Tricity Today | स्कूल छोड़कर बच्चे संवार रहे अपना आशियाना
Noida News : देश के हर राज्य से रोजगार तलाशने और बेहतर जिंदगी जीने की तमन्ना लिए लोग हाईटेक शहर नोएडा में आते हैं। अच्छी और खुशहाल जिंदगी हर किसी का ख्वाब होता है। आम आदमी का सपना इस हाईटेक शहर में सिर छुपाने के लिए एक अदद छत का होता है। ऐसे में अगर सस्ते में जमीन मिल जाए तो सोने पर सुहागा हो जाता है। लेकिन, जब उन्हें दुश्वारियां घेर लेती हैं, तब उससे पार पाना आसान नहीं होता है। ऐसी ही दास्तान हिंडन नदी के डूब क्षेत्र में बनी चोटपुर कालोनी की है।
उन्हें नहीं पता था, आशियाने को डुबो देगा हिंडन का पानी
चोटपुर कालोनी में रहने वाले राजू ने बताया कि यहां पर एक घर बनाने में 10 से 12 लाख रुपए की लागत आती है। ऐसी कॉलोनियों में रहने वाले लोग रिक्शा चलाकर, सब्जी, फल की ठेली लगाकर, प्लंबरिंग और मजदूरी करके जिंदगी बसर करते हैं। उनका कहना है कि तिनका—तिनका जोड़कर बनाए गए घरौंदों को हिंडन नदी में आई बाढ़ ने अपने आगोश में ले लिया। उन्हें नहीं पता था कि हिंडन का पानी कभी उनके आशियाने को डूबो देगा। आठ साल पहले चार लाख में खरीदी थी 25 गज जमीन
मूल रूप से बुलंदशहर के रहने वाले शुभ राजभर कुमार ने बताया कि वह करीब 8 साल से चोटपुर कालोनी में रह रहे हैं। उन्होंने 25 गज जमीन 4 लाख रुपए में खरीदी थी। उस पर एक मकान बनाया। उसमें वह अपने परिवार और माता-पिता के साथ रहते हैं। यह जमीन खरीदने के लिए उन्हें तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ा। अब जब बाढ़ का पानी आया तो उन्होंने अपना सामान रिक्शे में लादकर अपने रिश्तेदारों के वहां रख दिया। पानी कम हुआ तो वापस आये। उनका सवाल है कि अगर जमीन अवैध है तो फिर उसकी रजिस्ट्री क्यों की गई। उस वक्त सरकार कहां थी? लोगों का पता है कि यह डूब क्षेत्र में है, लेकिन उन्हें तो घर चाहिए था। उन्होंने यह भी बताया कि यहां पर बिजली नहीं होती है। अब बिजली भी सरकार द्वारा लोगों को दी गई है, इसे वह चोरी की बिजली कहते हैं।
बाढ़ के बाद बीमारियों का खतरा
प्रशासन की तरफ से लोग यहां पर आते हैं, चले जाते हैं। अब से पहले किसी ने सोचा भी नहीं था कि 45 साल बाद ये पूरा इलाका डूब जाएगा। किसी के जेहन में यह बात नहीं आई थी कि नाले की तरह बहने वाली हिंडन नदी इतना विकराल रूप ले लेगी। देश की दूसरी सबसे अधिक प्रदूषित नदी
आपको बता दें कि हिंडन नदी भारत में सबसे प्रदूषित नदियों की सूची में दूसरे नंबर पर आती है। इस नदी में इतना पानी आने के बाद भी गंदगी और प्रदूषण कम नहीं हुआ। बाढ़ के पानी के साथ कूड़ा घरों तक आ गया। पूरी नदी में कूड़ा कचड़ा भरा पड़ा है। बाढ़ का पानी तो चला गया, लेकिन अपने साथ लाए कूड़े और गंदगी को छोड़ गया। अब ये सड़ रहे हैं। इसे बीमारियों का खतरा पैदा हो गया हैं। कोई और विकल्प नहीं
बाढ़ की विभीषिका झेल रहे लोगों का कहना है कि अगर उनकी जमीन अवैध है तो उस समय प्रशासन कहां था, जब कालोनियां कट रही थीं। उनका यह भी सवाल है कि अगर ये कालोनी अवैध है तो फिर इसकी रजिस्ट्री क्यों की गई। अगर प्रशासन की तरफ से उसी समय आपत्ति की गई होती तो वे अपने लाखों रुपए क्यों खर्च करते। बाढ़ का पानी उतरने के बाद अब घरों के गिरने का खतरा पैदा हो गया है। बावजूद इसी में रहने की मजबूरी है। उनका कहना है कि भविष्य में दुश्वारियां चाहे जितनी भी हों, इसी घर में रहना होगा।