कोविड-19 की वैश्विक महामारी के बीच लोगों को काफ़ी मुश्किलों का समाना करना पड़ा, लेकिन साल भर लम्बे कोरोना काल में उन लोगों को अधिक दिक्कत हुई जो इंटरनेट से नहीं जुड़े थे। शनिवार को वडोदरा स्थित पारुल यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग ने डिजिटल डिवाइड विषय पर वेबिनार आयोजित किया। वेबिनार के मुख्य वक़्ता डिजिटल एम्पावरमेंट फ़ाउंडेशन के संस्थापक और निदेशक ओसामा मंज़र ने इस विषय पर अपने विचार रखे।
उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर बात होती थी लेकिन काफ़ी इस पर जितना फ़ोकस होना चाहिए उतना नहीं हुआ। उन्होंने कहा इस वैश्विक महामारी ने डिजिटल डिवाइड को विमर्श के केंद्र में ला दिया है। आने वाले दिनों जब नीतियाँ बनेगी तो इस ओर ध्यान जाएगा। ओसामा ने कहा कि अभी भी आधी आबादी इंटरनेट से दूर है। उन्होंने कहा कि उनकी संस्था देश 24 राज्यों 130 जिलों में कार्यरत है। उन्होंने कहा कि डिजिटल डिवाइड का अर्थ सिर्फ इन्फ़्रस्ट्रक्चर की उपलब्धता से नहीं है। यह व्यापक है। इसको जेंडर, कृषि, क्षेत्र के हिसाब इसे देखा जाना चाहिए।
ओसामा ने कहा कि कोरोना काल में हमें पता चला कि डिजिटल डिवाइड की कई परतें हैं। मसलन, कनेक्टिविटी और नो कनेक्टिविटी इसके अलावा मीनिंगफ़ुल कनेक्टिविटी, अफ़ोर्डबल कंनेक्टिविटी। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि कहा कि डिजिटल इंडिया अभियान से इंटरनेट के विस्तार को गति मिली है। सभी लोगों तक इंटरनेट पहुँचाने के लिए सभी को आगे आना होगा। उन्होंने कहा भारत को सूचना उत्पादक भी बनना होगा। उन्होंने कहा कि हर ग्राम पंचायत और हर सरकारी स्कूल की वेबसाइट हो सकती हैं।
पत्रकारिता विभाग में बीए (जेएमसी) प्रथम वर्ष की छात्रा कशिश सुंदरानी, श्रीनिवास और पीजी के छात्र शुभम शर्मा ने सवाल भी पूछे। कार्यक्रम का संचालन पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर अचलेंद्र कटियार ने किया। यूनिवर्सिटी की फ़ैकल्टी ऑफ़ आर्ट्स के डीन प्रो. (डॉ) रमेश कुमार रावत ने वेबिनार के शुरुआत में मुख्य वक़्ता ओसामा मंज़र का स्वागत किया।