Noida News : चंद्रयान-3 के स्वागत के लिए चांद तैयार है। सावन के महीने में भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व है। भगवान शिव और चांद का रिश्ता भी आदिकाल से ही है। इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है। पौराणिक मान्यता है कि जब समुद्र मंथन हुआ और उसमें से विष निकला तो ब्रह्मांड के अस्तित्व को बचाने के लिए महादेव ने हलाला अर्थात विष को धारण किया। विष को अपने कंठ में धारण करने के बाद भगवान शिव को जो पीड़ा हुई, उसके निवारण के लिए देवताओं ने चंद्रमा से अनुरोध किया कि आप उन्हें शीतलता प्रदान करें। चंद्रमा की शीतलता से अग्नि का ताप भी ठंडा पड़ जाता है। इसी कारण चंद्र देव और अन्य सभी ने भगवान शिव से चंद्र को अपने शीश पर स्थापित करने की प्रार्थना की। उसके बाद महादेव ने अपने मस्तक पर अर्ध चंद्र को स्थान दिया था।
सावन के महीने में चांद से मिलने गया चंद्रयान
सावन के महीने में भारत का चंद्रयान-3 चांद से मिलने गया है। वह अब अंतिम पड़ाव पर है। लक्ष्य से बस चंद कदम की दूरी पर है। शिव देवों के देव हैं, जो ब्रह्मांड की रचना, सुरक्षा और परिवर्तन करते हैं। हर तरफ भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद पाने के लिए समस्त मानव जाति जतन कर रही है। जगह-जगह रुद्राभिषेक यज्ञ और हवन हो रहा है। सभी को विश्वास है कि भगवान शिव की धरती से गए चंद्रयान-3 का चंद्र देव स्वागत करेंगे।
बस कुछ लम्हों की दूरी पर चांद
इसरो के वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत का परिणाम है कि आज हर भारतवासी उस लम्हें का बेसब्री से इंतजार कर रहा है। हर कोई उस अभूतपूर्व और ऐतिहासिक पल का गवाह बनने को उत्सुक है। वो गौरवपूर्ण क्षण अब बस कुछ ही लम्हों की दूरी पर है। जब भारत चंद्रमा की धरती पर कदम रखेगा और चांद भारत के चंद्रयान-3 को अपने आगोश में ले लेगा। पूरी दुनिया भारत की ओर टकटकी लगाए देख रही है। इस मिशन की सफलता के बाद भारत रूस, अमेरिका और चीन के बाद चांद की धरती पर कदम रखने जा रहा है। बुधवार 23 अगस्त को चंद्रयान-3 चंद्रमा के साउथ पोल पर शाम 6:04 बजे उतरेगा। साउथ पोल पर उतरने वाला भारत पहला देश होगा। बता दें कि भारतीय स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेश (ISRO) ने भारत के तीसरे मून मिशन (India Lunar Mission) चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) को 14 जुलाई को लॉन्च किया गया था। इस लम्हे को पूरी दुनिया को दिखाने के लिए शाम सवा पांच बजे से इसका सजीव प्रसारण करेगा।