Greater Noida : ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के नए सीईओ रवि कुमार एनजी ने मंगलवार को अथॉरिटी के बोर्ड रूम में प्रेस कॉन्फ्रेंस की है। इस दौरान पत्रकारों ने काफी सवाल पूछे। सभी बड़े सवाल और अहम मुद्दों पर रवि कुमार ने कहा, "आप समय दीजिए, मैं हालत सुधारूंगा।" रवि कुमार से प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान किसानों के आंदोलन, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर भारी-भरकम कर्ज, प्राधिकरण में भ्रष्टाचार और बिल्डर की मनमानी के मुद्दे उठाए। सभी सवालों पर रवि कुमार ने कहा, "मुझे थोड़ा समय दीजिए, मैं हालत सुधार दूंगा।" रवि कुमार का कहना है कि वह बहुत जल्द जिले की सभी समस्याओं का समाधान करवाएंगे। उसको लेकर वह जिले की जनता को आश्वासन देना चाहते हैं।
किसानों का आंदोलन फिर शुरू
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर किसानों का धरना सबसे बड़ी समस्या है। काफी समय से किसान अपनी मांगों को लेकर धरना दे रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। बीते दिनों किसानों को झूठा आश्वासन देकर धरना प्रदर्शन समाप्त करवा दिया गया था, लेकिन अब दोबारा से किसानों का धरना शुरू होने जा रहा है। भारी संख्या में किसान आज इकट्ठा हो रहे हैं।
कर्ज तले दबा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण
ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण करीब एक दशक से भारी-भरकम कर्ज के तले दबा हुआ है। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्राधिकरण रोजाना करीब एक करोड़ रुपए ब्याज के तौर पर चुकता है। फिलहाल 10 हजार करोड रुपए से ज्यादा कर्ज अथॉरिटी के ऊपर है। यह कर्ज बैंकों और नोएडा अथॉरिटी से लिया गया है। नए सीईओ रवि कुमार एनजी के सामने कर्ज खत्म करने और उद्योग जगत में ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के प्रति विश्वास बहाल करने की बड़ी चुनौती रहेगी।
प्राधिकरण में भ्रष्टाचार और स्वेच्छाचरिता
ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में व्याप्त भ्रष्टाचार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। राज्य सरकार के तमाम प्रयास और दबाव अभी तक विफल रहे हैं। आम आदमी को छोटे-छोटे कार्यों के लिए दफ्तर के धक्के खाने पड़ते हैं। इनकी रिश्वतखोरी से जुड़े तमाम मामले सामने आते रहे हैं। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह अथॉरिटी अफसरों और कर्मचारियों में स्थानीय नेताओं के रिश्तेदारों की भरमार है। तमाम नेताओं के बेटे, दामाद, भाई-भतीजे और दूसरे रिश्तेदार अथॉरिटी में तैनात हैं। योगी आदित्यनाथ सरकार ने पिछले कार्यकाल के दौरान इन सबके ग्रेटर नोएडा से बाहर तबादले किए थे। धीरे-धीरे इन अफसरों के सरपरस्त नेता सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी में शामिल होते गए और यह सारे लोग वापस ग्रेटर नोएडा लौट आए। इनके दबाव के चलते सीईओ, एसीईओ, ओएसडी और महाप्रबंधक स्तर के चाहकर भी काम करवाने में नाकामयाब रहते हैं। यहीं से भ्रष्टाचार की शुरुआत होती है। कर्मचारियों और अधिकारियों का गठजोड़ भूमाफिया और अवैध कोलोनाइजेशन करने वालों के साथ है। शहर अवैध धंधों का गढ़ बनता जा रहा है। हालांकि, पिछले दिनों ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में बम्पर तबादले हुए हैं।
अनियोजित विकास और भूमाफिया को संरक्षण
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के दायरे में पिछले एक दशक के दौरान अनियोजित विकास तेजी के साथ हुआ है। शाहबेरी के पैटर्न पर ग्रेटर नोएडा वेस्ट, दादरी और ग्रेटर नोएडा के आसपास वाले गांवों में व्यापक पैमाने पर अवैध कॉलोनी और हाउसिंग सोसायटी बसाई गई हैं। बड़ी बात यह है कि यह अवैध कॉलोनी बसाने वाले लोगों को प्राधिकरण अफसरों का संरक्षण है। प्राधिकरण में तैनात कई बड़े अफसरों के रिश्तेदार इस तरह का अवैध कॉलोनाइजेशन कर रहे हैं। जिले के कई नेता और रसूखदार लोग इन अवैध कालोनियों में हिस्सेदार हैं। दरअसल, पहले बहुजन समाज पार्टी और फिर समाजवादी पार्टी सरकारों के कार्यकाल में इन्हीं लोगों ने अपने रसूख का इस्तेमाल करके आबादी के नाम पर बड़ी-बड़ी जमीनें भूमि अधिग्रहण से बाहर करवाई थीं। अब इन जमीनों पर अवैध कॉलोनी और हाउसिंग सोसायटी बसाकर करोड़ों रुपए कमाए जा रहे हैं। ऐसे हालात में अनियोजित विकास और अवैध निर्माण को रोकना नए सीईओ रवि कुमार एनजी के लिए बड़ी चुनौती होगी।
बिल्डरों की मनमानी और बायर्स की परेशानी
ग्रेटर नोएडा शहर और खासतौर से ग्रेटर नोएडा वेस्ट की हाउसिंग सोसाइटीज में रहने वाले लोगों की परेशानियां बड़ी चुनौती हैं। एक दशक से ज्यादा वक्त बीतने के बावजूद हजारों फ्लैट खरीदारों को उनके घर नहीं मिल पाए हैं। जिन्हें घर मिल गए हैं, उनके फ्लैट की रजिस्ट्री नहीं हो पा रही है। दरअसल, बिल्डर हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में घर बेचकर गायब हैं। प्राधिकरण का हजारों करोड़ रुपया कंपनियों में फंसा है। जिसके चलते कंपलीशन सर्टिफिकेट और ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट जारी नहीं हो पा रहे हैं। एक और बड़ी परेशानी हाउसिंग सोसाइटीज में बढ़ रही समस्याएं हैं। सोसायटीज में बिजली, पानी और सफाई का संकट है। बिजली कटौती, महंगी बिजली आपूर्ति और प्रीपेड मीटर के जरिए मेंटिनेंस चार्ज से कटौती हो रही है। सुरक्षा इंतजाम पुख्ता नहीं हैं। ग्रेटर नोएडा वेस्ट की सड़कें बदहाल हैं। वेस्ट में स्कूल, अस्पताल, खेल का मैदान और कॉलेज की मांग चल रही हैं। बिजलीघर, बैंक और डाकघर नहीं हैं। ट्रैफिक जाम से पूरा शहर बदहाल है। ग्रेटर नोएडा वेस्ट समस्याओं और बदहाली का शहर बन गया है। इसके लिए बिल्डरों की मनमानी हावी है। फ्लैट्स बेचते वक्त बिल्डरों ने आम आदमी से बड़े वादे किए लेकिन शर्तें पूरी नहीं की हैं। जिससे खरीदार परेशान हैं।