उच्चतम न्यायालय ने गाजियाबाद के कौशांबी क्षेत्र में यातायात प्रबंधन संबंधी समस्या की सुनवाई करते हुए एक समिति का गठन किया है। इसमें दिल्ली और उत्तर प्रदेश के संवैधानिक प्राधिकरणों के प्रतिनिधि शामिल हैं। शीर्ष अदालत ने समिति और राज्य सरकारों से कोर्ट के समक्ष एक "समग्र यातायात प्रबंधन योजना" प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा है कि जब तक सभी संबंधित अधिकारी यातायात संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए किसी एक विकल्प पर संयुक्त रूप से सहमत नहीं होंगे, तब तक इस मसले का निराकरण संभव नहीं है।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कौशांबी में जाम लगने की समस्या के समाधान के लिए मेरठ के मंडलायुक्त, गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष, गाजियाबाद के जिलाधिकारी, दिल्ली सरकार के परिवहन सचिव, पूर्वी दिल्ली नगर निगम के आयुक्त और अन्य संबंधित अधिकारियों की समिति गठित की है। पीठ ने गाजियाबाद के जिलाधिकारी को समिति का नोडल अधिकारी नियुक्त किया है।
शीर्ष अदालत ने 24 मार्च के अपने आदेश में कहा, "अदालत जनहित के इस मसले पर नजर बनाए हुए है। यातायात से जुड़े इस मुद्दे पर अदालत के समक्ष तीन हफ्ते के अंदर एक समग्र यातायात प्रबंधन योजना प्रस्तुत की जानी चाहिए। हम उत्तर प्रदेश और दिल्ली सरकार से संबंधित संवैधानिक प्राधिकरणों के प्रतिनिधियों की एक समिति के गठन का प्रस्ताव करते हैं। ताकि इस अहम मुद्दे के समाधान के लिए दोनों क्षेत्राधिकारों के अधिकारी मिलकर एक समन्वित और ठोस कदम उठा सकें।" पीठ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें यातायात और प्रदूषण संबंधी समस्याओं सहित कई मुद्दे उठाए गए हैं।