Supertech Twins Tower Case : एसआईटी ने 9 घंटों तक खंगाली नोएडा अथॉरिटी की फाइलें, आज ट्विन टावर को देखने जाएगी टीम

नोएडा | 3 साल पहले | Mayank Tawer

Tricity Today | Supertech Emerald Court



NOIDA : सेक्टर-93ए में स्थित सुपरटेक एमरॉल्ड मामले में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने जांच तेज कर दी है। मंगलवार को एसआईटी ने नोएडा प्राधिकरण में करीब 9 घंटों तक फाइलें खंगाली। इस दौरान प्राधिकरण के अधिकारियों की भूमिका की जांच की गई। स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम नोएडा प्राधिकरण के सीईओ और एसीईओ की भूमिका के बारे में भी जांच कर रही हैं। प्राधिकरण में तैनात सभी अधिकारियों की जांच की जा रही है। जब सीईओ की भूमिका की जांच की जा रही है तो इसमें कोई दोराय वाली बात नहीं है कि 2002 से 2017 तक का कोई भी अधिकारी जांच से बच पाएगा। 

सुबह 9 से शाम 7 बजे तक चली फाइलों की जांच
योगी आदित्यनाथ द्वारा गठित की गई एसआईटी टीम के अध्यक्ष संजीव मित्तल की अध्यक्षता में सुपरटेक मामले में जांच की जा रही है। मंगलवार की सुबह करीब 9 बजे सदस्य और पंचायत राज विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह, ग्राम एवं नगर नियोजक अनूप कुमार श्रीवास्तव और बाकी सदस्य नोएडा प्राधिकरण पहुंचे। सुबह 9:00 बजे से लेकर शाम की 7 बजे तक नोएडा प्राधिकरण में मौजूद फाइलों को एसआईटी टीम द्वारा खंगाला गया। 

सीईओ की भूमिका की जांच
बताया जा रहा है कि जांच के बाद समिति के अध्यक्ष संजीव मित्तल ने मंगलवार की देर रात 8:00 बजे सीईओ के साथ बैठक की है। इस बैठक से पता चलता है कि एसआईटी टीम सीईओ की भूमिका की भी जांच कर रही है। इस मामले में अभी तक नोएडा प्राधिकरण के कई अधिकारी राडार पर चढ़ चुके है। 

आज ट्विन टावर को देखने जाएगी टीम
बताया जा रहा है कि इस मामले में जांच के दौरान बुधवार को एसआईटी टीम सेक्टर-93ए में स्थित सुपरटेक एमेराल्ड कोर्ट के अवैध ट्विन टावर को देखने जाएगी। जहां पर पूरे मामले की छानबीन की जाएगी। इस दौरान नोएडा प्राधिकरण के अफसर भी मौके पर मौजूद रहेंगे। एसआईटी टीम जल्द से जल्द जांच करके पूरी रिपोर्ट शासन को भेजेगी।

ऐसे किया गया भूमि आवंटन
सुपरटेक एमरॉल्ड कोर्ट को 23 नवंबर 2004 को सेक्टर-93ए में पहले 48,263 वर्गमीटर जमीन आवंटन का आवंटन किया गया था। उस समय रिटायर्ड आईएएस देवदत्त नोएडा प्राधिकरण के चेयरमैन और सीईओ थे। पहली लीज डीड 16 मार्च 2005 को हुई। बिल्डर ने जमीन पर अगले ही दिन 17 मार्च 2005 को कब्जा हासिल किया था। 20 जून 2005 को बिल्डिंग प्लान को मंजूरी दी गई। 21 जून 006 को पूरक लीज डीड करवाई गई। जिसके तहत इस भूखंड में 6,556.51 वर्ग मीटर जमीन और जुड़ गई। भूखंड का कुल क्षेत्रफल बढ़कर 54,819.51 वर्ग मीटर हो गया। बिल्डर ने 23 जून 2006 को पूरी जमीन पर कब्जा ले लिया था।

एफएआर बढ़ाया और नक्शा बदलवाया गया
5 दिसंबर 2006 को अथॉरिटी ने इस भूखंड के लिए फ्लोर एरिया रेश्यो (एफएआर) 1.5 से बढ़ाकर 2 कर दिया। बिल्डर ने पहली बार संशोधित नक्शा दाखिल किया। जिसे 29 दिसंबर 2006 को मंजूरी दे दी गई। पहले नक्शे के मुताबिक ग्राउंड फ्लोर के ऊपर नौ मंजिला 14 टॉवर बनाने की इजाजत मिली थी। एफएआर बढ़ने के कारण ग्राउंड फ्लोर के ऊपर 11 मंजिला 16 टॉवर, एक कमर्शियल कॉम्प्लेक्स और एक पांच मंजिला अतिरिक्त आवासीय टॉवर बनाने की इजाजत मिल गई। जब पहली बार मानचित्र में बदलाव किया गया तो संजीव शरण नोएडा के सीईओ थे। 10 अप्रैल 2008 को 8 टॉवरों को अथॉरिटी ने कंप्लीशन सर्टिफिकेट दे दिया।
    
फिर नक्शा बदला गया

28 फरवरी 2009 को उत्तर प्रदेश सरकार ने एक अधिसूचना जारी की। जिसके जरिए एफएआर 2 से बढ़ाकर सीधे 2.75 कर दिया गया था। यह सुविधा नए आवंटियों को दी जानी थी लेकिन एक रियायत पुराने आवंटियों को दी गई। इन्हें एफएआर खरीदना होगा लेकिन वह शुरूआती एफएआर 1.5 का अधिकतम 33 फीसदी हो सकता है। मतलब, इस नए नियम के तहत सुपरटेक को 0.5 एफएआर और मिल सकता था। इस तरह यह बढ़कर 2 से 2.5 हो जाता। लेकिन 3 जुलाई 2009 को नोएडा अथॉरिटी ने निर्णय लिया कि 28 फरवरी 2009 की अधिसूचना के तहत पुराने आवंटियों को भी नए आवंटियों जितना 2.75 एफएआर दिया जाए। लिहाजा, पुराने आवंटियों के लिए क्रय योग्य एफएआर को बढ़ाकर 2.75 कर दिया जाएगा। हालाँकि, इस संबंध में सरकार की अधिसूचना तब तक प्रतीक्षित थी। इस बढ़े एफएआर को आधार बनाकर दूसरी बार मानचित्रों में बदलाव को मंजूरी 26 नवंबर 2009 को दी गई। उस वक्त सरदार मोहिंदर सिंह नोएडा के सीईओ थे।

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