नोएडा BREAKING : सुपरटेक ट्विन्स टॉवर मामले की जांच पर आम आदमी पार्टी को भरोसा नहीं, अथॉरिटी और सरकार से पूछे ये सवाल

नोएडा | 3 साल पहले | Mayank Tawer

Tricity Today | (Aam Admi Party



Noida News : सुपरटेक एमेरल्ड कोर्ट हाउसिंग सोसायटी में अवैध रूप से बनाए गए ट्विंस टावर (Supertech Twins Tower Case) मामले की जांच को लेकर आम आदमी पार्टी (Aam Admi Party) ने बड़े सवाल खड़े किए हैं। बुधवार को आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता प्रोफेसर एके सिंह ने नोएडा मीडिया क्लब (Noida Media Club) में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। पत्रकार वार्ता के दौरान उन्होंने नोएडा अथॉरिटी (Noida Authority) के मौजूदा अधिकारियों और राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। अथॉरिटी और सरकार से कई सवाल पूछे हैं। साथ ही एसआईटी की जांच को बोगस करार दिया है।

"एसआईटी की रिपोर्ट बड़ा छलावा है"
आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता प्रोफेसर एके सिंह ने कहा, "आप सभी जानते हैं कि सुपरटेक एमरोल्ड कोर्ट के सियान और एपेक्स टावर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ध्वस्तीकरण आदेश दिया है। अदालत ने नोएडा प्राधिकरण के भ्रष्टाचार पर तल्ख टिप्पणी की। जिसके बाद योगी सरकार ने एसआईटी जांच के आदेश दिए थे। जिसकी रिपोर्ट दो दिन पहले ही मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक हुई है। जिसमें लगभग 26 लोगों पर कार्रवाई की संस्तुति है। जिसमें कई ऐसे अफसरों का नाम नहीं है, जिन पर कार्यवाई होनी चाहिए थी। इसलिए यह रिपोर्ट एक बड़ा छलावा है।"

मौजूदा सीईओ ऋतु महेश्वरी पर कार्रवाई क्यों नहीं
प्रोफेसर एके सिंह ने खक, "एसआईटी जांच में वर्तमान सीईओ ऋतु माहेश्वरी पर कार्रवाई की कोई संस्तुति नहीं की गई है। इसलिए इस जांच पर यह सबसे बड़ा प्रश्न चिन्ह है। इनके कार्यकाल में कोर्ट में प्राधिकरण द्वारा बिल्डर के सपोर्ट में डाक्यूमेंट्स लगाए गए, जो भ्रष्टाचार साबित करने के पूर्ण प्रमाण हैं। जिससे इनकी संलिप्तता है और इन पर भी निलंबन कि कार्रवाई बनती है। जिन प्रमुख लोगों पर कार्रवाई करने कि संस्तुति एसआईटी ने की है, वे लोग या तो रिटायर हो चुके है या वे पूर्वर्ती सरकारों के चहेते हैं। यही नहीं पूर्व के सीईओ बलविंदर कुमार, राकेश बहादुर, रमा रमन और दीपक अग्रवाल सहित कई अन्य के भ्रष्टाचार पर भी कोई जांच नहीं की गई है। केवल मोहिन्दर कुमार पर ही सारा दोष मढ़ दिया गया है। चूंकि मोहिन्दर सिंह के समय में कई घोटाले हुए थे। इनका नाम रजिस्टर्ड घोटालेबाजों मे था। इसलिए एसआईटी ने भ्रष्टाचार का सारा ठीकरा इनके सिर पर फोड़ दिया और बाकी को छोड़ दिया है। यही नहीं उस समय के कई एसीईओ और डीसीईओ के नाम भी गायब हैं। जिनको जांच के परिधि में आना चाहिए।"

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस की निगरानी में हो जांच
प्रोफेसर एके सिंह ने आगे कहा कि योगी सरकार की यदि सच में भ्रष्टाचार पर कार्रवाई करने की नियत है तो वर्ष 2000 से लेकर 2012 तक ग्रुप हाउसिंग के लिए भूखंडों की आवंटन प्रक्रिया में बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों में बदलाव, एफएआर के नाम पर कैसे फायदा पहुंचाया गया, नक्शे में बदलाव और अनुमोदन के खेल से लेकर अन्य नियमों में बदलाव करके बिल्डरों को फायदा पहुंचाया है, इसकी संपूर्ण जांच होनी चाहिए। इस खेल में जो अधिकारी शामिल रहे हैं, सबकी जांच माननीय उच्चतम न्यायालय के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की देखरेख में सीबीआई से कराई जाए। नहीं तो यह जांच एक छलावा है। योगी सरकार केवल प्रदेश की जनता को गुमराह कर रही है।"

प्राधिकरण के हर प्रोजेक्ट में भारी कमियां हैं
आपको बता दें कि नोएडा प्राधिकरण के अंतर्गत 250 से ज्यादा ग्रुप हाउसिंग सोसायटी का विकास हो रहा है और अधिकतर के निर्माण में भारी अनियमितताएं हैं। कई ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी में टावरों के बीच की दूरी मानकों के हिसाब से कम होने के बाद अलग से एक टावर को दूसरे टावर में जोड़कर प्राधिकरण द्वारा रफा-दफा करने के मामले संज्ञान में हैं। जिस पर कार्रवाई बनती है।"

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