ मनियारी, सबोली और मंगेश बॉर्डर बंद हैं। ट्रैफिक पुलिस ने लोगों से लामपुर, सफियाबाद, पल्ला और सिंघू स्कूल टोल टैक्स बार्डर से होकर जाने की गुजारिश की है। मुकरबा और जीटेके रोड पर भी ट्रैफिक डायवर्ट किया गया है। पुलिस ने लोगों से आउटर रिंग रोड, जीटीके रोड और एनएच-44 पर जाने से भी बचने की अपील की है।
चिल्ला और गाजीपुर बॉर्डर नोएडा तथा गाजीपुर से दिल्ली आने वाले लोगों के लिए बंद है। ट्रैफिक पुलिस ने लोगों आनंद विहार, डीएनडी, अप्सरा, भोपुरा और लोनी बॉर्डर से होकर दिल्ली आने की सलाह दी है। टिकरी, ढांसा बॉर्डर पर यातायात पूरी तरह बंद है। इस साल सितम्बर में लागू किए गए तीनों कृषि सुधार कानूनों को केंद्र सरकार ने बड़े सुधारों का आधार माना है। केंद्र सरकार का कहना है कि इन कानूनों के आने से बिचौलिए की भूमिका खत्म हो जाएगी। किसान पूरे देश में अपनी उपज कहीं भी बेच सकेंगे। पर प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों का कहना है कि इन कानूनों से एमएसपी का सुरक्षा कवच खत्म हो जाएगा। सरकार मंडियों को भी खत्म कर देगी। खेती पर बड़े कॉरपोरेट समूहों का कब्जा हो जाएगा।