16 फरवरी को राकेश टिकैत ने किया भारत बंद का आह्वान

लोकसभा चुनाव 2024 से पहले का रण : 16 फरवरी को राकेश टिकैत ने किया भारत बंद का आह्वान

16 फरवरी को राकेश टिकैत ने किया भारत बंद का आह्वान

Tricity Today | राकेश टिकैत

Ghaziabad News : भारतीय किसान यूनियन टिकैत के राष्ट्रीय प्रेस प्रभारी शमशेर राणा ने बताया कि भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सरकार की वादाखिलाफी के चलते कई सप्ताह पहले 16 फरवरी 2024 को देशभर के किसानों से 'भारत बंद' करने की अपील की थी। उन्होंने बताया कि एक प्रथा के अनुसार हमारे पूर्वज एक खास दिन पर खेत में नहीं जाते थे। हमने भी खाली ना बैठ कर सर छोटूराम के अनुसार इस दिन एक पैर दिल्ली की तरफ बढ़ाते हुए भारत बंद का ऐलान किया है। ताकि सरकार तक किसानों की आवाज पहुंचने में समय का सदुपयोग किया जाए। 

यह है पूरा मामला
शमशेर राणा ने बताया कि भारतीय किसान यूनियन ने अपील की है कि 16 फरवरी को कोई भी किसान खेत की कोई भी पैदावार, अपने पशुओं, डेरियों का दूध आदि सप्लाई नहीं करेगा। इसी तरह हमारे साथ अन्य संगठनों ने भी अपने कार्य बंद रखते हुए साथ देने का आश्वासन दिया है। जिनमें ट्रांसपोर्ट ट्रक यूनियन दूकानदार आदि शामिल होंगे। उन्होंने आगे बताया कि भारत बंद की घोषणा का असर यह हुआ कि कुछ निराश हताश दुखी किसान अन्य स्थानीय संगठनों के साथ समय से पहले ही अपनी क्षमतानुसार विरोध प्रदर्शन करते हुए दिल्ली की तरफ कूच कर चुके हैं। इससे प्रतीत होता है कि देश का किसान सत्ताधारी सरकार की वादा खिलाफी और तानाशाही रवैया से नाराज होकर खेत खलियान की पगडंडी छोड़ कर दिल्ली की चमचमाती सड़कों की तरफ अपने ट्रैकर लेकर निकल चुका है। 

लोकसभा चुनाव में दबाव की रणनीति
उन्होंने कहा कि आगामी लोकसभा चुनावों में वोट खींचने के हिसाब से सरकार को किसान याद आया तो भारत रत्न की घोषणा कर दी। यह चाल किसानों को भी समझ आ चुका है। जब तक सरकार की नाक में नकेल नहीं डाली जाएगी तब तक किसान के हित में बात होने वाली नहीं है। उन्होंने बताया कि सरकार भी यह समझ चुकी है कि यदि अब दोबारा आंदोलन हुआ तो लोकसभा चुनाव के परिणाम पर इसका असर पडेगा। इसलिए किसानों को बांटने के लिए किसान मसीहा पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और स्वामीनाथन को भारत रत्न देकर किसानों की भावनाओं को वोट के रूप में भुनाने और दो फाड़ करने की कोशिश की जा रही है। सरकार की इस चाल को किसान भली भांति समझता है।

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