Greater Noida News : यमुना विकास प्राधिकरण के पूर्व चेयरमैन और प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास विभाग के पद से हटाए गए आईएएस अधिकारी अनिल सागर (Anil Sagar) के फैसले को हाईकोर्ट (High Court) ने रद्द कर दिया है। कोर्ट ने इस मामले में अगले छह सप्ताह के भीतर दोबारा सुनवाई करने के निर्देश दिए हैं।
क्या है पूरा मामला?
अनिल सागर ने प्रमुख सचिव पद पर रहते हुए उत्तर प्रदेश अर्बन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट 1973 की धारा 41(3) के तहत एक विवादास्पद फैसला सुनाया था। उनके आदेश के अनुसार "सन व्हाइट बिल्डर" के रद्द किए गए 11,253 वर्गमीटर भूखंड के आवंटन को बहाल कर दिया गया था, जबकि यूपी इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड की अपील को निरस्त कर दिया गया था। इसी दौरान ग्रोथ इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में फैसला सुरक्षित रखा गया था।
सीईओ के खिलाफ गए थे अनिल सागर
दरअसल, इन तीनों बिल्डर्स ने यमुना प्राधिकरण के सीईओ के फैसले के खिलाफ प्रमुख सचिव अनिल सागर के पास अपील की थी। यमुना प्राधिकरण ने 1 अप्रैल 2022 को मानचित्र स्वीकृत न कराने और निर्माण में देरी के चलते कुल 11 बिल्डर्स के भूखंड आवंटन को रद्द कर दिया था।
तीन लोगों को बेची थी बिल्डर ने जमीन
यमुना प्राधिकरण ने वर्ष 2012 में लॉजिक्स बिल्डर को 200 एकड़ भूमि आवंटित की थी। बाद में लॉजिक्स बिल्डर ने इस भूमि का एक हिस्सा अन्य बिल्डरों को बेच दिया। इनमें से तीन बिल्डरों सन व्हाइट बिल्डर, यूपी इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड और ग्रोथ इंफ्रास्ट्रक्चर को जमीन मिली थी। बाद में लॉजिक्स बिल्डर ने शेष बची 130 एकड़ जमीन प्राधिकरण को वापस कर दी। प्राधिकरण के आदेश के खिलाफ इन बिल्डरों ने प्रमुख सचिव के पास अपील की थी, जिसमें अनिल सागर ने विवादास्पद तरीके से सन व्हाइट बिल्डर का आवंटन बहाल कर दिया और यूपी इंफ्रास्ट्रक्चर की अपील खारिज कर दी।
हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला
अनिल सागर के इस निर्णय को गलत मानते हुए यूपी इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए मौखिक रूप से अनिल सागर को प्रमुख सचिव के पद से हटाने के आदेश दिए थे। सोमवार को इस मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अनिल सागर के पूर्व आदेश को रद्द कर दिया और अगले छह सप्ताह के भीतर मामले की दोबारा सुनवाई करने को कहा है।