रिम्सा के दोषियों को फांसी की मांग, बच्चों के साथ परिजनो ने शहर में निकाला जुलूस

Tricity Today | बच्चों के साथ परिजनो ने शहर में निकाला जुलूस



लगभग 15 माह पूर्व रिम्सा अपहरण दुष्कर्म हत्या के मामले में न्यायालय द्वारा आरोपियों को दोषी करार किए गए। दोनों दंरिदो को फांसी देने की मांग जोर पकड़ रही है। शनिवार दोपहर दारे ईरम पब्लिक स्कूल के बच्चों व परिजनों की सैकडो भीड़ ने मासूम बच्ची रिम्सा की दुष्कर्म के बाद निर्मम हत्या करने के आरोपियों को फांसी देने की मांग को लेकर शहर में जुलूस निकाला। 

वहीं इस घटना के बाद से लोग भी दोषियों को फांसी देने की मांग करने के लिए आगे आने लगे हैं। करीब 15 माह पूर्व नगर के मोहल्ला कोट में मासूम बच्ची रिम्सा की अपरहण कर दुष्कर्म करने के बाद बेदर्दी से हत्या कर एक धार्मिक स्थल फेंक दिया था। पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। कोर्ट ने दोनों आरोपियों को दोषी करार दिया है। सजा के लिए 24 फरवरी मुकर्रर की गई है। उस समय इस लोमहर्षक घटना के बाद नगर में कई दिनों तक आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर धरने प्रदर्शन हुए थे। न्यायालय ने 15 महीने चली सुनवाई के बाद दोनों को दोषी मानते हुए 24 फरवरी को सजा सुनाने का ऐलान किया है। तभी से लोग दोषियों को मृत्युदंड की सजा मांग रहे हैं। समाजसेवी शिक्षाविद विनोद जिंदल का कहना है कि ऐसे दरिंदों को तुरंत फांसी की सजा मिलनी चाहिए। जिससे भविष्य में और अपराधियों में कानून का खौफ बढ़े।

उन्होंने कहा कि ऐसे वहशी दरिंदों को फांसी से कम सजा नहीं होनी चाहिए। भारतीय जनता पार्टी के महानगर महामंत्री गोपाल अग्रवाल का कहना है कि हिंदुस्तान में ऐसा कानून नहीं है कि ऐसे लोगों को बीच चौराहे पर सजा दी जाए। लेकिन फांसी देने का कानून जरूर है। ऐसे अपराधियों को इतनी कड़ी सजा मिलनी चाहिए जिससे औरों में भी ऐसी घिनौनी वारदात करने की हिम्मत ना पड़े। भाजपा की वरिष्ठ नेत्री डॉक्टर अनिला सिंह आर्य का कहना है कि ऐसे अपराधी देश समाज के लिए घातक व कलंक के समान हैं। ऐसे लोगों को जीवित रहने का कोई अधिकार नहीं है। इसलिए फांसी से कम सजा नहीं होनी चाहिए।

गांव खेमावती के प्रधान अनिल त्यागी का कहना है कि न्यायालय ने मामले में सुनवाई कर जल्द ही आरोपी दोषी ठहरा दिए गए। अब लोगों को इंतजार है कि उन्हें कब फांसी मिलती है। समाजसेवी कृष्ण कुमार भटनागर का कहना है कि लोगों मैं गिरफ्तार आरोपियों का दोष सिद्ध होने पर न्यायालय में आस्था बढ़ी है। लेकिन इतने बड़े अपराध की क्या सजा मिलती है इसके बारे में भी लोगों की उत्सुकता है। सभी चाहते हैं कि आरोपियों को फांसी हो। लेकिन तीन पुत्रियों का पिता का कहना है कि ऐसे लोगों को इंसान कहना सही नहीं। इनका काम जानवरों से भी बदतर था। इसलिए मौत की सजा से कम नहीं मिलनी चाहिए।

उत्थान एक पहल संस्था के अध्यक्ष मनोज प्रजापति का कहना है कि इस घटना के बाद से ही नगर के लोगों का ध्यान इस और भी था कि पुलिस ने दोषी गिरफ्तार किए हैं या निर्दोष फंसा दिए। लेकिन न्यायालय में उन का सिद्ध होने के बाद हर कोई चाहता है कि उन्हें सजा-ए-मौत हो। पूर्ण ज्ञान अंजलि इंटर के प्रधानाचार्य चौधरी योगेंद्र सिंह वह व्यवसाय मुनेश जिंदल का कहना है कि लोग बड़ी बेसब्री से आरोपियों की सजा का इंतजार कर रहे थे। अब सिद्ध हो जाने पर किसी से कम सजा नहीं होनी चाहिए अन्यथा अपराधियों के दिमाग से कानून का भय ही समाप्त हो जाएगा।

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