ग्रेटर नोएडा जिम्स में महामृत्युंजय जाप से शुरू होती है कोरोना मरीजों के दिन की शुरुआत, जानिए दिनभर क्या करते हैं लोग

Tricity Today | ग्रेटर नोएडा जिम्स में महामृत्युंजय जाप से शुरू होती है कोरोना मरीजों के दिन की शुरुआत



कोरोना मरीजों को ठीक करने में म्यूजिक थेरेपी का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) में भर्ती कोरोना मरीजों की सुबह महामृत्युंजय जाप से शुरू होती है। इसके साथ ही दिन में कई बार शास्त्रीय संगीत की धुन बजती हैं।इसका मरीजों को लाभ भी मिल रहा है। मनोवैज्ञानिक भी कोरोना मरीजों के लिए म्यूजिक थेरेपी को बेहतर बता रहे हैं।

जिम्स से अब तक 1,100 से अधिक मरीजों को ठीक करके घर भेजा जा चुका है। कोरोना के 250 बेड के इस वार्ड में अस्पताल प्रबंधन मरीजों के इलाज में हर रोज बेहतर करने की कोशिश में जुटा है। अस्पताल में प्लाज्मा थेरेपी का भी प्रयोग हो रहा है। अब तक 100 से अधिक लोगों ने यहां पर प्लाज्मा दान किया है। दरअसल कोरोना मरीजों को 10 से 14 दिन तक भर्ती रहना पड़ता है। ऐसे में उनका समय पास होना भी मुश्किल होता है। कोरोना मरीजों को बेहतर महसूस कराने के लिए म्यूजिक थेरेपी का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके लिए समय तय किया हुआ है।

एक टीम वार रूम से नजर रखती है

जिम्स में कोरोना वार्ड की निगरानी के लिए वार रूम बना हुआ है। यहीं से निगरानी की जाती है। यहां पर डॉक्टरों की टीम 24 घंटे (8-8 घंटे की शिफ्ट) रहती है। वह वार्ड में निगरानी रखते हैं। यहीं से एनाउंसमेंट हो जाता है तो मेडिकल स्टाफ वहीं से बात कर लेता है। अगर किसी मरीज को दिक्कत है तो उसे उपचार भी दे देते हैं। साथ ही तय समय पर डॉक्टर राउंड पर जाते हैं।

अस्पताल में शास्त्रीय संगीत की धुन भी बजती है

जिम्स के वार रूम से म्यूजिक थेरेपी भी दी जाती है। डॉ.राहुल ने बताया कि सुबह सबसे पहले महामृत्युंजय जाप सुनाया जाता है। इसके शुरू होते ही मरीज अपने-अपने बेड में बैठ जाते हैं। वह बड़े ही शांतिभाव से इसका अनुश्रवण करते हैं। इसके बाद दिन में शास्त्रीय संगीत की धुन बजाई जाती है। इसका समय तय किया हुआ है। इससे मरीजों को लाभ मिलता है।

ठीक को चुके मरीजों की सहायता कर रहे व्हाट्सएप ग्रुप

अस्पताल से ठीक होकर जा चुके मरीजों ने व्हाट्सएप ग्रुप बना लिया गया है। मरीजों के तीन ग्रुप बने हुए हैं। दिक्कत होने पर इनके जरिये वह डॉक्टरों से परामर्श लेते हैं। जिम्स के नोडल अफसर डॉ. सौरभ श्रीवास्वत ने बताया कि व्हाट‘स ग्रुप ठीक होकर जा चुके मरीजों के लिए लाभकारी साबित हो रहे हैं। बिना अस्पताल आए वह परामर्श ले लेते हैं। साथ ही जिम्स को भी अपने मरीजों का फीडबैक मिल जाता है। यह दोनों के लिए लाभकारी है।

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