सरकारी दफ्तरों में निजी कर्मचारियों के सहारे चल रहा बड़ा खेल, दस्तावेजों की गोपनीयता पर भी सवाल

Ghaziabad News : सरकारी दफ्तरों में निजी कर्मचारियों के सहारे चल रहा बड़ा खेल, दस्तावेजों की गोपनीयता पर भी सवाल

सरकारी दफ्तरों में निजी कर्मचारियों के सहारे चल रहा बड़ा खेल, दस्तावेजों की गोपनीयता पर भी सवाल

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Ghaziabad News : सरकारी दफ्तर में बड़ी संख्या में निजी लोगों द्वारा कार्य किया जा रहा है। इससे सरकारी रिकॉर्ड की गोपनीयता भंग होने का खतरा बढ़ गया है। इस व्यवस्था से कोई भी सरकारी कार्यालय अछूता नहीं है, लेकिन यह रोग सबसे ज्यादा तहसील में कार्यरत लेखपाल और सब रजिस्ट्रार के दफ्तरों में है। बाहर से अपने काम की बाबत आने वाले लोगों को ऐसा लगता है कि पटल पर बैठा व्यक्ति भी सरकारी कर्मचारी है। वह सरकारी कर्मचारी नहीं है, इसलिए उनके नियोक्ता सौदेबाजी कर वसूली भी करते हैं। सरकारी दफ्तरों में अवैध वसूली का कार्य जोरों पर चलता है। 

सरकारी खातों की गोपनीयता पर खतरा
अक्सर छापा पड़ने पर सरकारी बाबू साफ बच जाते हैं। तहसील में पटवारियों ने अपने साथ निजी लोग अटैच कर रखे हैं। पटवारी बड़ी संख्या में निजी लोगों को रखे हुए हैं। कुछ पटवारी के पास इनकी संख्या चार से पांच तक है। सदर तहसील के पांच सब रजिस्ट्रार के दफ्तरों में कार्यरत क्लर्क अपने काम को आसान बनाने के लिए निजी क्लर्क भर्ती कर काम चला रहे हैं। तुर्रा यह है कि काम का बोझ ज्यादा है। सरकारी कर्मचारी जैसे पटवारी, क्लर्क निजी कर्मचारियों को टूल के रूप में इस्तेमाल करते हैं। वे बेधड़क अवैध वसूली करते हैं। इस अवैध वसूली का एक अंश उन्हें वेतन के नाम पर मिलता है। लगभग 10 वर्षों से सरकारी कार्यालयों में यह प्रथा चली आ रही है। सरकारी दफ्तर में बाबू तहसील के पटवारी इस प्रकार खूब मोटी कमाई करते हैं। इस काम की अनेक बार शिकायत भी संबंधित अधिकारी से की जाती है। मगर, इस दोहरी व्यवस्था पर आज तक अंकुश नहीं लगा है। 

गुप्त जानकारी लीक कर मोटा मुनाफा कमाने का आरोप
पटवारी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि अगर यह निजी कर्मचारी नहीं रखे जाएं तो लोगों को जाति और आय प्रमाण पत्र बनाने में 6 माह का वक्त लग सकता है। क्योंकि आबादी बढ़ने के साथ-साथ क्षेत्र भी बढ़ गया है। मगर, पटवारी की संख्या नहीं बढ़ी है। ऐसे में सुचारू रूप से कार्य के लिए निजी प्राइवेट कर्मियों का रखा जाना मजबूरी है। सरकारी कार्य के दबाव की वजह से रखे जाने वाले निजी कर्मचारी सरकारी पटल पर काम करते रहने के दौरान कुछ फाइलों के फोटो स्टेट कराकर रख लेते हैं। आशंका यह भी रहती है कि ये बाहरी व्यक्ति को गुप्त जानकारी पहुंचाने का काम कर अलग से मोटा मुनाफा कमाते हैं। इससे राज्य के कार्य की गोपनीयता भंग होने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए समय-समय पर सरकारी आदेश जारी होते रहते हैं। पिछला आदेश 29 अगस्त 2023 को जारी हुआ था।

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