खुशखबरी : गौतमबुद्ध नगर में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अब एक महीने में देगा एनओसी, पूरी जानकारी

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गौतमबुद्ध नगर में औद्योगिक इकाइयां स्थापित करने के इच्छुक लोगों के लिए बड़ी खबर है। अब वन एवं पर्यावरण विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) हासिल करने की समय सीमा 120 दिनों से घटाकर 30 से 45 दिन कर दी गई है। इस तरह एनओसी प्राप्त करने के लिए अब 4 महीने का लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। सिर्फ एक से डेढ़ महीने में औद्योगिक इकाइयों को अनापत्ति प्रमाण पत्र मिल जाएगा। इससे गौतमबुद्ध नगर में औद्योगिक इकाइयां स्थापित करना आसान हो गया है। नए कारखानों के लगने से जिले में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। 

उत्तर प्रदेश में उद्योगों को सुगम बनाने के लिये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। इसी सिलसिले में अब वन एवं पयार्वरण विभाग को संबंधित अनापत्ति प्रमाणपत्र देने की समयसीमा 12० दिन से घटा कर 3० से 45 दिन कर दी गई है। इसके लिए संबंधित महकमों को निर्देश दे दिया गया है। सूबे के मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी ने वन एवं पयार्वरण विभाग को इस फैसले के बारे में सूचित कर दिया है। राज्य सरकार प्रदेश में औद्योगिक इकाइयों की स्थापना के लिए प्रतिबद्ध है। इस क्रम में यह फैसला बेहद अहम साबित होगा। 
     
मुख्य सचिव ने कहा है कि सभी संबंधित विभाग सिंगल विंडो पोर्टल, निवेश मित्र के जरिए ही उद्यमियों के आवेदन स्वीकार करें। साथ ही अपर मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव निवेश मित्र पोर्टल पर प्राप्त यूज़र फीडबैक की हर महीने समीक्षा करें। मुख्य सचिव ने गुरुवार की देर शाम लोक भवन में राज्य में ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस में सुधार के लिये आयोजित एक बैठक के दौरान ये अहम निर्देश दिये। 

इस दौरान यह तय किया गया कि, सिंगल विंडो पोर्टल निवेश मित्र पर सारी सेवाओं को जोड़ा जाए। साथ ही कम जोखिम वाले उद्यमों के संचालन के लिये जरूरी तमाम स्वीकृतियों के नवीनीकरण की आवश्यकता को खत्म कर दिया जाए। या फिर, इनके नवीनीकरण की अवधि बढ़ा दी जाए। सरकार ऐसे अनापत्ति प्रमाण पत्रों के लिए स्व-प्रमाणन की सुविधा देने संबंधी योजना पर भी काम कर रही है। फिलहाल निवेश मित्र के जरिए 25 विभागों की 176 ऑनलाइन सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।

बैठक में श्रम, गृह (फायर सर्विसेज़), नगर विकास, आबकारी, बेसिक शिक्षा, वन, पयार्वरण तथा न्याय और दूसरे अहम विभागों से संबंधित अनावश्यक नियमों पर चर्चा की गई। इस दौरान विनियमों और प्रतिस्थापित कानूनों पर भी विस्तार से चर्चा हुई। बैठक में मुख्य सचिव ने सभी महकमों को निर्देशित किया कि औद्योगिकीकरण के लिये राज्य में अनुकूल वातावरण पैदा करने की जरूरत है। इसके लिए जरूरी अप्रासंगिक कानून-नियमों को समाप्त करने, विलय करने अथवा संख्या कम करने की प्रक्रिया 31 मार्च तक पूरी हो जानी चाहिए। अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त आलोक टण्डन ने इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सभी संबंधित विभागों को निर्देश दिया गया है। 

सभी विभाग उद्यमियों के आवेदनों और शिकायतों के ससमय निस्तारण के लिये निवेश मित्र डैश बोर्ड की नियमित समीक्षा करते रहें। इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग, आलोक कुमार ने बड़ी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ऊपर चर्चा किए गए कानूनों के अलावा तमाम विभागों में उद्योगों से संबंधित 1300 अन्य अनुपालनों की संख्या को कम करने की कार्यवाही भी विभागीय स्तर पर की जा रही है। इससे भविष्य में उद्योगों की स्थापना और संचालन से संबंधित अधिनियमों व नियमों में ढिलाई मिलेगी। साथ ही इससे राज्य में निवेश के लिए बेहतर माहौल तैयार होगा।

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