Ghaziabad News : भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और किसानों के मसीहा भारत रत्न चौधरी चरण सिंह की 122वीं जयंती पर पूरा देश उनके योगदान को नमन करता है। वह एक ऐसे राजनेता जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी शोषितों, वंचितों और किसानों के उत्थान के लिए समर्पित कर दी। यह बातें किसान दिवस के मौके पर भाजपा में महानगर मीडिया प्रभारी प्रदीप चौधरी ने कहीं। उन्होंने कहा- चौधरी साहब का जीवन, विचार और कार्य हमें प्रेरणा देते हैं कि कैसे एक सच्चा जन नेता अपनी नीतियों और कृतित्व से समाज में बदलाव ला सकता है। ऐसे राष्ट्र नेता को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा भारत रत्न से नवाजे जाने पर सर्व समाज उनका आभार व्यक्त करता है।
साधारण किसान परिवार में जन्में थे बड़े चौधरी
पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर, 1902 को उत्तर प्रदेश के छोटे से गांव नूरपुर में हुआ था, यह गांव अब हापुड़ जिले में पड़ता है। एक साधारण किसान परिवार में जन्में चौधरी चरण सिंह बचपन से ही किसानों की समस्याओं और उनकी तकलीफों को करीब से देखते आए थे। यही कारण था कि उनका पूरा राजनीतिक जीवन किसानों के अधिकारों और उनके कल्याण के लिए समर्पित रहा। उन्होंने अपने कार्यकाल में ऐसी नीतियां बनाईं जो किसानों की वास्तविक समस्याओं का समाधान करती थीं।
भूमि सुधार कानूनों में बड़ी भूमिका निभाई
चौधरी चरण सिंह ने कृषि को भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना और इसके विकास के लिए कई क्रांतिकारी कदम भी उठाए। देश की आजादी के तुरंत बाद 1953 में आए भूमि सुधार कानून और जमींदारी प्रथा के उन्मूलन में उनकी ऐतिहासिक भूमिका रही। वे हमेशा इस बात पर जोर देते थे कि देश का विकास तभी संभव है जब गांव और किसान मजबूत होंगे। इसके लिए उन्हें नाबार्ड जैसे बैंक की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं। चौधरी चरण सिंह का मानना था कि किसानों की खुशहाली से ही देश प्रगति कर सकता है।
कमजोर के लिए काम ही सच्ची राजनीति
पूर्व प्रधानमंत्री को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम उनके त्याग और संघर्ष को याद करें औरउनके दिखाए रास्ते पर चलने का संकल्प लें। चौधरी साहब ने हमें सिखाया कि सच्ची राजनीति वह है जो सबसे कमजोर और जरूरतमंद वर्ग के उत्थान के लिए काम करे। महानगर मीडिया प्रभारी ने भारत रत्न चौधरी चरण सिंह की जयंती पर शत-शत नमन करते हुए कहा कि उनका जीवन और योगदान हमेशा हमारी प्रेरणा का स्रोत रहेगा।