डीपीएस, आम्रपाली और विवेकानंद जैसे नामी स्कूलों ने उड़ाया मजाक

गाजियाबाद डीएम के आदेश को ठेंगा : डीपीएस, आम्रपाली और विवेकानंद जैसे नामी स्कूलों ने उड़ाया मजाक

डीपीएस, आम्रपाली और विवेकानंद जैसे नामी स्कूलों ने उड़ाया मजाक

Tricity Today | कुछ बड़े नामचीन स्कूल जिलाधिकारी के आदेश का खुला उल्लंघन करते दिखाई दिए।

Ghaziabad News : दिल्ली एनसीआर घने कोहरे की चादर में लिपटा हुआ है। पहाड़ों पर भारी बर्फबारी के कारण गाजियाबाद में भी इसका असर साफ दिखाई दे रहा है। पहाड़ों पर बर्फबारी के चलते गाजियाबाद में शीतलहर ने दस्तक दे दी है। इसका असर भी दिखाई देने लगा है। शीतलहर से बचने के लिए लोग जगह-जगह अलाव जलाकर सर्दी से बचने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, जिलाधिकारी के आदेश पर सभी स्कूलों में दो दिवसीय अवकाश घोषित किया गया है। लेकिन, गाजियाबाद के कुछ नामी स्कूल जिलाधिकारी के आदेश से भी बड़े हैं। कुछ बड़े नामचीन स्कूल जिलाधिकारी के आदेश का खुला उल्लंघन करते दिखाई दिए। इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे शुक्रवार को कांपते हुए स्कूल पहुंचे। 

मजाक बना आदेश
गाजियाबाद में ठंड और शीतलहर के बाद जिलाधिकारी के आदेश से नर्सरी से कक्षा आठ तक के सभी स्कूलों में दो दिवसीय अवकाश घोषित किया गया था। बेसिक शिक्षा अधिकारी ने सभी स्कूलों को पत्र जारी करते हुए 29 और 30 दिसंबर को सभी स्कूलों में अवकाश रखने का आदेश दिया था, लेकिन कुछ नामी स्कूलों ने जिलाधिकारी के आदेश को हवा में उड़ा दिया। आदेश का उल्लंघन करते हुए स्कूल खोले गए। इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे सर्दी के मौसम में ठिठुरते हुए स्कूल जाते दिखाई दिए। इन स्कूलों में डीपीएस इंदिरापुरम, आम्रपाली सीनियर सेकेंडरी स्कूल इंदिरापुरम, स्वामी विवेकानंद इंग्लिश स्कूल अहिंसा खंड इंदिरापुरम जैसे नामी स्कूलों ने आदेश का पालन नहीं किया और शीतलहर में भी बच्चों को स्कूल आने पर विवश किया। 

स्कूल संचालक नहीं करते परवाह
गाजियाबाद के बड़े और नामचीन स्कूल किसी सरकारी आदेश की परवाह नहीं करते। कई बार देखा गया है कि स्कूल संचालक सरकारी आदेशों के विरुद्ध खड़े दिखाई देते हैं। स्कूलों के इस अड़ियल रवैये के कारण सबसे अधिक परेशानी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को होती है। आज भी इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे सर्दी और शीतलहर के बीच कांपते हुए स्कूल गए। बता दें कि कल जब स्कूलों का समय बदला गया था, तब भी इन स्कूलों ने बच्चों को अपने यथा समय पर ही स्कूल बुलाया था। इसे देखते हुए लगता है कि इन स्कूलों पर कार्रवाई करने से प्रशासन डरता है। इसका असर सरकारी नाफरमानी के रूप में साफ देखा जा सकता है।

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