Ghaziabad News : अंकुर विहार थाने से जेल भेजे गए मौलाना की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने बड़ी स्पष्ट टिप्पणी की है। राज्य का कोई धर्म नहीं है। हमारा संविधान प्रत्येक नागरिक को अपना धर्म मानने और उसका प्रचार करने का हक देता है लेकिन दूसरे धर्म के मानने वाले को लालच, दवाब या धमकी देकर धर्म परिवर्तन कराना संगीन अपराध है।
कोई जबरदस्ती अपना धर्म नहीं थोप सकता
न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की खंडपीठ ने मोलाना शाने आलम की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए कहा है कि जबरन या लालच देकर कराया गया धर्म परिवर्तन यूपी धर्मांतरण विरोधी अधिनियम - 2021 के अंतर्गत संगीन अपराध है। हमारा संविधान सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है। यही भारत की सामाजिक सदभाव की भावना का आधार है। कोई भी जबरदस्ती अपना धर्म दूसरे पर नहीं थोप सकता। इस टिप्पणी के साथ हाईकोर्ट ने मोलाना शाने आलम की जमानत अर्जी खारिज कर दी।
युवती ने 16 मई को दर्ज कराई थी एफआईआर
अकुंर विहार थाने में पीड़िता ने 16 मई को एफआईआर दर्ज कराई थी। युवती ने अमान पर और मोलाना शाने आलम को नामजद कराते हुए आरोप लगाया था कि जबरन उसका धर्म परिवर्तन कर निकाह कराया गया। मोलाना ने अमरोहा में निकाह कराया था। एक महीना युवती को साथ रखने के बाद वह गाजियाबाद की डीएलएफ कालोनी में आया, जहां से युवती किसी तरह अमान के कब्जे से छूटकर अंकुर थाना पुलिस के पास पहुंची थी और आपबीती बताते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी।
अमन की बहन के साथ काम करती थी पीड़िता
दरअसल पीड़िता और अमन की बहन एक ही कंपनी में काम करती थीं। इसी नाते उसका अमन के घर आना जाना था। वह अपनी सहकर्मी के घर पहुंची तो घर उसका भाई अमान अकेला था। अमान ने उससे जबरदस्ती कर डाली। उसके बाद वह पीड़िता को ब्लैकमेल करता रहा और एक दिन अमरोहा ले जाकर मोलाना शाने मोहम्मद से उसका उसका धर्म परिवर्तन कराकर निकाह कर लिया था।
17 मई को गिरफ्तार हुआ था अमान, मौलाना 15 दिन फरार रहा
पुलिस ने मुकदमा दर्ज करने के अगले ही दिन 17 मई को अमान को गिरफ्तार कर लिया था, जबकि मोलाना शाने आलम 15 दिन तक फरार रहा। पुलिस उसकी गिरफ्तारी पर 25 हजार रुपये का ईनाम घोषित किया था, उसके बाद 2 जून को मौलाना की गिरफ्तारी हो पाई थी। वह तभी से जेल में है। सेशन कोर्ट से जमानत अर्जी खारिज होने के बाद मोलाना की ओर से हाईकोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की गई थी।