Ghaziabad : नेहरूनगर स्थित पीएनबी की शाखा के लॉकर से 70 लाख रुपए की जेवर गायब होने के मामले में बैंक अधिकारियों की घोर लापरवाही सामने आई है। साथ ही पीड़ित से भी अपना लॉकर पहचानने में चूक हुई। वह अपने लॉकर नंबर के ही दूसरी सीरीज के लॉकर को अपनी चाबी से खोलना का प्रयास करती रहीं। चाबी न लगने पर उन्होंने बैंक मैनेजर से शिकायत की तो लापरवाह मैनेजर साहब ने भी बिना पुख्ता जांच पड़ताल किए किसी दूसरे के लॉकर को तुड़वा दिया, लेकिन जब महिला द्वारा बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई तो बैंक अधिकारियों को अपनी गर्दन फंसती दिखाई देने लगी। इस पर उन्होंने मामले की गहनता से जांच की।
दूसरे का लॉकर खोल दिया
जांच से पता चला कि महिला के गहने गायब ही नहीं हुए थे। वह उनके लॉकर में सुरक्षित हैं। जिन्हें सूचना बाद पहुंची पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया। जांच में यह भी पता चला कि लापरवाही के चलते बैंक अधिकारी पीड़ित के साथ किसी दूसरे लॉकर को खोलने का प्रयास कर रहे थे। पुलिस का कहना है कि लापरवाह बैंक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कानूनी दांव-पेंच की जानकारी की जा रही है।
बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज
अशोक नगर में रहने वाले समीर गुप्ता का सॉफ्टवेयर डवलपमेंट का कारोबार है। उनकी पत्नी प्रियंका गुप्ता गृहणी हैं और उनका खाता पीएनबी की नेहरू नगर शाखा में है। करीब 20 साल से उन्होंने इसी बैंक में लॉकर ले रखा है। प्रियंका ने बताया कि नवम्बर 2019 में उन्होंने आखिरी बार लॉकर का इस्तेमाल किया था। कोरोना काल के चलते वह दो साल से लॉकर को नहीं देख सकीं। अक्तूबर 2021 में बैंक गईं तो लॉकर में उनकी चाबी नहीं लगी। कई बार शिकायत के बाद महिला ने हंगामा किया तो बैंक अधिकारियों ने 28 फ रवरी को गोदरेज कंपनी के कर्मचारियों को बुलाकर लॉकर तुड़वाया तो उसमें 70 लाख के जेवर के बजाए मात्र 5 से 6 लाख रुपए के ही जेवर मिले। इस पर पीड़िता ने सिहानी गेट थाने में बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज करा दिया।
ऐसे हुआ खुलासा
एसएचओ सिहानी गेट सौरभ विक्रम सिंह ने बताया कि बैंक में अल्फाबेटिकल से अलग-अलग सीरीज के नंबर हैं। हर सीरीज में एक ही नंबर के लॉकर हैं। महिला का लॉकर जिस सीरीज में था, वह दूसरी सीरीज के उसी नंबर के लॉकर को अपना समझकर चाबी लगा रहीं थीं। लॉकर की सीरीज अलग होने की वजह से ही उनका लॉकर नहीं खुल रहा था। केस दर्ज होने के बाद जब जांच-पड़ताल की गई तो महिला के असली लॉकर का पता चला। उसे खुलवाकर देखा तो जेवर उसमें सुरक्षित मिले। जिन्हें कब्जे में लेकर पुलिस ने अपनी जांच शुरू कर दी है।
दूसरे लॉकर में बार-बार लगा रही थी चाबी
एसएचओ का कहना है कि बैंक अधिकारियों ने लॉकर पर नंबर डाल रखे हैं, लेकिन उनकी सीरीज का पता नहीं है। वहीं, पीड़िता के पति समीर गुप्ता का कहना है कि लॉकर को खोलने के लिए लॉकर धारक से पहले बैंक अधिकारी अपनी चाबी लगाते हैं। जिसके बाद लॉकर धारक अपनी चाबी लगाता है। दोनों चाबी लगने पर ही कोई लॉकर खुल सकता है। ऐसे में बैंक अधिकारी बार-बार गलत लॉकर पर चाबी क्यूं लगाते रहे। कयास इस बात के भी लगाए जा रहे हैं कि संदिग्ध आरोपी ने जेल जाने के डर से चोरी किए जेवरात लाकर लॉकर में रख दिए और गलती होने का हल्ला काट दिया।
बैंककर्मियों ने मानी गलती
वहीं, बैंक के मैनेजर संदीप श्रीवास्तव का कहना है कि कुछ गलतफहमी हो गई थी। जिसे दूर कर लिया गया है। एक ही नंबर के दो लॉकर हैं, लेकिन उनकी सीरीज अलग है। महिला दूसरी सीरीज के लॉकर पर चाबी लगा रही थीं। इस गलती को सुधार लिया गया है। महिला के जेवर उनके लॉकर से सुरक्षित बरामद कर लिए गए हैं।