BIG NEWS : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाइजीरियाई नागरिकों के मामले में गौतमबुद्ध नगर पुलिस और विदेश मंत्रालय को तलब किया, जानिए मामला

Google Image | इलाहाबाद हाईकोर्ट



ग्रेटर नोएडा में पुलिस हिरासत में रह रहे दो व्यक्तियों के मामले को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गौतमबुद्ध नगर पुलिस को तलब किया है। दरअसल, पुलिस हिरासत में नाइजीरिया के दो नागरिकों की रिहाई की मांग वाली बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर गौतमबुद्ध नगर के अपर पुलिस आयुक्त को निजी हलफनामा दाखिल करने का मंगलवार को आदेश दिया गया है। नाइजीरियाई नागरिक लम्बे अरसे से ग्रेटर नोएडा पुलिस लाइन में निरुद्ध हैं। ये लोग करीब नौ वर्षों से यहां बिना वीजा और पासपोर्ट के अवैध रूप से रह रहे हैं।

अदालत ने विदेश मंत्रालय के संबंधित अधिकारी को भी सुनवाई की अगली तिथि तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। राज्य सरकार के वकील ने अदालत को बताया कि गौतमबुद्ध नगर के अपर आयुक्त (मुख्यालय) से प्राप्त सूचना के मुताबिक, इन दोनों नाइजीरियाई नागरिकों का वीजा करीब नौ साल पहले समाप्त हो गया था। ये भारत में अवैध रूप से रह रहे थे। इसलिए पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार किया है।

नाइजीरियाई नागरिकों की पत्नियों ने दायर की याचिकाएं

चिनासा विक्टर ओबिओहा और चीमा पॉल उगोचुकवू ने अपनी-अपनी पत्नी के जरिए यह बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है। जिस पर न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति समित गोपाल की पीठ ने सुनवाई की। गौतमबुद्ध नगर पुलिस और विदेश मंत्रालय को तलब करते हुए सुनवाई की अगली तारीख 24 नवंबर तय की है।

24 सितंबर 2019 से ग्रेटर नोएडा पुलिस लाइन में बंद

इससे पूर्व, याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि उन्हें गैर कानूनी रूप से 24 सितंबर, 2019 से ग्रेटर नोएडा की सूरजपुर पुलिस लाइन की 49 बटालियन पीएसी में बंदी बनाकर रखा गया है। याचिका दायर किए जाने तक उन्हें किसी भी अदालत में पेश नहीं किया गया और ना ही उनके किसी रिश्तेदार या उनके अधिवक्ता को हिरासत में रखने का कारण बताया गया है।

नाइजीरियाई दूतावास को एक पत्र भेजा, जवाब नहीं आया

राज्य सरकार के वकील ने अदालत को बताया कि विदेश मंत्रालय को इस मामले की प्रक्रिया से संबंधित अनुरोध पत्र भेजे गए। इसके जवाब में मंत्रालय ने 23 जुलाई, 2020 को नाइजीरियाई दूतावास को एक पत्र भेजा था। वहां से अब तक जवाब नहीं आया है। इन याचिकाकर्ताओं को शिविर में सभी आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। यह प्रक्रिया निर्धारित कानूनों के तहत अपने जा रही है।

भारत में अवैध प्रवास की बात अदालत से भी छिपाई 

इस पर अदालत ने संबंधित अधिकारियों को इस मामले में सभी तथ्यों से अवगत कराते हुए एक हलफनामा दाखिल करने को कहा है। अदालत ने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अपनी अवैध हिरासत को चुनौती देने के लिए इस अदालत में आने वाले याचिकाकर्ताओं ने यह तथ्य छिपाया कि उनका वीजा पहले ही खत्म हो चुका है और वे करीब नौ साल तक बगैर वीजा के इस देश में रहे हैं। इसी वजह से उन्हें पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया है।”

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