यमुना अथॉरिटी के सीईओ रहे, यूपी कैडर में थे आईएएस

पूर्व केंद्रीय मंत्री और जदयू नेता आरसीपी सिंह भाजपा में शामिल : यमुना अथॉरिटी के सीईओ रहे, यूपी कैडर में थे आईएएस

यमुना अथॉरिटी के सीईओ रहे, यूपी कैडर में थे आईएएस

Social Media | आरसीपी सिंह भाजपा में शामिल

New Delhi : जनता दल यूनाइटेड (JDU) के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह आज विधिवत रूप से भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) में शामिल हो गए हैं। आरसीपी सिंह ने केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह की मौजूदगी में भाजपा की सदस्यता ली है। आपको बता दें कि आरसीपी सिंह (RCP Singh) बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहद नजदीकी लोगों में शामिल थे। उन्हें नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का रणनीतिकार भी समझा जाता था। सिंह गौतमबुद्ध नगर की यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (Yamuna Authority) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी रह चुके हैं। वह उत्तर प्रदेश कैडर में आईएएस अफसर थे।

एक वक्त नितिश कुमार के सबसे करीबी रहे
आरसीपी सिंह ने प्रशासनिक सेवा में रहते हुए नितिश कुमार की सरकार के लिए कई महत्वपूर्ण काम किए थे। बतौर आईएएस अफसर उत्तर प्रदेश से बिहार में प्रतिनियुक्ति पर जाकर नितिश कुमार के प्रमुख सचिव बने थे। मुख्यमंत्री नितिश कुमार और आरसीपी सिंह के बीच बेहद घनिष्ट संबंध थे। हालांकि, केंद्र सरकार में मंत्री बनने के बाद सिंह और नितिश कुमार के बीच खटास पैदा हो गई। यही वजह रही कि नितिश कुमार ने आरसीपी को दोबारा राज्यसभा का टिकट नहीं दिया। इतना ही नहीं, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड के बीच गतिरोध पैदा होने की वजह आरसीपी सिंह थे। यह दुराव बिहार में गठबंधन सरकार के टूटने की वजह बना।

अब भाजपा के हुए आरसीपी सिंह
लंबे अरसे से कयास लगाए जा रहे थे कि आरसीपी सिंह अब भारतीय जनता पार्टी के लिए काम करेंगे। वह जल्दी ही भाजपा में शामिल हो सकते हैं। इन कयासों पर विराम लगाते हुए गुरुवार को आरसीपी सिंह ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है। उन्होंने दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की मौजूदगी में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है। भाजपा का मानना है कि आने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर आरसीपी सिंह की मौजूदगी बिहार में फायदा दिलवा सकती है।

जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे
नितिश कुमार से नजदीकी का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि रामचंद्र प्रसाद सिंह जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। शरद यादव की जनता दल यूनाइटेड से रुखसती के बाद उन्हें नीतीश कुमार ने पार्टी की कमान सौंपी थी। आरसीपी सिंह वर्ष 2010 से बिहार से राज्यसभा सांसद थे। राजनीति में आने से पहले वे यूपी कैडर के आईएएस अधिकारी थे। वह नीतीश कुमार के प्रधान सचिव रहे। आरसीपी सिंह का जन्म बिहार के नालंदा जिले के मुस्तफापुर में सुखदेव नारायण सिंह और दुखलालो देवी के घर में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली और शिक्षा हाई स्कूल हुसैनपुर (नालंदा) से की। इतिहास में बैचलर ऑफ आर्ट्स की डिग्री के साथ स्नातक किया और मास्टर ऑफ आर्ट्स किया। वह पटना साइंस कॉलेज और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र हैं। 21 मई 1982 को गिरिजा सिंह से शादी की। उनकी दो बेटियां हैं। बेटी लिपि सिंह बिहार में 2016 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं।

केंद्र में मंत्री बनने पर फंसा था पेंच
सहयोगी भाजपा के साथ तनातनी के बीच जदयू ने नीतीश कुमार के करीबी आरसीपी सिंह को पार्टी प्रमुख के रूप में चुना था। जद (यू) के सूत्रों के अनुसार जब नरेंद्र मोदी की दूसरी सरकार का गठन हुआ था तो पार्टी पूर्व नौकरशाह, राज्यसभा सदस्य आरसीपी सिंह को मंत्री बनवाना चाहती थी। साथ-साथ मुंगेर से नवनिर्वाचित सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ​​ललन सिंह और पूर्णिया के सांसद संतोष कुशवाहा के लिए एमओएस का दर्जा चाहती थी। आरसीपी सिंह कुर्मी हैं और नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा से आते हैं। ललन भूमिहार हैं और संतोष, कुशवाहा हैं। पार्टी केवल एक मंत्री को नामित करके अन्य दो जातियों की सद्भावना खोने का जोखिम नहीं उठा सकती थी। लिहाजा, पार्टी के एक नेता ने कहा कि इस वजह से पार्टी ने सरकार में शामिल नहीं होना उचित समझा था।

मायावती सरकार में यमुना अथॉरिटी के सीईओ रहे
आरसीपी सिंह की उम्र करीब 65 वर्ष है। वह 1982 में उत्तर प्रदेश कैडर में आईएएस बने थे। मायावती शासन काल के दौरान 5 जनवरी से 28 अक्टूबर 2005 तक यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी रहे थे। आरसीपी सिंह ने रिटायरमेंट से करीब 10 वर्ष पहले वीआरएस लिया था। वे उत्तर प्रदेश से नौकरी छोड़कर बिहार की राजनीति में सक्रिय हो गए। बिहार वापस लौटते ही उन्हें नीतीश कुमार ने राज्यसभा का सदस्य बनाकर संसद भेजा था। 8 जुलाई 2010 को वह पहली बार राज्यसभा सांसद बने थे। 27 जुलाई 2020 को उन्हें जनता दल यूनाइटेड का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। इसके बाद उन पर भाजपा से मिलीभगत करने के आरोप लगने लगे। उन्होंने पिछले दिनों जदयू छोड़ दी थी।

Copyright © 2023 - 2024 Tricity. All Rights Reserved.