Google Image | वर्ष 2023 तक पहले चरण का काम पूरा होगा
कॉरिडोर को मार्च 2023 तक चालू करने का लक्ष्य है
पूरे कॉरिडोर पर परिचालन 2025 से शुरू होगा
करीब 30,274 करोड़ रुपए खर्च होंगे
दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर 82.15 किमी लंबा है
दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ के बीच यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए बड़ी खुशखबरी है। उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी दिल्ली- गाजियाबाद -मेरठ आरआरटीएस (रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम) कॉरिडोर परियोजना के पहले चरण का काम वर्ष 2023 तक पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद इस रूट पर आम लोगों की आवाजाही शुरू हो जाएगी। इससे लाखों लोगों को लाभ मिलेगा। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस परियोजना को लेकर बेहद संजीदा हैं। उन्होंने प्रोजेक्ट के पहले चरण का परिचालन दो साल में शुरू करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए आरआरटीएस कॉरिडोर के निर्माण कार्यों में तेजी लाने का आदेश दिया गया है। मुख्यमंत्री स्वयं इसकी नियमित अंतराल पर समीक्षा कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है
इस रूट के शुरु होने से मेरठ और दिल्ली के बीच सफर करने वालों की जिंदगी आसान हो जायेगी। मुख्यमंत्री ने परियोजना का प्रस्ताव केंद्र सरकार से मंजूर करवा लिया था। अब उनकी कोशिश है कि यथाशीघ्र आरआरटीएस कॉरिडोर आम लोगों के लिए खोल दिया जाए। बताते चलें कि आरआरटीएस देश में लागू होने वाली अपनी तरह की पहली परियोजना है। वर्ष 2017 में योगी आदित्यनाथ ने भविष्य की जरुरतों को ध्यान में रखते हुए एनसीआर में क्षेत्रीय गतिशीलता को बढ़ाने के लिए आरआरटीएस कॉरिडोर के प्रोजेक्ट को कैबिनेट से पास करवाया था।
प्रधानमंत्री ने किया था शिलान्यास
प्रदेश के इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार ने मार्च, 2019 में मंजूरी दी। इसके बाद 8 मार्च, 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया। आवास विभाग के अधिकारियों के मुताबिक इस मार्ग पर रैपिड ट्रेनें 160 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ेंगी। इससे पूरे एनसीआर में रीजनल कनेक्टिविटी बढ़ेगी। केंद्र सरकार ने आरआरटीएस से देश के प्रमुख क्षेत्रीय केंद्रों को जोड़ने के लिए कुल आठ कॉरिडोर चिन्हित किए हैं। इनमें से दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर तीन प्राथमिकता वाले आरआरटीएस कॉरिडोर में से एक है। इसे फेज-1 में लागू किया जा रहा है। 82 किलोमीटर लंबा दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर देश का पहला आरआरटीएस कॉरिडोर है।
पहले चरण में 2023 तक शुरू होगी सेवा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस कॉरिडोर के साहिबाबाद और दुहाई के बीच 17 किलोमीटर लंबे खंड को प्राथमिकता में शामिल कर रहे हैं। इस कॉरिडोर को मार्च 2023 तक चालू करने का लक्ष्य है। दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर पर इसका परिचालन 2025 से शुरू करने की योजना है। फेज-1 के अन्य दो आरआरटीएस कॉरिडोर दिल्ली-गुरुग्राम-अलवर और दिल्ली-पानीपत है। दिल्ली-गुरुग्राम-अलवर कॉरिडोर पर निर्माण कार्य जारी है। दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर 82.15 किमी लंबा है। दिल्ली में 13 और यूपी में 69.15 किमी लंबी इस परियोजना पर कुल 30,274 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है।
30,274 करोड़ रुपए खर्च होंगे
इस परियोजना के अंतर्गत मेरठ में मेट्रो सेवाओं का भी संचालन किया जाएगा। इसके लिए मेरठ में 13 मेट्रो स्टेशन बनाए जाएंगे। जबकि, गाजियाबाद में मल्टीमॉडल एकीकरण से जुड़ा कार्य कराया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट पर उत्तर प्रदेश सरकार अब तक 1550 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है। भारत सरकार ने भी 2138 करोड़ रुपए की राशि का भुगतान किया है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में 4472 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। एनसीआरटीसी के प्रस्ताव के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2021-22 में 1326 करोड़ के बजट की व्यवस्था भी कर दी गई है।
तेजी से चल रहा है काम
पर्याप्त फंड मुहैया होने से इस आरआरटीएस कॉरिडोर के निमार्ण का कार्य तेजी से चल रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं प्रोजेक्ट के निमार्ण कार्य की समीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने इसमें तेजी लाने का आदेश दिया है। मुख्यमंत्री चाहते हैं कि इस मार्ग पर यात्रा करने वालों को यथाशीघ्र यह सुविधा मिलने लगे। दरअसल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम रेल सेवा तेज रफ्तार के साथ आरामदायक व सुरक्षित होगी। इससे ट्रैफिक जाम से छुटकारा मिलेगा और प्रदूषण को कम करने में भी मदद मिलेगी। इस शानदार मॉडल से मेरठ से दिल्ली की दूरी एक घंटे से भी कम समय में पूरी हो जाएगी।