यूपी में बदल जाता है राज लेकिन गौतमबुद्ध नगर में नहीं बदलता बिल्डर राज, गौर सिटी के बुजुर्ग निवासियों का संघर्ष बना उदाहरण

चिंताजनक : यूपी में बदल जाता है राज लेकिन गौतमबुद्ध नगर में नहीं बदलता बिल्डर राज, गौर सिटी के बुजुर्ग निवासियों का संघर्ष बना उदाहरण

यूपी में बदल जाता है राज लेकिन गौतमबुद्ध नगर में नहीं बदलता बिल्डर राज, गौर सिटी के बुजुर्ग निवासियों का संघर्ष बना उदाहरण

Tricity Today | Gaur City

अक्सर आम आदमी की चर्चाओं के बीच सुनने को मिलता है कि उत्तर प्रदेश में भले ही सरकार बदल जाती हैं, लेकिन नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बिल्डरों का राज कायम रहता है। ग्रेटर नोएडा वेस्ट के गौर सिटी बिल्डर के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर एक याचिका को पढ़ने के बाद यह जुमला हकीकत नजर आने लगा है। इस याचिका में एक और बड़ी बात यह है कि गौर सिटी में रहने वाले 2 बुजुर्गों ने 4 साल संघर्ष किया। प्राधिकरण, सरकार और बिल्डर को सैकड़ों खत लिखे। बिल्डर की मनमानी के बारे में हर जानकारी दी, लेकिन किसी ने कोई सुनवाई नहीं की। अंततः दो बुजुर्गों रमेश चंद शर्मा और रणजीत सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। शुरू से लेकर आखिर तक इन दोनों याचिकाकर्ताओं की ओर से जो जानकारी दी गई हैं, उन्हें पढ़कर जो बातें सामने आई हैं, इससे साफ होता है कि वह गौतमबुद्ध नगर में बिल्डरों का राज कायम है।

बिना थके और रुके मुहिम में लगे रहे
रंजीत सिंह खुद हाईकोर्ट में सब रजिस्ट्रार थे। वह करीब 70 साल के रंजीत सिंह ने बताया, ग्रेटर नोएडा वेस्ट के सेक्टर-4 में विकास प्राधिकरण ने टाउनशिप विकसित करने के लिए गौर बिल्डर को 5,03,216 वर्ग मीटर जमीन आवंटित की थी। इसका नक्शा पास कर दिया गया था। इसके बावजूद 20 मई 2013, 12 मार्च 2014 और 22 मार्च 2016 को तीन बार नए नक्शे पास किए गए। प्रत्येक बार हरित क्षेत्र और जन सुविधाओं के लिए आरक्षित किया गया क्षेत्र वाणिज्यिक गतिविधियों में बदला गया। 22 सितंबर 2015 को टाउनशिप के लिए नई पर्यावरणीय अनापत्ति जारी की गई।

उन्होंने आगे हाईकोर्ट को बताया कि 7 दिसंबर 2017 तक गौर बिल्डर ने टाउनशिप का निर्माण पूरा कर लिया और प्राधिकरण की तरफ से अप्रूव्ड किए गए प्लान के मुताबिक विकास किया गया। दूसरे याचिकाकर्ता रंजीत सिंह ने अदालत को बताया कि उन्होंने विकास प्राधिकरण से बार-बार शिकायत की है। उन्हें बताया कि सॉफ्ट ग्रीन एरिया को बिल्डर कंक्रीट पार्किंग में तब्दील कर रहा है। पास किए गए लेआउट प्लान के मुताबिक गौर सिटी सिक्सथ एवेन्यू में 200 पेड़ लगाए जाने थे, जो नहीं लगाए गए हैं। प्राकृतिक उद्यान को खत्म करके उसकी जगह आर्टिफिशियल एस्ट्रोटर्फ बना दी गई है। वह बताते हैं, 27 दिसंबर 2017 को रंजीत सिंह की शिकायत पर विकास प्राधिकरण के उद्यान विभाग में कार्यरत सीनियर मैनेजर ने बिल्डर को पत्र भेजा और आदेश दिया कि अगले 15 दिनों में इन कमियों को दूर करें। हरित क्षेत्र विकसित किया जाए और कृत्रिम एस्ट्रोटर्फ को हटाया जाए। 

5 जून 2019 को रंजीत सिंह ने एक बार फिर ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी को पत्र लिखा और बताया कि बिल्डर अनाधिकृत रूप से निर्माण कर रहा है। अब तक पौधारोपण भी नहीं किया गया है। 25 जून 2019 को गौर सिटी में दो पुलिस चौकी बनाने की घोषणा कर दी गई। जिनका अभी तक निर्माण नहीं किया गया है। एक पुलिस चौकी का निर्माण ग्रीन बेल्ट में कर दिया गया। उद्यान विभाग के वरिष्ठ प्रबंधक ने बिल्डर को चिट्ठी जारी की और अवैध पुलिस चौकी के कंस्ट्रक्शन को खत्म करने का निर्देश दिया। एक बार फिर बिल्डर ने प्राधिकरण के आदेश को नजरअंदाज किया।

