लोकसभा चुनाव 2024 : गौतमबुद्ध नगर के सुरेंद्र गोयल ने गाजियाबाद में उखाड़ा था भाजपा का 20 साल पुराना झंडा, सांसद बनकर वेस्ट यूपी को किया हैरान

गाजियाबाद | 1 महीना पहले | Mayank Tawer

Tricity Today | सुरेंद्र प्रकाश गोयल



Ghaziabad News : गाजियाबाद लोकसभा सीट वर्ष 2008 में परिसीमन में आई थी, लेकिन उससे पहले हापुड़-गाजियाबाद सीट से इसको जाना जाता था। एक समय ऐसा था, जब गाजियाबाद में कांग्रेस नेता सुरेंद्र प्रकाश गोयल का दबदबा था। सुरेंद्र प्रकाश गोयल ने भारतीय जनता पार्टी के 20 साल पुराने झंडे को उखाड़ फेंका था। उन्होंने वर्ष 2004 में हापुड़-गाजियाबाद सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी। उससे पहले वर्ष 1984 से लगातार भारतीय जनता पार्टी का वर्चस्व कायम था, लेकिन वह अकेले ऐसे नेता थे। जिन्होंने बीजेपी के झंडे को हापुड़-गाजियाबाद लोकसभा सीट से वर्ष 2004 में उखाड़ फेंका था। 

डीएम और पुलिस कप्तान के सामने लूंगी में नजर आए
कांग्रेस नेता बताते हैं कि सुरेंद्र प्रकाश गोयल काफी लोकप्रिय नेता थे। जब उनके पास कोई समस्या लेकर आता था तो वह शिकायतकर्ता को सीधे डीएम के सामने लेकर जाते थे। काफी बार तो ऐसा देखा गया था कि सुरेंद्र प्रकाश गोयल अपने स्कूटर पर बैठकर शिकायतकर्ता को अधिकारी के सामने ले जा रहे हैं। काफी बार तो वह जिलाधिकारी कार्यालय और पुलिस कप्तान के ऑफिस में लूंगी में नजर आए थे। वह अपने दबदबे की वजह से जाने जाते थे। उनके कार्यकाल में दूसरे दल या पार्टी के नेता भी उनके सामने मदद की मांग को लेकर आते थे। 

वर्ष 1971 में पार्षद से की शुरुआत
सुरेंद्र प्रकाश गोयल मूल रूप से गौतमबुद्ध नगर के दादरी में स्थित वैदपुरा गांव के निवासी थे। उन्होंने दसवीं पास की थी। वह पहली बार वर्ष 1971 में पार्षद बने थे। उसके बाद वर्ष 1975 में दोबारा से नगर निकाय का चुनाव लड़ा और अध्यक्ष बन गए थे। उसके बाद वर्ष 1989 में वह दोबारा से अध्यक्ष बने। बताया जाता है कि वर्ष 2000 में वह मेयर का चुनाव कांग्रेस टिकट पर लड़े थे, लेकिन दिनेश चंद्र गर्ग के सामने हार गए थे। 

लेकिन राजनाथ के सामने पड़े फीके
उसके बाद उन्होंने वर्ष 2002 में विधानसभा चुनाव लड़ा और विधायक बन गए। यही नहीं उन्होंने वर्ष 2004 में हापुड़-गाजियाबाद लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को हरा दिया था। उन्होंने ऐसा करके पूरे वेस्ट यूपी को चौंका दिया था। वर्ष 2009 में कांग्रेस ने उन्हें दोबारा से उम्मीदवार बनाया, लेकिन वह राजनाथ सिंह के सामने हार गए थे। उसके बाद वर्ष 2000 में कोरोना काल में उनका निधन हो गया।

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