नाकामी : नोएडा वालों को हेलीकॉप्टर उड़ाने के लिए करना पड़ेगा और इंतजार, पढ़िए खास खबर

नोएडा | 2 साल पहले | Nitin Parashar

Tricity Today | प्रतीकात्मक फोटो



Noida News : नोएडा के निवासियों को हेलीकॉप्टर से उड़ान भरने के लिए अभी और लंबा इंतजार करना पड़ेगा। पिछले 2 वर्षों में देश का सबसे बड़ा हेलीपोर्ट बनाने की योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है। दरअसल, कंपनियां आगे नहीं आ रही हैं। पहले तो हेलीपोर्ट बनाने के लिए एक ही कंपनी टेंडर डाल रही थी। सरकार ने एक कंपनी वाले टेंडर को क्वालीफाई मान लिया, लेकिन अब कंपनी टेक्निकल क्वालीफिकेशन में फेल हो गई है।

बार-बार फेल हो रहा है अथॉरिटी का ग्लोबल टेंडर
शहर वासियों को नोएडा में हेलीकाप्टर सेवा के लिए अभी लंबा इंतजार करना पड़ेगा। हेलीपोर्ट योजना में सिगल बिड की अनुमति मिलने के बावजूद अब कंपनी फाइनेंसियल बिड में क्वालिफाई नहीं कर सकी है। राइट्स की रिपोर्ट के आधार पर कंपनी को अयोग्य कर दिया गया है। नोएडा अथॉरिटी की यह पहली ऐसी योजना है, जिसके लिए ग्लोबल टेंडर जारी हुआ। बार-बार टेंडर निकालने के बावजूद देश और दुनिया की कंपनियां प्रोजेक्ट में दिलचस्पी नहीं ले रही हैं।

अब 3 महीने में फिर जारी होगा ग्लोबल टेंडर
अब नोएडा अथॉरिटी दोबारा टेंडर जारी करेगी। इसमें तीन माह का समय दिया जाएगा। प्राधिकरण के एक जिम्मेदार अधिकारी ने बताया कि राइट्स ने रिपोर्ट दी और कम्पनी को अयोग्य बताया। यह फाइल मुख्य कार्यपालक अधिकारी रितु माहेश्वरी के पास भेजी गई थी। अब फाइल शासन को भेज दी गई है। अब दोबारा ग्लोबल टेंडर निकाला जाएगा।

टेंडर की शर्तों को और ढीला करेगी अथॉरिटी
प्राधिकरण के अधिकारी ने बताया कि योजना के लिए दोबारा ग्लोबल टेंडर जारी होंगे। इसके लिए योजना की रिक्वेस्ट फार प्रपोजल (आरएफपी) को आसान बनाया जाएगा, ताकि ज्यादा से ज्यादा कंपनी आवेदन करें। यदि इसके बावजूद एक ही कंपनी बिड में हिस्सा लेती है तो उसे परियोजना की जिम्मेदारी सौंप दी जाएगी। आपको बता दें कि नोएडा के सेक्टर-151ए में हेलीपोर्ट का निर्माण करवाया जाएगा। इसके लिए 43.13 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसका डिजाइन बेल हेलीकॉप्टर 412 (12 सीटर) के हिसाब से तैयार किया गया है। हेलीपोर्ट में 5 बेल 412 हेलीकॉप्टर की पार्किंग के लिए एप्रन की सुविधा विकसित होगी। इस हेलीपोर्ट में वीवीआईपी और आपातकाल के समय 26 सीटर एमआई-172 हेलीकॉप्टर भी लैंड कर पाएगा।

जेवर एयरपोर्ट की तरह होगा हेलीपोर्ट का निर्माण 
जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे की तरह ही नोएडा में हेलीपोर्ट का निर्माण किया जाएगा। हेलीपोर्ट के लिए नोएडा विकास प्राधिकरण जमीन उपलब्ध करवाएगा। जल्दी ही टेंडर निकाला जाएगा। जिसमें प्रति यात्री सबसे ज्यादा फीस देने वाली कंपनी को ठेका मिलेगा। यह फीस कंपनी विकास प्राधिकरण को देगी। कंपनी को अगले 30 वर्षों के लिए इस हेलीपोर्ट का संचालन करने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। यही मॉडल जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के लिए अपनाया गया है। हवाईअड्डे के लिए जमीन सरकार और जिले के तीनों विकास प्राधिकरण होने दी है। जूरिख इंटरनेशनल एयरपोर्ट एजी ने प्रति यात्री सर्वाधिक बोली लगाकर टेंडर हासिल किया है। 

