महिला कांस्टेबल के जेंडर चेंज का मामला : डीजीपी ने खारिज की मांग, हाईकोर्ट ने सरकार को दी एक महीने की मोहलत

प्रयागराज | 6 महीना पहले | Deepak Sharma

Tricity Today |  इलाहाबाद हाईकोर्ट



Prayagraj News :  इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने सेक्स रिअसाइनमेंट सर्जरी (एसआरएस) (Sex Reassignment Surgery-SRS)को लेकर नियम बनाने के लिए राज्य सरकार को एक महीने का अतिरिक्त समय दिया है। कांस्टेबल के जेंडर चेंज करने संबंधी अर्जी पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह आदेश दिया है। मामले में अब अगली सुनवाई पांच जनवरी को होगी।

डीजीपी के आदेश को चुनौती
हाईकोर्ट में राज्य सरकार ने अनुपालन हलफनामा दाखिल किया। इसमें बताया गया कि याची की सेक्स चेंज अर्जी निरस्त कर दी गई है। इस पर कोर्ट ने याची के अधिवक्ता को इसी याचिका में संशोधन अर्जी दाखिल कर डीजीपी लखनऊ के आदेश को चुनौती देने की अनुमति दी है। महिला कांस्टेबल नेहा सिंह ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर लिंग परिवर्तन की  अनुमति मांगी थी। 

केंद्रीय कानून के मुताबिक अधिनियम बनाए यूपी
हाईकोर्ट ने इस केस की सुनवाई के दौरान अपने फैसले में यह भी कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले में लिंग पहचान को व्यक्ति की गरिमा का अभिन्न अंग माना गया है। हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण बनाम भारत संघ व अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में राज्य को सेक्स रिएसाइनमेंट सर्जरी (एसआरएस) के संदर्भ में राज्य सरकार को नियम बनाने के लिए कहा था। इस पर कोर्ट ने अगली तारीख तक सक्षम प्राधिकारी द्वारा याची के लंबित आवेदन पर उचित निर्णय लेने का निर्देश दिया था। जिसे खारिज कर दिया गया है। बता दें कि कोर्ट ने कहा था कि यदि यूपी में ऐसा नियम नहीं है तो राज्य को केंद्रीय कानून के मुताबिक अधिनियम बनाना चाहिए।

लिंग परिवर्तन कराना संवैधानिक अधिकार : कोर्ट
हाईकोर्ट ने 18 अगस्त के आदेश में कहा था कि लिंग परिवर्तन कराना संवैधानिक अधिकार है। अगर आधुनिक समाज में किसी व्यक्ति को अपनी पहचान बदलने के इस अधिकार से वंचित किया जाता है तो उसके मूल अधिकारों का हनन होगा। लिंग पहचान विकार सिंड्रोम कभी-कभी बेहद घातक हो सकती है। क्योंकि ऐसा व्यक्ति विकार, चिंता, अवसाद, नकारात्मक छवि और किसी की यौन शारीरिक रचना के प्रति नापसंदगी से पीड़ित हो सकता है। यदि इस तरह के संकट को कम करने के लिए मनोवैज्ञानिक उपाय असफल हो जाते हैं तो सर्जिकल दखलअंदाजी होनी चाहिए।

इसलिए पहुंची हाईकोर्ट
महिला सिपाही नेहा सिंह की तरफ से कोर्ट में कहा गया था कि वह जेंडर डिस्फोरिया से पीड़ित है। लिहाजा वह अपना लिंग परिवर्तन कराना चाहती है। नेहा ने पुलिस महानिदेशक को 11 मार्च 2023 को अपना प्रत्यावेदन देकर लिंग परिवर्तन की अनुमति मांगी थी। इस प्रार्थना पत्र पर काफी समय से कोई निर्णय न लिए लाने और विलंब होने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

10 डॉक्टरों के पैनल ने किया नेहा का मेडिकल
शासन के आदेश पर पीजीआई के 10 डॉक्टरों के पैनल ने नेहा का 10 अक्टूबर से 14 अक्टूबर तक पीजीआई में मेडिकल परीक्षण किया है। इसमें मनोवैज्ञानिक, गायनी की डॉक्टर भी शामिल थीं। 5 दिन तक चले मेडिकल परीक्षण के बाद बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट शासन का सौंप दी है। बोर्ड की रिपोर्ट इलाहाबाद हाईकोर्ट में रखी जानी है।

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