बच्चों के हाथों में किताब की जगह थमाई झाड़ू, जूठे बर्तन साफ करने की दे रहे शिक्षा

गाजियाबाद के सरकारी स्कूल की गजब कहानी : बच्चों के हाथों में किताब की जगह थमाई झाड़ू, जूठे बर्तन साफ करने की दे रहे शिक्षा

बच्चों के हाथों में किताब की जगह थमाई झाड़ू, जूठे बर्तन साफ करने की दे रहे शिक्षा

Tricity Today | गाजियाबाद के इस स्कूल में पढ़ने वाले मासूम छात्र-छात्राओं से प्रतिदिन इसी प्रकार का कार्य कराया जाता है। 

Ghaziabad News : सुबह बच्चे तैयार होकर स्कूल की ड्रेस पहनते हैं, बालों में कंघी करते हैं, किताब लेकर विद्यालय पढ़ने जाते हैं। इसी प्रकार की दिनचर्या सभी छात्रों के जीवनकाल में रहती है, लेकिन गाजियाबाद में एक विद्यालय है जहां बच्चे पढ़ने नहीं बल्कि बर्तन साफ करने और झाड़ू लगाने जाते हैं। गाजियाबाद के इस स्कूल में पढ़ने वाले मासूम छात्र-छात्राओं से प्रतिदिन इसी प्रकार का कार्य कराया जाता है। 
यह है पूरा मामला
आज हम आपको गाजियाबाद में भोजपुर ब्लॉक स्थित एक विद्यालय की एक कड़वी सच्चाई से अवगत कराएंगे। इस स्कूल में पढने वाले छात्र छात्राओं से जूठे बर्तन साफ कराए जाते हैं और स्कूल में झाड़ू लगवाई जाती है। गाजियाबाद के भोजपुर ब्लॉक स्थित प्राथमिक विद्यालय संजय पुरी बेगमाबाद के इस स्कूल में टीचरों ने सभी छात्र छात्राओं को काम सौंपा हुआ है। यहां छात्र पढ़ने नहीं बल्कि काम करने के लिए स्कूल में जाते हैं। स्कूल के टीचरों की इस सच्चाई को दिखाने के लिए एक शख्स ने स्कूल में काम करते बच्चों का वीडियो बना लिया। जिसमें देखा जा सकता है कि किस प्रकार बच्चों से जूठे बर्तन साफ करवाए जा रहे हैं। साथ ही कुछ बच्चे स्कूल में झाडू लगाते नजर आ रहे हैं। जबकि टीचर आराम से टहलते नजर आ रहे हैं।

मजदूरों की तरह कराया जा रहा काम
सरकार का नारा "बेटी बचाओं बेटी पढाओं" लेकिन मोदीनगर के भोजपुर में स्थित इस सरकारी स्कूल का गजब हाल है। स्कूल में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं से ही मजदूरों की तरह काम कराया जाता है। यहां पढने वाले छात्र छात्राओं को टीचरों के झूठे बर्तन साफ करने होते हैं। स्कूल की सफाई का जिम्मा भी छात्रों के कंधों पर ही है। इसके लिए छात्रों को रोटेशन के तौर पर काम करना होता है। मोटा वेतन लेने वाले सरकारी स्कूल के टीचरों का एक भी बच्चा इस स्कूल में नहीं पढ़ता। अपने बच्चों को कान्वेंट स्कूल में पढ़ने वाले सरकारी स्कूल के टीचरों को अपने बच्चों के भविष्य की जितनी चिंता है। इतनी चिंता शायद इन बच्चों की नहीं है। इस स्कूल में अधिकांश गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों के बच्चे शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते है, किंतु टीचर इन बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे है।

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