17 जुलाई 2019 को रंजीत सिंह ने ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के नियोजन विभाग में उप महाप्रबंधक को पत्र लिखा। बताया कि वह एक सामान्य नागरिक के साथ ही सोसाइटी की इलेक्शन कमेटी में सदस्य होने के नाते यह पत्र लिख रहे हैं। बिल्डर की ओर से किए गए अनाधिकृत निर्माण को हटाने और ग्रीन बेल्ट में पेड़ लगाने की मांग की। यह भी लिखा कि आने वाले 15 अगस्त को वह लोग स्वतन्त्रता दिवस का आयोजन करना चाहते हैं।

रंजीत सिंह ने आगे बताया, 28 अगस्त 2019 को सीनियर मैनेजर ने एक और लेटर बिल्डर को भेजा। जिसमें 30 दिन के अंदर ग्रीन बेल्ट को हर हाल में रिस्टोर करने और प्राकृतिक घास  और पौधे लगाने का निर्देश दिया। इसके बाद 9 सितंबर 2019 को याचिकाकर्ता रंजीत सिंह ने एक बार फिर प्राधिकरण के उप महाप्रबंधक से निवेदन किया। बताया कि आपके तमाम नोटिस और हमारी शिकायतों के बावजूद बिल्डर सुनवाई नहीं कर रहा है। लिहाजा, गौर सिटी की पूरी टाउनशिप को ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट नहीं दिया जाना चाहिए और होल्ड पर रख लें। 30 सितंबर 2019 को प्राधिकरण ने नियोजन विभाग के मुख्य प्रबंधक, परियोजना विभाग के मुख्य प्रबंधक, हॉर्टिकल्चर और बिल्डर्स विभागों के मुख्य प्रबंधकों को 3 दिन में संयुक्त रूप से सर्वेक्षण करके रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया गया। 

24 फरवरी 2020 को रंजीत सिंह ने एक बार फिर सीनियर मैनेजर (वास्तु) को सूचित किया कि आपकी तरफ से 14 फरवरी 2020 को पत्र भेजकर बिल्डर से सभी कमियां दूर करने का आदेश दिया था। इसी तरह पूर्व में 15 दिन का समय दिया था। जिस पर अब तक कुछ नहीं हुआ है। 17 मार्च 2020 को रंजीत सिंह की शिकायत पर बिल्डर को सिनियल फायर स्टेशन ऑफिसर ने एक पत्र भेजा और निर्देश दिया कि परियोजना में फायर फाइटिंग से जुड़ी व्यवस्थाएं नक्शे के मुताबिक नहीं हैं। यह व्यवस्था तत्काल दुरुस्त  होनी चाहिए। 16 मई 2020 को याचिकाकर्ता ने उत्तर प्रदेश सरकार के औद्योगिक विकास विभाग में प्रमुख सचिव को एक पत्र लिखा है और इस पूरे प्रकरण की जानकारी देकर कार्रवाई करने की मांग की।

2 जुलाई 2020 को एक बार फिर रंजीत सिंह ने औद्योगिक विकास विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखा और बताया कि बिल्डर सोसाइटी में अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन बनाना चाहता है, लेकिन जब तक प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो जाता तब तक एसोसिएशन बनाना संभव नहीं है। ट्राई पार्टी एग्रीमेंट के नियम और शर्तों के तहत अब तक तमाम सुविधाओं का विकास नहीं हो सका है। पिछले 3 वर्षों के दौरान की गई शिकायतों की जानकारी प्रमुख सचिव को दी गई। बताया गया कि विकास प्राधिकरण केवल नोटिस जारी कर रहा है। इसके अलावा कुछ भी नहीं कर रहा है। 

चिर-परिचित परिस्थितियों की तरह इस पत्र का भी कोई असर बिल्डर और विकास प्राधिकरण पर नहीं हुआ। अंततः रमेश चंद शर्मा और रंजीत सिंह ने सोसाइटी के तमाम निवासियों के साथ बैठकर हालात पर चर्चा की। फैसला लिया गया कि प्राधिकरण, सरकार और बिल्डर के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाए। इसके बाद पिछले साल दिसंबर महीने में रमेश चंद शर्मा और रंजीत सिंह ने यह याचिका दायर की। जिस पर हाईकोर्ट ने पहली सुनवाई 7 जनवरी को की और दूसरी सुनवाई 6 जनवरी को की। अब पूरे मामले की जांच नोएडा विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी को सौंपी गई है। सीईओ की ओर से प्रकरण पर सुनवाई और कार्यवाही शुरू होने का इंतजार गौर सिटी के निवासी कर रहे हैं।

कुल मिलाकर बुजुर्ग रेजिडेंट रंजीत सिंह की जिद ही इस मामले को यहां तक लेकर आई है। अब मामला हाईकोर्ट में गया तो प्राधिकरण एक्शन लेने का आश्वासन दे रहा है लेकिन पिछले चार साल में प्राधिकरण ने बिल्डर को नोटिस जारी करने के अलावा कुछ नहीं किया है।

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