Greater Noida News : शहर के सबसे बड़े कमर्शियल हब जगत फार्म (Jagat Farm) और रेजिडेंशियल सेक्टरों में गंदगी मिलने पर ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी (Greater Noida Authority) की अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी मेधा रूपम (Medha Rupam IAS) ने कड़ा रुख अख्तियार किया है। साफ-सफाई करने के लिए जिम्मेदार कंपनी पर जुर्माना लगाया गया है। कंपनी को चेतावनी दी गई है कि अगर भविष्य में इस तरह की लापरवाही सामने आई तो मुकदमा दर्ज करवाया जाएगा। कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर दिया जाएगा। अब बड़ा जुर्माना लगाया जाएगा और पैसे का भुगतान प्राधिकरण नहीं करेगा।
ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण की अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी मेधा रूपम ने पिछले सप्ताह जगत फार्म, सेक्टर गामा-2, सेक्टर बीटा-2 और सेक्टर अल्फा-2 का दौरा किया था। इस दौरान इन सारे इलाकों में साफ-सफाई का इंतजाम बेहद खराब मिला था। सुबह 10:00 बजे भी सड़कों पर कूड़ा पड़ा हुआ था। झाड़ू लगाकर एकत्र किए गए कूड़े को उठाने के लिए कोई वाहन काम करता नहीं मिला। सफाई कर्मचारियों की गिनती करवाई गई तो निर्धारित संख्या में सफाई कर्मचारी उपस्थित नहीं थे। इतना ही नहीं अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी को नियुक्त किया गया सुपरवाइजर भी गैरहाजिर मिला था।
अब प्राधिकरण की ओर से स्वास्थ्य विभाग के प्रभारी वरिष्ठ प्रबंधक उत्सव कुमार निरंजन ने इन सेक्टरों में सफाई की जिम्मेदारी संभाल रही कंपनी साईनाथ सेल्स एंड सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड को चेतावनी पत्र जारी किया है। कंपनी पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। सीनियर मैनेजर ने कंपनी को चेतावनी पत्र भेजकर लिखा है कि भविष्य में इस तरह की लापरवाही नहीं होनी चाहिए। अगर कमियां पाई जाती हैं तो कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। जिसके लिए कंपनी उत्तरदाई होगी। कंपनी पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया जा रहा है। यह धनराशि अगले भुगतान से काट ली जाएगी।
आपको बता दें कि ऐसे हालात केवल शहर में ही नहीं हैं बल्कि गांवों में इससे भी बदतर हैं। हर महीने प्राधिकरण साफ-सफाई पर करोड़ों रुपए खर्च कर रहा है, लेकिन सफाई के नाम पर केवल पैसे की बर्बादी हो रही है। शहर के सेक्टरों की नालियां बंद हैं। सड़कों के किनारे कूड़े और गंदगी के ढेर लगे हुए हैं। निवासियों का कहना है कि कई-कई दिन में सफाई कर्मचारी कूड़ा उठाने आते हैं। कूड़े के ढेर से बदबू फैलती है। मच्छर और मक्खियां पैदा होती हैं। तमाम मर्तबा प्राधिकरण के जिम्मेदार अफसरों से शिकायत की जा चुकी है। कोई सुनवाई करने वाला नहीं है।