Ghaziabad News : गाजियाबाद से 35 किलोमीटर दूर सुराना गांव में रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाया जाता है। इसके पीछे की हकीकत बहुत ही भयावह और दिल को दहलादेने वाली है। दरअसल, इस गांव के लोग जहां कही भी रहते है वह रक्षाबंधन का त्योहार नही मनाते है।
ऐतिहासिक है सुराना गांव
सुराना गांव गाजियाबाद और बागपत जिले का सीमावर्ती गांव है। यह हिंडन नदी के किनारे बसा हुआ है। इस गांव का एक और नाम "सोनगढ़" है। वैसे तो इस गांव मे कई जाति के लोग रहते है लेकिन "छाबडिया" गौत्र के लोग विशेष है। ये लोग रक्षाबंधन त्योहार को अपशकुन मानते है। यही कारण है कि इस गांव के "छाबडिया" गौत्र के लोग रक्षाबंधन नही मनाते। लोगों का कहना है कि ये लोग दुनिया में चाहे कही भी रहें लेकिन कभी रक्षाबंधन का त्योहार नही मनाते है।
रक्षाबंधन को क्यों मानते है अपशकुन
दरअसल, 11 वीं सदी की बात है जब मौहम्मद गौरी से बचने के लिए प्रथ्वीराज चौहान के वंशज सोन सिंह राणा इस गांव में आकर बस गए थे। उन्होंने यहां डेरा डाला लिया था। गांव के बड़े बुजुर्ग धर्म देव का कहना है कि ठीक रक्षाबंधन के दिन मोहम्मद गोरी के सिपाहियों ने इस गांव में हमला कर दिया था और यहां बच्चे, बुजुर्ग, महिलाओं को हाथियों के पैरो से कुचलवा दिया था। इस दिन डेरे के कुछ परिवार गंगा स्नान के लिए गए हुए थे जो बच गए थे। तब से ये लोग रक्षाबंधन को त्योहार को अपशकुन मनाते है।