बड़ी खबर : इंडस्ट्रियल प्लॉट के लिए जरूरी हुआ यह सर्टिफिकेट, हादसों को रोकने के लिए नोएडा प्राधिकरण ने उठाया कदम

नोएडा | 3 साल पहले |

Tricity Today | Noida Development Authority



Noida News: इंडस्ट्रियल प्लॉट्स (Industrial Plots) में काम शुरू होने से पहले अब उद्यमियों को कंपलीशन सर्टिफिकेट (Completion Certificate) हासिल करना होगा। इस सर्टिफिकेट को क्रियाशील सर्टिफिकेट से पहले लेना होगा। उसके बाद ही उद्यमी कंपनी (Company) में काम शुरू कर सकेंगे। यह नियम नए आवंटित औद्योगिक भूखंडों पर ही लागू होगा। पिछले वर्षों में हुए हादसों से सबके लेते हुए नोएडा प्राधिकरण (Noida Development Authority) ने यह व्यवस्था लागू किया है। अब तक काम शुरू करने के लिए सिर्फ क्रियाशील सर्टिफिकेट की ही जरूरत पड़ती थी।

समिति ने रिपोर्ट सौंपी
बताते चलें कि बीते साल 31 जुलाई, 2020 को नोएडा के सेक्टर-11 के एफ ब्लॉक में अतिरिक्त निर्माण के दौरान एक हादसा हो गया था। इसमें तीन लोगों की मौत हो गई थी। पांच लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इसके बाद नोएडा प्राधिकरण की सीईओ ऋतु महेश्वरी (CEO Ritu Maheshwari IAS) ने हादसों को रोकने और नियमन को लेकर एक समिति गठित की थी। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) को सौंप दी है। 

साइट विजिट के बाद मिलेगा सर्टिफिकेट
नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) के अधिकारियों ने बताया कि अब इंडस्ट्रियल प्लॉट्स के आवंटन में बदलाव किया गया है। प्लॉट एलॉट होने के बाद उद्मियों को क्रियाशील सर्टिफिकेट से पहले नियोजन विभाग से कंपलीशन सर्टिफिकेट (Completion Certificate) लेना होगा। कंपलीशन सर्टिफिकेट हासिल करने के बाद औद्योगिक विभाग में आवेदन करना होगा। इसमें आवेदन मिलने के बाद विभाग की टीम साइट विजिट कर स्थिति की समीक्षा करेगी। अगर सब ठीक पाया गया, तो उसके बाद संबंधित कंपनी को क्रियाशील सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा।

पार्ट कंपलीशन के लिए भी मिलेगा
नोएडा प्राधिकरण के एक अधिकारी ने बताया कि कंपनी पूरे परिसर के लिए एक साथ न लेकर पार्ट कंपलीशन सर्टिफिकेट भी ले सकती है। नक्शा स्वीकृत कराने के बाद अगर बाद में उद्यमी कंपनी में अतिरिक्त निर्माण करवाते हैं, तो उन्हें फिर से नियोजन विभाग से अनुमति लेनी होगी। इसका उल्लघंन होने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।

पुराने आवंटन में नहीं लागू होगा
शहर के सेक्टर-1 से 11 तक में औद्योगिक भूखंडों का आवंटन साल 2000 से पहले किया गया था। यहां फेज वन के तहत प्लॉट आवंटित हुए थे। इन सेक्टर में 5 हजार से ज्यादा फैक्ट्री और इकाइयां हैं। इन सबको वर्ष 1979-90 के बीच आवंटित किया गया था। उस वक्त कंपलीशन सर्टिफिकेट लेने का प्रावधान नहीं था। ऐसे में उद्यमियों ने बिना नक्शा पास कराए शेडबैक की जमीन तक निर्माण करा लिया। इसी वजह से प्राधिकरण को यह बदलाव करना पड़ा।

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