महिला सुरक्षा रामभरोसे, पिंक मोबाइल बूथ और सेफ सिटी सिर्फ एक नारा 

Ghaziabad News : महिला सुरक्षा रामभरोसे, पिंक मोबाइल बूथ और सेफ सिटी सिर्फ एक नारा 

महिला सुरक्षा रामभरोसे, पिंक मोबाइल बूथ और सेफ सिटी सिर्फ एक नारा 

Tricity Today | मोबाइल बूथ

Ghaziabad News : महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध को कम करने के लिए पिंक मोबाइल वैन की शुरुआत की गई थी। सेफ सिटी के अंतर्गत की गई यह शुरुआत केवल खोखले वादों तक ही सिमट कर रह गई। एक महिला के साथ 13 सितंबर को मारपीट की घटना घटित हुई। उस दौरान उसके कपड़े भी फाड़े गए। लेकिन, उस महिला की एफआईआर 5 दिन बाद 17 सितंबर को दर्ज की गई। महिला का आरोप है कि उसका मेडिकल नहीं कराया गया, जबकि मारपीट के दौरान उसके कान से खून बह रहा था। उसकी पिटाई डंडे से की गई थी।

क्या है पूरा मामला 
दिल्ली निवासी एक महिला का आरोप है कि वह 13 सितंबर को गाजियाबाद पुलिस लाइन कैंपस में अपने पति के पास से कुछ जरूरी डॉक्यूमेंट लेने आई थी। उसी दौरान मेरे पति और ननद ने मिलकर मेरे साथ गाली गलौंज और मारपीट की। महिला का आरोप है कि उसके पति ने उसे डंडों से पीटा। जबकि उसकी नंद ने उसके साथ गाली-गलौंज की। इस दौरान उसके पति भूपेंद्र ने भूपेंद्र ने उसके कपड़े भी फाड़ दिए। पीड़ित महिला का आरोप है कि इसकी शिकायत उसने कविनगर थाने में दी, लेकिन पुलिस ने मेडिकल नहीं कराया। कई बार फरियाद करने के बाद और उच्च अधिकारियों से शिकायत करने के बाद कविनगर थाने में 17 सितंबर को मुकदमा दर्ज कराया हुआ।

जेएनयू की छात्रा है पीड़ित महिला
पीड़ित महिला के नंदोई पुलिस में हैं और उसके पति भूपेंद्र रेलवे में टीटी के पद पर हैं। महिला ने आरोप लगाया कि 2022 में उसकी शादी हुई थी। इसके बाद दोनों में अनबन हो गई और अब वह अलग-अलग रहते हैं। महिला जेएनयू में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही है, इसलिए उसे कुछ डॉक्यूमेंट की आवश्यकता पड़ी, जो उसके पति के पास थी। जब वह डॉक्यूमेंट लेने आई तो उसके पति ने उसके साथ मारपीट और गाली गलौंज की।

सेफ सिटी का दावा खोखला
तीन सितंबर को महिला पिंक बूथ का उद्घाटन किया गया था। महिलाओं की शिकायतों पर तत्परता से सुनवाई करने और महिलाओं को न्यायिक सहायता के लिए लांच किया गया था। इस पूरी योजना में करोड़ों रुपये खर्च किए गए थे, लेकिन हालात इसके विपरीत दिखाई पड़ते हैं। आज भी एक महिला के साथ मारपीट का मुकदमा दर्ज करने के लिए पुलिस को पांच दिन का समय लगता है। इस पर भी जब आला अधिकारियों का दबाव पड़ता है तो थाने में दरोगा की कलम चलती है।

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