गौतमबुद्ध नगर में पिछले साल कोरोना वायरस संक्रमण की शुरुआत के साथ निजी स्कूलों की मनमानी का दौर भी शुरू हुआ। करीब 2 साल होने को हैं और प्राइवेट स्कूलों की कार्यशैली में अब तक कोई बदलाव नहीं हुआ है। अभिभावक और अभिभावकों के संगठन मिलकर भी कुछ नहीं कर पा रहे। जिला प्रशासन, बेसिक शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा विभाग इन पर नकेल कसने में नाकामयाब हैं। स्कूलों की मनमानी की शिकायतें मुख्यमंत्री कार्यालय तक भी पहुंची है। लेकिन कार्रवाई के नाम पर ढाक के तीन पात चरितार्थ हो रहा है। अभिभावकों को राहत देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले साल ही फीस रेगुलेटिंग एक्ट लागू किया था। ताकि निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगे।
मगर गौतमबुद्ध नगर में इसका असर दिखाई नहीं दिया। हालात इसलिए भी बदतर हैं कि जिला प्रशासन और दोनों शिक्षा विभाग मिलकर भी पिछले 2 साल में कुछ खास कमाल नहीं कर पाए हैं। कोरोना संक्रमण के 2 साल के दौरान बेसिक शिक्षा विभाग और माध्यमिक शिक्षा विभाग ने आरटीई और फीस बढ़ाने के मामले में जनपद के 90 से ज्यादा निजी स्कूलों को नोटिस भेजा। लेकिन अब तक किसी स्कूल के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है। जबकि स्कूलों की ज्यादती से तंग अभिभावक और संगठन आए दिन प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन प्रशासन विद्यालयों को नोटिस भेजकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री करता है।
DFRC की अब तक सिर्फ एक बैठक हुई
स्कूलों की मनमानी को रोकने के लिए गौतमबुध नगर जिला प्रशासन ने भी डिस्ट्रिक्ट फीस रेगुलेटरी कमिटी (DFRC) का गठन किया था। इसमें डीएम सुहास एलवाई (DM SUHAS LY IAS) अध्यक्ष और जिला विद्यालय निरीक्षक सचिव हैं। मगर हास्यास्पद यह है कि कोरोना काल की शुरुआत से अब तक इस कमेटी की सिर्फ एक बैठक हुई है। इसमें कई फैसले लिए गए, मगर अमल अब तक नहीं हो सका है। DFRC को जिम्मेदारी सौंपी गई थी कि वह निजी स्कूलों में फीस से संबंधित अनियमितता की शिकायतों की जांच कर उनका समाधान निकालेगा। अगर कोई विद्यालय पुरानी फीस से नए सत्र में पढ़ाई कराने में असमर्थ है, तो वह 3 महीने पहले इस समिति को आवेदन देगा। आवेदन मिलने के बाद एक महीने में डीएफआरसी के सदस्य बैठक कर फीस के पुनर्निर्धारण पर फैसला लेंगे। हालांकि अगर कोई शिकायत पहली बार सही पाई गई तो एक लाख, दूसरी बार में 5 लाख और तीसरी बार शिकायत सही मिलने पर स्कूल की मान्यता रद्द की जाएगी। लेकिन अब तक ऐसा कुछ नहीं हो सका है।
90 स्कूलों को भेजा नोटिस
रिकॉर्ड के मुताबिक गौतमबुध नगर जिला प्रशासन ने कोरोना काल के दौरान 90 से ज्यादा स्कूलों को नोटिस जारी किया है। बेसिक शिक्षा विभाग ने पिछले साल 45 स्कूलों को नोटिस भेजा था। साथ ही कहा गया था कि अगर आरटीई के तहत सही संख्या में दाखिले नहीं लिए गए, तो स्कूल की मान्यता रद्द की जाएगी। लेकिन विद्यालय की मनमानी बंद नहीं हुई। इस साल विभाग ने एडमिशन में हेराफेरी और पोर्टल पर सही जानकारी नहीं देने के आरोप में 38 स्कूलों को दो बार नोटिस जारी किया है। लेकिन अब तक स्कूलों की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला है।
फीस लेने के लिए तलाशते उपाय
दरअसल कोरोना वायरस संक्रमण की शुरुआत के समय से ही स्कूल बंद हैं। बच्चे घर से शिक्षा ले रहे हैं। क्लास ऑनलाइन चल रही हैं। बावजूद इसके विद्यालय अभिभावकों से मोटी रकम वसूल रहे हैं। स्कूलों की तरफ से कम्पोजिट फीस के नाम पर लैब, क्लासरूम, स्कूल एनुअल फंक्शन और दूसरे खर्चों को मिलाकर फीस की लिस्ट अभिभावकों को सौंप रही है। इसके अलावा यूनिट टेस्ट ऑनलाइन शुरू होने के बहाने अभिभावकों से मोटी रकम फीस के तौर पर जमा कराने का दबाव बनाया जा रहा है।
जल्द सुलझा लिया जाएगा
डीआईओएस डॉ धर्मवीर सिंह का कहना है कि अभिभावकों की तरफ से फीस को लेकर शिकायतें मिली हैं। इस पर विभाग सामंजस्य बैठाकर स्कूल प्रबंधकों और अभिभावकों से बातचीत कर रहा है। जल्द ही हल निकल आएगा। अब तक फीस के मुद्दे पर गौतमबुद्ध नगर के अभिभावकों और तमाम जुड़ी संस्थाओं ने जिलाधिकारी सुहास एलवाई और डीआईओएस कार्यालय को लगातार शिकायतें दी हैं। पिछले 2 साल में हजारों लिखित शिकायतें दोनों कार्यालय में भेजी गई हैं। लेकिन अब तक विभाग ने फीस के मुद्दे पर 5 से 7 स्कूलों को ही नोटिस जारी किया है।