दिल्ली-एनसीआर से ज्यादा वेस्ट यूपी में पॉल्यूशन, मुरादाबाद देश में सबसे प्रदूषित, मुजफ्फरनगर और बागपत में हवा खतरनाक, देखें देशभर के शहरों का हाल

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दिल्ली-एनसीआर से ज्यादा पोलूशन पश्चिम उत्तर प्रदेश के जिलों में पहुंच गया है। बुधवार को देश में सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर मुरादाबाद रहा है। मुरादाबाद की हवा खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है। जिसके चलते लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। देश में दूसरे नंबर पर मुजफ्फरनगर और तीसरे नंबर पर बागपत हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बुधवार को शाम 4:00 बजे पिछले 24 घंटों के दौरान देशभर के 114 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक जारी किया है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक देश में सोमवार को अम्बाला सबसे प्रदूषित शहर रहा है। अम्बाला का वायु गुणवत्ता सूचकांक 452 रहा है। मुरादाबाद का वायु गुणवत्ता सूचकांक 452 रहा है। तीसरे नम्बर पर मुजफ्फरनगर है। मुजफ्फरनगर कब आए गुणवत्ता सूचकांक 412 रिकॉर्ड किया गया है। बागपत का वायु गुणवत्ता सूचकांक 420 रहा है। मेरठ में 374, लखनऊ में 317, आगरा में 276 और बुलंदशहर में 352 रिकॉर्ड किया गया है। दूसरी ओर दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक 343 दर्ज किया गया है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के शहरों में गाजियाबाद का वायु गुणवत्ता सूचकांक 389, ग्रेटर नोएडा का 368, गुरुग्राम का 296, नोएडा का 345, बहादुरगढ़ का 340 बल्लभगढ़ का 288 और सोनीपत में एक्यूआई 330 रिपोर्ट किया गया है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, गुरूग्राम और फरीदाबाद में हवा की गुंणवत्ता में मामूली सुधार हुआ है, लेकिन इसका स्तर खराब से बहुत खराब की श्रेणी में बना हुआ है। केंद्र सरकार की एजेंसी ने इसकी जानकारी दी है। वायु गुणवत्ता की देख रेख करने वाले केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बताया कि दिल्ली के पांच पड़ोसी शहरों की हवा में पीएम-10 और पीएम 2.5 की मात्रा बहुत अधिक थी ।

सूचकांक के अनुसार, शून्य से 50 के बीच वायु गुणवत्ता सूचकांक को 'अच्छा' 51 से 100 के बीच संतोषजनक, 101 से 200 के बीच मध्यम, 201 से 300 के बीच खराब, 301 से 400 के बीच बहुत खराब तथा 401 से 500 के बीच को खतरनाक माना जाता है। इन शहरों में लोगों को बहुत परेशानियों का सामना करना पद रहा है। लोग आँखों में जलन महसूस कर रहे हैं। साँस लेने में परेशानी महसूस कर रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि खासतौर से बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं के लिए यह प्रदूषण बेहद खतरनाक है।

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