दुनिया का सबसे बड़ा हेलीकॉप्टर एमआई-172 उतर सकेगा 
नोएडा हेलीपोर्ट का उपयोग बहुउद्देशीय होगा। यहां से कमर्शियल उड़ान होंगी। जिनके लिए बेल-412 हेलीकॉप्टर उपयोग होते हैं। इन हेलीकॉप्टर्स में 12 यात्री सवार हो सकते हैं। साथ-साथ वीवीआईपी मूवमेंट के लिए इस्तेमाल होने वाले दुनिया के सबसे बड़े हेलीकॉप्टर एमआई-172 भी यहां लैंड-टेकऑफ कर सकेगा। इन हेलीकॉप्टर की क्षमता 26 यात्रियों को लाने या ले जाने की होती है। इन बड़े हेलीकॉप्टर की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए नोएडा हेलीपोर्ट का डिजाइन तैयार किया गया है। 

20 यात्रियों के लिए टर्मिनल बिल्डिंग बनाई जाएगी 
इस हेलीपोर्ट से लगातार 20 यात्री आवागमन कर सकेंगे। इनके लिए टर्मिनल बिल्डिंग बनाई जाएगी। टर्मिनल बिल्डिंग 500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में बनाई जाएगी। जिसमें सभी तरह की सुविधाएं होंगी। इस रिपोर्ट में 5 बेल-412 हेलीकॉप्टर खड़े करने के लिए पार्किंग की सुविधा रहेगी। यह रिपोर्ट आत्मनिर्भर होगा। इसमें पावर स्टेशन, फायर स्टेशन, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और दूसरी तमाम मूल सुविधाओं का विकास किया जाएगा। 

मेट्रो और एक्सप्रेसवे से जुड़ेगा हेलीपोर्ट, शानदार कनेक्टिविटी होगी 
शहर के सेक्टर-151ए में हेलीपोर्ट विकसित किया जा रहा है। इस इलाके की कनेक्टिविटी बहुत शानदार है। जिसका फायदा हेलीपोर्ट पर आने वाले यात्रियों को मिलेगा। यह हेलीपोर्ट नोएडा-ग्रेटर नोएडा मेट्रो लाइन के सेक्टर-147 स्टेशन से केवल 3 किलोमीटर दूर है। यमुना एक्सप्रेसवे से दूरी 7 किलोमीटर है। नोएडा शहर से दूरी 17 किलोमीटर है। जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से 43 किलोमीटर और इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से 51 किलोमीटर की दूरी है। ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे की दूरी करीब 20 किलोमीटर है। कुल मिलाकर दिल्ली-एनसीआर के शहर मेरठ, बागपत, सोनीपत, पानीपत, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, कुंडली, मानेसर, पलवल, आगरा, मथुरा, हाथरस और बुलंदशहर से हेलीपोर्ट तक पहुंचना बेहद आसान होगा। इन सारे शहरों से हेलीपोर्ट की दूरी 1 से 2 घंटे में तय होती है। नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे से हेलीपोर्ट सटा हुआ है। आवागमन के लिए चौड़ी सड़कें उपलब्ध हैं। 

हेलीपोर्ट में 50 कारों के लिए पार्किंग बनेगी 
इस हेलीपोर्ट में बेल और एमआई हेलीकॉप्टर पार्क करने के लिए हैंगर और एप्रेन बनाए जाएंगे। एक हेलीपैड 52 मीटर चौड़ा और 52 मीटर लंबा होगा। इनका टैक्सीवे 10-10 मीटर लंबा-चौड़ा होगा। एक एप्रेन 170 मीटर लंबा और 52 मीटर चौड़ा होगा। ऐसे 5 एप्रेन बनाए जाएंगे। हेलीपोर्ट पर बेल और एमआई हेलीकॉप्टर्स के लिए हैंगर भी बनेगा। एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर 15 मीटर ऊंचा होगा और यहां 50 कारों की पार्किंग सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी।

 

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