Greater Noida/Ghaziabad : हिंडन नदी को निर्मल और अविरल बनाने के लिए वृहद स्तर पर कार्य योजना बननी शुरू हो गई है। सहारनपुर और मेरठ मंडल की संयुक्त कार्ययोजना के हिसाब हिंडन के पुनरुद्धार पर काम होगा। हिंडन नदी (हरनंदी) को उसके पुराने स्वरूप में लौटाने का प्रयास किया जाएगा। 'नमामि गंगे योजना' के तहत इसकी साफ-सफाई कराने की तैयारी है। इस परियोजना पर 400 से 500 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है।
180 नाले इस नदी को नाले में तब्दील करते हैं
सहारनपुर जिले में शिवालिक पर्वतमाला में स्थित शाकंभरी देवी की पहाड़ियों से निकलने वाली हिंडन नदी गौतमबुद्ध नगर जिले में मोमनाथन में आकर यमुना से मिलती है। हिंडन नदी का स्वरूप बदल चुका है। जगह-जगह अतिक्रमण है। नदी के किनारे पड़ने वाले शहरों के छोटे-बड़े करीब 180 नाले इस नदी को नाले में तब्दील करते हैं। इसके चलते नदी ने अपना स्वरूप खो दिया है। गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद में गिरने वाले नालों में एसटीपी लगाए गए हैं, लेकिन यह प्रभावी नहीं हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिंडन नदी को निर्मल और अविरल बनाने के लिए दिशा-निर्देश दिए हैं। इसके बाद हिंडन को अविरल बनाने के लिए वृहद स्तर पर कार्य योजना शुरू हो गई है।
प्राथमिकता पर होगा काम
मेरठ मंडल के आयुक्त सुरेंद्र सिंह ने इस परियोजना को लेकर मेरठ और सहारनपुर मंडल की कई बैठकें कर चुके हैं। इसकी कार्ययोजना बनाई जा रही है। मेरठ मंडलायुक्त सुरेंद्र सिंह ने बताया कि नदी की साफ-सफाई को लेकर दोनों मंडलों की संयुक्त बैठक हो चुकी है। बैठक में इसकी कार्ययोजना पर चर्चा हुई है। कार्ययोजना का काफी काम पूरा हो चुका है। यह जल्द पूरी हो जाएगा। हिंडन को नमामि गंगे योजना के तहत बेहतर किया जाएगा। इस काम को प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा।
इन कामों पर रहेगी प्राथमिकता
हिंडन नदी में गिरने वाले नालों पर नियंत्रण करना होगा। इस नदी में छोटे-बड़े 180 नाले गिरते हैं। नालों का पानी शोधित होकर नदी में आए तभी इसका पुनरुद्धार होगा। हिंडन नदी के आसपास से अतिक्रमण हटाना पड़ेगा। तभी वह नाले के स्वरूप से वापस नदी के रूप में लौटेगी। हिंडन घाटों को दुरुस्त करना और साफ-सफाई को भी प्राथमिकता पर रखना होगा।
लॉकडाउन में नदी के पानी में सुधार हुआ था
आकंड़ों के मुताबिक, हिंडन का पानी सिंचाई या जलीय जीव के लायक नहीं है। कई गैर सरकारी संगठन और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कार्य कर रहे कार्यकर्ता हिंडन को बचाने के लिए आवाज उठाते रहते हैं। 2020 में कोरोना संक्रमण के चलते लागू हुए लॉकडाउन में कारखाने बंद होने पर हिंडन के पानी में गुणात्मक सुधार हुआ था। इससे साफ है कि कारखानों से निकलने वाला अपशिष्ट हिंडन के पानी को प्रदूषित करने के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं।
जलीय जंतुओं के लायक भी नहीं है पानी
सहारनुपर से लेकर गौतमबुद्ध नगर तक प्रदेश के कई जनपदों से होकर गुजरने वाली हिंडन का पानी इतना प्रदूषित है कि यह जलीय जंतुओं के लायक भी नहीं है। पानी में घुलनशील ऑक्सीजन और जैव रसायन ऑक्सीजन यानि बीओडी का स्तर खतरनाक है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड समय-समय पर हिंडन नदी के पानी की गुणवत्ता की जांच करता है, जिसमें अधिकांश बार पानी की गुणवत्ता बेहद खराब ही आती है।
ग्रीन कॉरिडोर बनना चाहिए
हिंडन जल बिरादरी के विक्रांत का कहना है कि हिंडन नदी को बचाना है तो लंबी अवधि की योजना बनाकर काम करना होगा। नदी के दोनों तरफ 500-500 मीटर की परिधि का ग्रीन कॉरिडोर बनना चाहिए। नालों के पानी को साफ करने के लिए एसटीपी लगाए जाएं। एसटीपी चलें, इसकी भी निगरानी होनी चाहिए।