गुरूग्राम जिला जल्द बनेगा मोतियाबिंद मुक्त, बनाई गई यह रणनीति

अच्छी खबर : गुरूग्राम जिला जल्द बनेगा मोतियाबिंद मुक्त, बनाई गई यह रणनीति

गुरूग्राम जिला जल्द बनेगा मोतियाबिंद मुक्त, बनाई गई यह रणनीति

Tricity Today | मण्डलायुक्त रमेश चंद्र बिढान ने संबंधित अधिकारियों के साथ अपने कार्यालय में बैठक की

  • - नवनियुक्त मण्डलायुक्त ने संबंधित अधिकारियों के साथ की अपने कार्यालय में बैठक
  • - दिसंबर अंत तक  गुरूग्राम को मोतियाबिंद मुक्त जिला बनाने का लक्ष्य रखा
     
Gurugram News : गुरूग्राम जिला को मोतियाबिंद मुक्त बनाने को लेकर मण्डलायुक्त रमेश चंद्र बिढान ने संबंधित अधिकारियों के साथ अपने कार्यालय में बैठक की। जिसमें उन्होंने कहा कि मधुमेह (डायबिटिज) से ग्रस्त व्यक्ति और 50 वर्ष से अधिक आयु के सभी व्यक्ति अपनी आंखे अवश्य चैक करवाएं। उन्होंने जिला को इस वर्ष दिसंबर माह के अंत तक मोतियाबिंद मुक्त जिला बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया।

मोतियाबिंद मुक्त बनाने के लिया चलाया जाएगा अभियान 
बैठक में पूरे गुरूग्राम जिला को मोतियाबिंद बीमारी से मुक्त बनाने के लिए अभियान चलाया जाएगा। जिसमें हर उस व्यक्ति की आंखों की जांच निःशुल्क की जाएगी जिनको मोतियाबिंद बीमारी होने का शक होगा। मण्डलायुक्त ने कहा कि जिला की शत् प्रतिशत आबादी को कवर किया जाएगा। इसके लिए अभियान चलाया जाएगा। जिसमें मोतियाबिंद के मरीजों की पहचान के लिए स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत आशा वर्कर, महिला व बाल विकास विभाग की आंगनवाड़ी वर्करों के अलावा और स्वयंसेवी संस्थाओं का सहयोग लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अभियान को सुनियोजित ढंग से चलाने के लिए इसकी पहले प्लानिंग होगी और वीजन दस्तावेज तैयार किया जाएगा।

50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों पर किया जाएगा फोकस
उन्होंने कहा कि मधुमेह रोग से पीड़ित व्यक्तियों और 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों पर फोकस किया जाएगा। क्योंकि किसी व्यक्ति को मधुमेह रोग होने पर सबसे पहले उसका दुष्प्रभाव उस व्यक्ति की आंखो पर पड़ता है। उसकी दृष्टि कमजोर हो जाती है। इसी प्रकार, 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में भी मोतियाबिंद बीमारी होने की संभावनाएं ज्यादा रहती हैं। रमेश चंद्र बिढान ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर लोग  अपनी आंखो पर कम ध्यान देते हैं और उन्हें दिखाई देना कम भी हो जाए तो भी वे अस्पताल में अपनी आंखो की जांच करवाने तभी जाते हैं जब बिल्कुल दिखाई देना बंद हो जाता है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए ग्रामीण क्षेत्र में आंखों की जांच के लिए डोर टू डोर अभियान चलाया जाएगा और जिनकी आंखे कमजोर होगी, उनका मुफत ईलाज किया जाएगा। यदि ऑप्रेशन की जरूरत पड़ी तो वह भी मुफत होगा।

इन अस्पतालों में किया जा रहा इलाज
मण्डलायुक्त ने यह भी कहा कि गुरूग्राम जिला की समस्त आबादी को कवर करने के लिए एक सॉफटवेयर भी विकसित किया जाएगा। जिसमें लोग स्वयं यह घोषित करेंगे कि उन्हें मोतियाबिंद नहीं है। जो व्यक्ति यह घोषित नहीं करेगा उसकी आंखो की जांच करवाई जाएगी। बैठक में उपस्थित सिविल सर्जन डा. विरेंद्र यादव ने बताया कि जिला में सेक्टर-10 के नागरिक अस्पताल, सेक्टर-31 पॉलिक्लिनिक और पटौदी उपमण्डल अस्पताल में मोतियाबिंद मरीजों के ऑप्रेशन किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि जिला में 5 एनजीओ के सहयोग से मोतियाबिंद के मरीजों की पहचान की जाती है।

ऐसे मरीजों का किया जा रहा डाटा तैयार
अरूणोदया चैरिटेबल ट्रस्ट के निदेशक डा. अरूण सेठी ने बताया कि झाड़सा गांव में उनकी संस्था का एक वीजन सेंटर चलाया जा रहा है। जहां पर मोतियाबिंद के मरीजों का मुफत ईलाज और ऑप्रेशन किया जाता है। मण्डलायुक्त रमेश चंद्र बिढान ने कहा कि इसी तरह के सेंटर जिला में दो-तीन स्थानों पर और खोले ताकि लोगों को उनके घर के नजदीक ही आंखों का ईलाज करवाने की सुविधा उपलब्ध हो सके। बैठक में उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने भी सुझाव देते हुए कहा कि मोतियाबिंद के मरीजों की पहचान करके उनका डाटा तैयार कर उसके बाद मरीज को ईलाज और सर्जरी के लिए तिथि दी जाए। ताकि उसका ज्यादा समय नष्ट ना हो।

ये लोग रहे उपस्थित 
बैठक में उपायुक्त निशांत कुमार यादव, गुरूग्राम नगर निगम आयुक्त मुकेश आहुजा, सिविल सर्जन डा. विरेंद्र यादव, जिला विकास व पंचायत अधिकारी नरेंद्र सारवान, उप जिला शिक्षा अधिकारी सरोज दहिया, उप सिविल सर्जन डा. प्रिया शर्मा और अरूणोदया चैरिटेबल ट्रस्ट के निदेशक डा. अरूण सेठी भी उपस्थित रहे।

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