छात्रों के बीच अनुष्का रोबोट | Anushka robot among students
Ghaziabad News : गाजियाबाद के मुरादनगर स्थित काइट कॉलेज के छात्रों ने एक ऐसे रोबोट का आविष्कार किया है जिसका दिल भी धड़कता है और वह अपनी खुद की समझ भी रखता है। इस प्रकार का रोबोट बनाने वाला भारत पहला देश है। साथ ही रोबोट 16 भाषाओं को समझ सकता है। इसे बनाने में ढाई लाख रुपये का खर्च आया है।
रोबोट को नाम दिया अनुष्का
इंस्टीट्यूशंस में छात्रों ने ह्यूमनॉइड रोबोट अनुष्का को लांच किया है। इस ह्यूमनॉइड रोबोट को इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार इंजीनियरिंग विभाग के सेंटर ऑफ रोबोटिक्स एंड मेक्ट्रोनिक्स द्वारा डिजाइन किया गया है। काईट ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के संयुक्त निदेशक डॉ. मनोज गोयल ने बताया कि आखिरकार हमारे छात्रों द्वारा ह्यूमनॉइड रोबोट अनुष्का को बनाया गया हैं। रोबोट को 23 नवंबर, 2022 को डॉ. शुभम शुक्ला, एसोसिएट प्रोफेसर, ईसीई और अतुल कुमार, लैब असिस्टेंट, ईसीई विभाग ने इस रोबोट को बनाना शुरू किया था। सीएस शाखा के चौथे वर्ष के छात्र, पीयूष खन्ना और उनकी टीम (टीम 31) ने इस रोबोट को बनाने के लिए दिन-रात अथक परिश्रम किया। रोबोट 16 भाषाएं बोलने में सक्षम है। डेढ़ वर्ष में बनकर तैयार हुए इस रोबोट पर लगभग ढाई लाख रुपये का खर्च आया है। रोबोट में खुद समझने की तकनीक को विकसित किया गया है।
अनुष्का के दिल की धड़कन
अनुष्का के प्रोजेक्ट गाइड डॉ. शुभम शुक्ला ने बताया कि अनुष्का की क्षमताएं अद्वितीय हैं। जिसमें होम ऑटोमेशन और स्वायत्त नेविगेशन जैसी विशेषताएं शामिल हैं। उसके डिजाइन में उन्नत कृत्रिम बुद्धिमत्ता, कंप्यूटर विजन और प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियां शामिल हैं। अनुष्का रोबोटिक्स के क्षेत्र में अग्रणी खोज है।
जानिए रोबोट की और खासियत
बता दें कि अनुष्का धड़कते दिल वाली पहली पहली रोबोट हैं। इस प्रकार की यह भारत की पहली रोबोट है। यह रोबोट 50 से अधिक हाथों के इशारों को समझने के साथ आंखों के 30 इशारों, जबड़े और गर्दन की हरकतों के मूवमेंट को करने में सक्षम है। इसके अलावा इंटरनेट ऑफ थिंग्स का उपयोग करके होम ऑटोमेशन और स्वायत्त कॉलिंग का समर्थन करने में सक्षम यह दुनिया की पहली रोबोट है। प्रभारी निदेशक, डॉ. अनिल कुमार अहलावत, संयुक्त निदेशक, डॉ. मनोज गोयल, डॉ. शैलेश तिवारी, अतिरिक्त निदेशक, डीन आर एंड डी और एचओडी ईसीई डॉ. विभव सचान, अतिरिक्त एचओडी ईसीई, डॉ. रुचिता गौतम और एचओडी सीएस डॉ. अजय कुमार श्रीवास्तव उपस्थित थे।