गाजियाबाद जेल में बदल गई जिंदगी : हत्यारा बन गया शायर, जेल सुपरिटेंडेंट ने किया किताब का विमोचन

गाजियाबाद | 4 महीना पहले | Sonu Singh

Tricity Today | हत्यारा बन गया शायर



Ghaziabad News : गाजियाबाद के डासना स्थित जिला जेल में बंद एक अनपढ़ कैदी जब 11 साल बाद जेल से बाहर निकला तो उसकी पूरी जिंदगी ही बदल गई थी। वह अब शायर बन गया था। वर्ष-2011 में हत्या के केस में जेल गए कैदी की पूरा जीवन ही बदल गया। उसने जेल में पढ़ाई कर डिप्लोमा हासिल किया। कविताएं लिखकर उसने खुद की किताब लिखी। उसका विमोचन डासना जेल के सुपरिटेंडेंट ने किया। उसका कहना है कि जेल ने उसकी पूरी दुनिया बदल दी है।

यह है पूरा मामला
गाजियाबाद के लोनी में रहने वाला शकील अमीरुद्दीन साल-2011 में हत्या के केस में जेल गया था। अनपढ़ और कम पढ़ा लिखा शकील शुरुआती दिनों में जेल में परेशान रहता था। जेल में गैर-सरकारी संस्था इंडिया विजन फाउंडेशन के लोगों ने जब शकील से परेशान रहने का कारण पूछा तो उसने बताया कि वह पढ़ना लिखना नहीं जानता। अब वह पढ़ना चाहता है। एनजीओ के अधिकारियों ने उसको इग्नू से डिप्लोमा कराया। इस दौरान वह छोटी मोटी कविताएं लिखने लगा। एक दिन जब जेल में हुए कार्यक्रम के दौरान उसने कविता पाठ किया तो सभी उसकी कविता के फैन हो गए। जेल में मिले प्रोत्साहन के बाद उसका हौसला और बढ़ गया। उसने जेल में कविताएं और शायरी लिखना शुरू कर दिया। जेल में होने वाले कार्यक्रम के दौरान मंच पर शकील अमीरुद्दीन से शायरी सुनने की फरमाइश होने लगी। वर्ष-2022 में जमानत पर बाहर आए शकील अमीरुद्दीन ने 'गुल-ए-मुकद्दस' नाम से एक किताब लिखी, जिसका विमोचन 3 जनवरी-2024 को डासना जेल के सुपरिंटेंडेंट आलोक सिंह ने किया। 

जेल सुपरिंटेंडेंट ने की तारीफ
जेल सुपरिंटेंडेंट आलोक सिंह ने शकील अमीरुद्दीन की तारीफ की। उनका कहना है कि जेल में बंद बंदियों की रुचि के हिसाब से उन्हें प्रोत्साहित किया जाता है। जिससे जेल के बाहर की दुनिया में जब वे जाए तो अपना जीवन यापन कर सके। इसी प्रकार शकील को भी उसकी रुचि के हिसाब से प्रोत्साहित किया गया। उन्होंने बताया कि कारागार एक ऐसा स्थान होता है, जहां कैदी के पास समय बहुत होता है। वह अपनी रुचि का कार्य कर सकता है। इसलिए शकील ने जेल से पढ़ाई की और खुद की कविता संग्रह कर एक किताब लिख डाली।

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