Tricity Today | 30 साल बाद राजू अपने घर में परिवार के साथ।
Ghaziabad News : शहीदनगर निवासी भीम सिंह का बेटा राजू 30 साल बाद अपने घर लौटा तो देखने वालों का तांता लग गया। गांव से तो तमाम लोग उसे देखने पहुंच ही रहे हैं दूर दराज से भी लोगों के पहुंचने का सिलसिला जारी है। मानों गाजियाबाद के शहीदनगर में पीपली लाइव का नजारा उतर आया हो। राजू के परिवार में जश्न का माहौल है तो पड़ोसियों को भी कम खुशी नहीं है। सभी घर पहुंचकर राजू को दुलार रहे हैं, तमाम लोग उसके बचपन की यादें भी ताजा कर रहे हैं। महिलाओंं ने बताया कि छोटा सा था, गोलू मोलू सा। एकदम गोरा चिट्टा। गांव वाले राजू को घर तक पहुंचाने में पुलिस और मीडिया की भूमिका की भी सराहना कर रहे हैं।
छह दिन पहले भटकता हुआ पहुंचा था खोड़ा
राजू छह दिन पहले किसी तरह भटकता हुआ खोड़ा थाने पहुंचा था। जो याद रहा, वो पुलिस को उसने बताया। पुलिस मीडिया का सहारा लिया और राजू के बारे में लोगों तक जानकारी पहुंच सकी। खोड़ा थाना पुलिस के मुताबिक करीब 20 परिवार राजू को देखने पहुंचे। उनमें से एक परिवार शहीदनगर निवासी भीम सिंह का भी था। जब यह परिवार थाने पहुंचा तो मानों वेव्स मैच कर उठीं और राजू पहली बार किसी परिवार को देखकर सुबका था। परिवार ने चोट और तिल का निशान देखकर अपने आप को और पुख्ता करने का प्रयास किया।
दिन भर राजू को देखने पहुंचते रहे लोग
शाम को अपने परिवार के पास पहुंचकर राजू ने एक गिलास दूध पिया और साथ में बर्फी भी खाई, जिसके बाद वह सो गया। गुरुवार की सुबह से ही घर पर लोग राजू को देखने पहुंचने लगे। राजू अब किसी वीआईपी से कम नहीं था। वह घर पहुंचने वाले लोगों को देखकर खुश दिखा। गांव के तमाम लोग तो पहुंचे ही कोतुहल बस दूर दराज से भी लोग राजू को देखने पहुंचे। मोहल्ले के बुजुर्ग उसे देखने और उससे मिलने पहुंचे।
आठ लाख रुपये मांगी थी फिरौती
राजू के पिता भीम सिंह को उसके मिलने पर तसल्ली नहीं हो रही थी, उनका मानना था कि इतने दिनों बाद उनका बेटा कहां से लौटेगा। राजू के अपहरण के बाद उन्हें काफी सदमा भी लगा था। अब उन्हें यकीन हो चला कि उनके बेटे को ऊपर वाले लौटा दिया है। अपहर्ताओं ने 1993 में उसे स्कूल से लौटते समय अगवा कर आठ लाख रुपये की फिरौती मांगी थी। उस समय इतनी रकम कहां थी, जैसे तैसे उन्होंने कुछ रकम जुटाई भी लेकिन कम रकम लेकर बदमाशों के पास जाने से वह डर गए थे। हालांकि बेटे की तलाश में उन्होंने बहुत खाक छानी। जब भी कहीं से किसी लावारिश बच्चे के मिलने की सूचना पाते थे, वहीं पहुंच जाते थे। काफी दिनों तक उन्होंने ऐसा किया और फिर हारकर सब भगवान भरोसे छोड़ दिया। वे कहते हैं कि भगवान ने उनके बेटे को मिलवा दिया।
बेटे की पढ़ाई और शादी की चिंता
भीम सिंह का कहना है उसकी बहनें उसे पढ़ाना चाहती हैं। बहन संतोष का कहना है कि अब भाई उनके पास आया है तो उसे पढ़ाएंगे भी और दूल्हा भी बनाएंगे। संतोष आगे कहती हैं कि हमारा भाई अपने साथ रौनक लेकर लौटा है। भीम सिंह ने बताया कि अब राजू जो करना चाहेगा, उसे कराने का प्रयास करेंगे। गांव की दुलारी देवी ने कहा कि उन्होंने राजू को बचपन में देखा था, वह गोलू मोलू सा था, एकदम गोरा चिट्टा। गुरुवार को राजू ने अपनी बहन के हाथ की बनी रोटी खाई। 30 साल में पहली बार राजू ने दिन में खाना खाया। उसने बताया कि राजस्थान में जहां उसे बंधक बनाकर रखा गया था केवल शाम को एक रोटी दी जाती थी, दिन में चाय के अलावा कुछ नहीं। राजू ने कहा कि परिवार से मिलकर वह बहुत खुश है।