एमिटी विश्वविद्यालय में मृदा एवं जलवायु पर वेबिनार का आयोजन

नोएडा | 4 साल पहले | Anika Gupta

Tricity Today | डा रतनलाल



पर्यावरण के विकास सहित कृषि विकास के क्षेत्र में मृदा की भूमिका अतिमहत्वपूर्ण होती है। मृदा के स्वास्थय को बनाये रखने के संर्दभ में किये जा रहे शोधों की जानकारी प्रदान करने के लिए एमिटी फूड एंड एग्रीकल्चर फांउडेशन द्वारा वेबिनार का आयोजन किया गया। 

इस वेबिनार में वर्ल्ड फूड प्राइज 2020 के प्राप्तकर्ता एंव ओहियो स्टेट विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डा रतन लाल ने ‘‘मृदा एंव जलवायु’’ पर व्याख्यान प्रदान किया। इस अवसर पर एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा अशोक कुमार चौहान एंव एमिटी सांइस टेक्नोलाॅजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती ने डा रतन लाल का स्वागत किया। कार्यक्रम में एमिटी फूड एंड एग्रीकल्चर फांउडेशन की महानिदेशिका डा नूतन कौशिक भी उपस्थित थी।

वल्र्ड फूड प्राइज 2020 के प्राप्तकर्ता एंव ओहियो स्टेट विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डा रतन लाल ने ‘‘ मृदा एंव जलवायु’’ पर जानकारी देते हुए कहा कि ग्रीनहाउस प्रभाव एक बायो जियोग्राफीकल प्रक्रिया है जो पृथ्वी पर जीवन के क्रमागत उन्नति के लिए आवश्यक है। इस प्रक्रिया के द्वारा किसी ग्रह या उपग्रह के वातावरण में मौजूद गैसें वातावरण के तापमान को अपेक्षाकृत अधिक बनाने में मदद करती है। उन्होनें कहा कि धरती के वातावरण को ग्रीनहाउस भी प्रभावित करता है। 

डा लाल ने कहा कि ग्रीनहाउस के प्रभाव के तेजी के कारण वैश्विक तापमान 0.1 डिग्री सेल्सीयस प्रति दशक की दर से बढ़ रहा है इस तेजी को हमारा पारिस्थितिकी तंत्र समायोजित नही कर सकता। वैश्विक तापमान में 1 डिग्र्री सेल्सीयस की बढ़ोत्तरी से वानस्पतिक क्षेत्र 200 से 300 किमी धु्रवीय हो सकते है। 

उन्होनें कहा कि एक लघु अवधी के च्रक में विभिन्न जलाशयों में कार्बन पूल भिन्न होते है जैसे समुद्र में 42000 पूल, जीवाश्र्म इंधन में 5000 पूल, मृदा में 4000 पूल, वायुमंडल में 800 पूल एंव बायोटा में 620 पूल होते है। डा रतनलाल ने कहा कि लघु अवधि के वैश्विक कार्बन च्रक के प्रबंधन हेतु कार्बनडायआक्साइड खाद जिससे जल, पोषण एंव जाति का प्रबंधन होगा, जलवायु परिवर्तन का प्रबंधन, सिलिकेट अपक्षय में तेजी, जियोइंजिनियरिंग एंव मृदा का प्रबंधन करना होगा।

डा रतनलाल ने कहा कि लंबे समय तक रहने वाले पूलों में वायुमंडलीय कार्बनडायआक्साइड का अनुक्रम करने के लिए जियोलाॅजिक सिक्वेसट्रेशन, केमिकल सिक्वेसट्रेशन, ओशिानिक सिक्वेसट्रेशन, बायोटिक सिक्वेसट्रेशन एंव पिडियोलाॅजिक सिक्वेसट्रेशन आवश्यक है। 

डा रतनलाल ने भारतीय कृषि क्षेत्र के संर्दभ में बताते हुए कहा कि भारत मे कृषि के विकास हेतु पौधे अवशेषों को जलाने, बाढ़ आधारित सिंचाई, ईट बनाने के लिए उपरी मृदा को हटाने, जल या मृदा पर उर्वरक के प्रसारण, पारंपरिक ईंधन के जलाव, आवारा धूमते अनियित्रिंत पशुओं, प्लास्टिक कवर के नीचे खुले में अनाज के संचयन पर, बाढ़ सिचांई और नाइट्रोजन फर्टीलाइजर पर दी जाने वाली सब्सिडी पर और पौधे के अवशेषों के अन्य उपयोग पर रोक लगानी होगी। 

इसके अतिरक्त संरक्षित कृषि को अपनाना होगा, भूमि पर पौधे अवशेषों एंव जानवरों के अपशिष्ट को पुनःचक्रित करना होगा। ग्रामीण क्षेत्रों के लिए स्वच्छ ईंधन प्रदान करना होगा, शहरीकरण से कृषि भूमि को बचाना होगा, उपरी क्षेत्रों पर पेड़ लगाना होगा, विद्यालय एंव काॅलेज स्तर पर मृदा एंव पर्यावरण आधारित शिक्षा देनी होगी, पर्यावरण की सेवा हेतु किसानों को राशि देनी होगी, मृदा एंव प्रकृति के संरक्षण हेतु धार्मिक संस्थानों को प्रोत्साहित करना होगा, निती निर्धारकों से बात करनी होगी और मृदा संरक्षण के लिए समुदाय एंव पंचायतों को जोड़ना होगा तभी भारतीय कृषि व्यवस्था सुदृढ़ होगी। एमिटी के वैज्ञानिकों द्वारा कृषि, मृदा एंव जल संरक्षण आदि के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य किया जा रहा है। विज्ञान को लाभ तभी है जब उससे लोग जागरूक हो और उन्हें जानकारी उपलब्ध हो सके।

एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा अशोक कुमार चौहान ने अतिथियों एंव छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि एमिटी के वैज्ञानिक एंव शोधार्थियों द्वारा कृषि और उससे सबंधित क्षेत्रों में उत्पन्न चुनौतीयों के निराकरण के लिए शोध कार्य किया जा रहा। हम विभिन्न सम्मेलनों एंव प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से कृषकों को ना केवल प्रशिक्षित करते है बल्कि उनके खेतों में जाकर समस्या का निवारण प्रदान करते है। कृषि किसी भी राष्ट्र के विकास हेतु सबसे अधिक महत्वपूर्ण है इसलिए एमिटी द्वारा छात्रों को कृषि के क्षेत्र में शोध एंव नवोन्मेष के लिए प्रेरित किया जाता है। इस अवसर पर कार्यक्रम में नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चरल सांइसेस के डा हिमांशु पाठक सहित एमिटी विश्वविद्यालय राजस्थान के डा गजेंद्र एसेरी ने अपने विचार व्यक्त कियेे।

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