धू-धू कर जल उठा अहंकार और बुराई का प्रतीक रावण, श्रीराम के जयघोष से गूंज उठा फरीदाबाद

दशहरा मैदान में हर्षोल्लास से मना विजयादशमी पर्व : धू-धू कर जल उठा अहंकार और बुराई का प्रतीक रावण, श्रीराम के जयघोष से गूंज उठा फरीदाबाद

धू-धू कर जल उठा अहंकार और बुराई का प्रतीक रावण, श्रीराम के जयघोष से गूंज उठा फरीदाबाद

Tricity Today | रावण दहन

Faridabad News : हर वर्ष की भांति इस साल भी विजय दशमी के दिन रावण दहन का आयोजन प्रशासन और सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से बड़े धूमधाम से किया गया। अतिरिक्त उपायुक्त आनंद शर्मा ने मंगलवार को विजय दशमी के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में शिरकत कर वहाँ उपस्थित लोगों को संबोधित किया। प्रशासन की ओर से कार्यक्रम में एसडीएम बड़खल अमित मान भी उपस्थित रहे।

अपने अंदर के रावण खत्म करें
एडीसी आनंद शर्मा ने कहा कि विजय दशमी का बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है। हम बाहर रावण का पुतला जलाकर यह बता तो देते है कि बुराई की हमेशा हार और अच्छाई की जीत होती है, लेकिन हम अपने अंदर की बुराई को खत्म करने के बारे में नहीं सोचते। विजय दशमी बहुत ही सुबह और ऐतिहासिक पर्व है हम सबको इस दिन अपने अंदर के रावण का खत्म कर ख़ुशी के साथ मनाना चाहिए। 

शहर में कई जगह पुतला दहन
इस पावन अवसर पर शहर में कई स्थानों पर बड़े स्तर पर रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन किया गया। इस मौके पर एनआईटी 1 दशहरा मैदान में रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले दहन के साथ सामाजिक बुराइयों को खत्म करने का संकल्प लिया। अहंकार और अधर्म के प्रतीक रावण, मेघनाद व कुंभकरण के पुतलों जब दहन किया गया तो दशहरा मैदान श्रीराम के जयघोष से गूंज उठा। आतिशबाजी और पटाखों की तेज आवाज के साथ रावण के पुतलों का दहन किया गया। 

जलते रावण की लकड़ियां घर ले गए  
रावण दहन से पहले भगवान राम, लक्ष्मण और हनुमान जी की मनमोहक झांकियों की शोभायात्रा निकाली गई। कई दशहरा मैदानों में राम-रावण संवाद और राम रावण के बीच भीषण युद्ध के मंचन के बाद ही पुतलों को अग्नि दी गई। रावण के पुतले में आग लगते ही सिर धड़ हाथ पैर के अलग-अलग हिस्से धू-धू करके जलने लगे। लोग परंपरा के मुताबिक जलते हुए रावण की लकड़ियों को घर ले गए। सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस व्यवस्था पूरी तरह चाक चौबंद रही।

दशहरा मैदान के मेलों में बच्चों की मस्ती
दशहरा मैदानों में बच्चों ने खूब मस्ती की। बच्चों के लिए मेलों में झूले, ऊंट-हाथी की सवारी, खेल खिलौने, चाट पकौड़ी का भरपूर इंतजाम था। कुछ बच्चे झूलों पर व्यस्त रहे, तो कुछ सवारी करने में व्यस्त रहे। दशहरा मेले की वजह से दशहरा मैदान की सड़कों पर नो एंट्री की गई। बुधवार सुबह ही लोग अपने बच्चों को मेला घूमाने पहुंचने लगे। लोगों ने बुराई के प्रतीक रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले दहन के सेल्फी ली।

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