गौर सौंदर्यम सोसाइटी में लिफ्ट में फंसे चार निवासी, 15 मिनट तक लगाते रहे मदद की गुहार

ग्रेटर नोएडा वेस्ट में 20वें फ्लोर पर अटकी सांसे : गौर सौंदर्यम सोसाइटी में लिफ्ट में फंसे चार निवासी, 15 मिनट तक लगाते रहे मदद की गुहार

गौर सौंदर्यम सोसाइटी में लिफ्ट में फंसे चार निवासी, 15 मिनट तक लगाते रहे मदद की गुहार

Tricity Today | लिफ्ट में फंसे चार निवासी

Greater Noida West : शहर में लिफ्ट अटकना आम बात हो गयी है। आए दिन कोई न कोई लिफ्ट में फंसते हुए नजर आ जाता है। मामले इतने बढ़ गए है कि लोगों को लिफ्ट में घुसने पर ही डर लगने लगा है। ऐस में अब ताजा मामला ग्रेटर नोएडा वेस्ट से सामने आया है। दरअसल, गौर सौंदर्यम सोसाइटी (Gaur Saundaryam Society) में एक बार फिर लिफ्ट फंसने की घटना सामने आई है। इस घटना में चार लोग करीब 15 मिनट तक लिफ्ट में फंसे रहे, जिन्हें कड़ी मशक्कत के बाद बाहर निकाला गया। यह घटना सोसाइटी के 20वें फ्लोर पर हुई। क्या है पूरा मामला 
घटना के दौरान लिफ्ट 20वें और 21वें फ्लोर के बीच अचानक रुक गई, जिसमें एक महिला, एक बच्चा और दो पुरुष सवार थे। लिफ्ट के अचानक रुकने से सभी लोग घबरा गए और उन्होंने लिफ्ट में लगे अलार्म बजाकर और फोन के जरिए मेंटेनेंस प्रबंधन को सूचना दी। सूचना मिलने पर मेंटेनेंस टीम और कुछ सोसाइटी के लोग तुरंत 20वें फ्लोर पर पहुंचे और 20 मिनट की कड़ी कोशिश के बाद लिफ्ट को खोलकर सभी लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया।

पहले भी चुकी कई घटनाएं 
निवासियों का कहना है कि सोसाइटी में लिफ्ट फंसने की घटनाएं बार-बार हो रही हैं, जिससे हर बार लिफ्ट का उपयोग करते समय डर बना रहता है। लोगों का आरोप है कि मेंटेनेंस प्रबंधन लिफ्ट के रखरखाव पर उचित ध्यान नहीं दे रहा है, जबकि हर फ्लैट से नियमित रूप से मेंटेनेंस शुल्क लिया जाता है। इसके बावजूद, लिफ्टों की स्थिति दयनीय बनी हुई है, जिससे इस तरह की घटनाएं होती रहती हैं।

सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल
सोसाइटी में रहने वाले निवासियों ने मेंटेनेंस प्रबंधन से मांग की है कि लिफ्टों की नियमित जांच और रखरखाव किया जाए, ताकि इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके और निवासियों का विश्वास बहाल हो सके। यदि जल्द ही सुधार नहीं किया गया, तो निवासियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो सकते हैं।

यूपी लिफ्ट एक्ट बना लेकिन अमल में नहीं
उत्तर प्रदेश लिफ्ट अधिनियम (UP Lift Act) राज्य में लिफ्टों के सुरक्षित संचालन और रखरखाव को सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है। यह अधिनियम लिफ्टों के निर्माण, स्थापना, संचालन, रखरखाव, और निरीक्षण से संबंधित नियमों और विनियमों को निर्धारित करता है, जिससे लिफ्ट उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा और सुविधा को सुनिश्चित किया जा सके। उत्तर प्रदेश में लिफ़्ट एक्ट लागू हुए क़रीब छह महीने होने वाले हैं लेकिन अभी तक इसे ज़िम्मेदार महकमे ने सही ढंग से लागू नहीं किया है।

1. लाइसेंस और पंजीकरण: अधिनियम के तहत, किसी भी नई लिफ्ट की स्थापना से पहले संबंधित प्राधिकरण से लाइसेंस प्राप्त करना अनिवार्य है। लिफ्ट का पंजीकरण भी राज्य सरकार के साथ करना आवश्यक है।

2. सुरक्षा मानक: लिफ्टों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अधिनियम में विभिन्न मानक और दिशानिर्देश निर्धारित किए गए हैं, जिनमें लिफ्ट के उपकरण, संरचना, और इलेक्ट्रिकल सिस्टम की सुरक्षा शामिल है।

3. निरीक्षण और परीक्षण: लिफ्टों का नियमित निरीक्षण और परीक्षण करना आवश्यक है। इसके लिए अधिनियम में समय-समय पर तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा निरीक्षण की व्यवस्था की गई है, ताकि लिफ्ट की कार्यक्षमता और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

4. रखरखाव: लिफ्टों के रखरखाव के लिए भवन मालिकों या सोसाइटी के प्रबंधन को उत्तरदायी ठहराया गया है। इसके तहत लिफ्टों की नियमित मरम्मत और सर्विसिंग सुनिश्चित करना आवश्यक है।

5. अधिकारियों की नियुक्ति: राज्य सरकार द्वारा लिफ्ट अधिनियम के अनुपालन की निगरानी के लिए निरीक्षकों और अन्य अधिकारियों की नियुक्ति की जाती है, जो सुनिश्चित करते हैं कि सभी लिफ्टें अधिनियम के तहत निर्धारित मानकों का पालन कर रही हैं।

6. दंड और दायित्व: अधिनियम का उल्लंघन करने पर संबंधित पक्षों को दंडित किया जा सकता है। इसमें लिफ्ट के संचालन में लापरवाही, रखरखाव में चूक, या लाइसेंस के बिना लिफ्ट चलाना शामिल है।

उत्तर प्रदेश लिफ्ट अधिनियम राज्य में लिफ्टों के सुरक्षित और सुव्यवस्थित संचालन के लिए एक महत्वपूर्ण कानूनी ढांचा प्रदान करता है। यह अधिनियम न केवल उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देता है, बल्कि लिफ्टों की गुणवत्ता और कार्यक्षमता को बनाए रखने के लिए आवश्यक उपाय भी सुनिश्चित करता है।

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