यूपीसीडा के आवंटी हैं तो यह खबर जरूर पढ़े : होने जा रहा बड़ा फैसला, मिलेगा अब तक का सबसे बड़ा लाभ

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Lucknow News : अगर आप उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण यूपीसीडा के आवंटी हैं, तो यह ख़बर आपके लिए बड़े मायने रखती है। यूपीसीडा अपने आवंटियों के हितों में बड़ा फ़ैसला लेने जा रहा है। उत्तर प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने और देश के निवेश के शीर्ष केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) ने अपने भूमि विकास एवं भवन विनियमन में बड़ा बदलाव करने का निर्णय लिया है। यूपीसीडा 2018 से लागू भूमि विकास एवं भवन विनियमन में संशोधन करते हुए भूमि विकास एवं भवन विनियमन 2024 लेकर आ रहा है। जिसमें प्राधिकरण का ग्राउंड कवरेज एफएआर (फ्लोर एरिया रेशियो) अन्य औद्योगिक विकास प्राधिकरणों जैसे नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण और गीडा के समकक्ष किया जाएगा। 

उच्चस्तरीय बैठक में प्रस्तुत किया गया प्रस्ताव
यह प्रस्ताव औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी की अध्यक्षता में आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में प्रस्तुत किया गया। बैठक में मुख्य सचिव एवं औद्योगिक विकास आयुक्त (आईडीसी) मनोज कुमार सिंह, यूपीसीडा के सीईओ मयूर महेश्वरी, इन्वेस्ट यूपी के सीईओ अभिषेक प्रकाश सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।

नई नियमावली से उद्यमियों और निवेशकों को मिलेगा बड़ा लाभ
नए संशोधन का उद्देश्य उद्यमियों, निवेशकों और बिल्डरों को अन्य औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के बराबर सहूलियतें प्रदान करना है। इसके तहत ग्राउंड कवरेज एफएआर को बढ़ाकर समान स्तर पर लाने की योजना है। इससे स्कूल, कॉलेज, अस्पताल संचालकों के साथ ही उद्योगपतियों को भी लाभ मिलेगा। मंत्री नंदी ने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश एक बीमारू राज्य की छवि से उबरकर देश का ग्रोथ इंजन बन चुका है। बेहतर औद्योगिक और निवेश माहौल ने प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया है। इस प्रतिस्पर्धा में यूपीसीडा को सशक्त बनाने के लिए ग्राउंड एफएआर और भवन विनियमन में संशोधन आवश्यक था।

अन्य प्राधिकरणों और वैश्विक मानकों के आधार पर बदलाव
यूपीसीडा के अधिकारियों ने बताया कि नई नियमावली तैयार करते समय अन्य औद्योगिक प्राधिकरणों की नीतियों और वैश्विक औद्योगिक शहरों के भवन विनियमों का तुलनात्मक अध्ययन किया गया। इसका उद्देश्य निवेशकों को अधिकतम लाभ प्रदान करना और अनावश्यक प्रक्रियाओं को सरल बनाना था। इसके अलावा उन परिसरों को हटाने का प्रस्ताव भी रखा गया है जिनका कोई उपयोग नहीं हो रहा या जिनकी बाजार में मांग नहीं है। वहीं निवेशकों को आकर्षित करने के लिए बिल्डिंग बायलॉज को और बेहतर बनाने पर भी चर्चा हुई।

प्रदेश के औद्योगिक विकास के लिए एक ऐतिहासिक कदम
मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा कि यह कदम प्रदेश में औद्योगिक विकास को नई गति प्रदान करेगा। संशोधित नियमावली से न केवल निवेशकों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी, बल्कि यह प्रदेश के अन्य औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के बीच यूपीसीडा को प्रतिस्पर्धी बनाएगी। औद्योगिक विकास मंत्री नंदी ने इस प्रस्ताव को मुख्यमंत्री के सामने जल्द से जल्द प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। साथ ही उन्होंने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि नई नियमावली का क्रियान्वयन सरल और निवेशकों के हित में हो।

प्रस्तावित नियमावली के मुख्य लाभ
1- उद्यमियों के लिए आसान प्रक्रियाएं : नए बायलॉज के तहत औद्योगिक और संस्थागत भवनों के निर्माण की प्रक्रिया तेज और सरल होगी।
2- एफएआर में वृद्धि : यूपीसीडा का ग्राउंड कवरेज एफएआर अन्य प्रमुख औद्योगिक प्राधिकरणों के बराबर होगा।
3- शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र को लाभ : स्कूल, कॉलेज, और अस्पताल संचालकों को अधिक भूमि उपयोग की अनुमति मिलेगी।
4- अनावश्यक परिसरों को हटाने का प्रावधान : जिन परिसरों की कोई मांग नहीं है, उन्हें हटाने से भूमि का बेहतर उपयोग होगा।

यूपीसीडा की नई पहल का असर
इस कदम से यूपीसीडा की छवि एक आधुनिक और निवेश-अनुकूल प्राधिकरण के रूप में उभरेगी। संशोधित नियमावली निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगी और उत्तर प्रदेश को औद्योगिक विकास में अग्रणी राज्यों की पंक्ति में स्थापित करेगी। यह बदलाव न केवल राज्य की आर्थिक संरचना को मजबूत करेगा, बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी भी बनाएगा।

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