हरियाणा के सपूत राहुल ने जर्मनी में मातृभाषा को दिलाया सम्मान, ग्रेटर नोएडा वेस्ट में मन रहीं खुशियां, जानिए क्यों

गर्व : हरियाणा के सपूत राहुल ने जर्मनी में मातृभाषा को दिलाया सम्मान, ग्रेटर नोएडा वेस्ट में मन रहीं खुशियां, जानिए क्यों

हरियाणा के सपूत राहुल ने जर्मनी में मातृभाषा को दिलाया सम्मान, ग्रेटर नोएडा वेस्ट में मन रहीं खुशियां, जानिए क्यों

Tricity Today | Rahul Kumar

मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले प्रतिभावान युवा राहुल कुमार ने जर्मनी में शानदार काम किया है। उनके प्रयास से जर्मन सरकार ने हिंदी और पंजाबी भाषाओं को वहां के सरकारी सिस्टम का हिस्सा बनाया है। राहुल कुमार के परिवार के सदस्य ग्रेटर नोएडा वेस्ट की सुपरटेक इको विलेज-3 सोसाइटी में रहते हैं। उनको राहुल के इस प्रयास और भारत की मातृ भाषा ‌हिंदी को जर्मनी में सम्मान मिलने पर गर्व है। फिलहाल जर्मन पाठ्क्रमों में हिंदी के समायोजन की शुरूआत मशहूर और ऐतिहासिक फ्रैंकफर्ट शहर से की गयी है। 

मूलरूप से हरियाणा के जमना नगर के रहने वाले राहुल कुमार के चचेरे भाई अंकुर कम्बोज ग्रेटर नोएडा वेस्ट की इको विलेज-3 सोसाइटी में रहते हैं। उन्होंने बताया कि राहुल ने ग्रेटर नोएडा में रहकर विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी की थी। करीब दस साल पहले वो जर्मनी चले गए थे। वर्ष 2016 में वहां सिटी काउंसलर एंड मजिस्ट्रेट मेंबर ऑफ सिटी बने। करीब छह माह पहले उन्होंने नौकरी छोड़कर वहां की राष्ट्रीय यूथ पॉल‌िटिकल पार्टी ज्वाइन करी। करीब एक माह पहले पार्टी ने उनको उपाध्यक्ष बना दिया। मार्च में होने वाल चुनाव में राहुल कुमार विदेशी काउं‌सलिंग और शहर के सांसदीय चुनावों के प्रतिनिधि के तौर पर उम्मीदवार है।

उनके चचेरे भाई संजीव ने बताया कि राहुल को पहले से ही हिंदी भाषा से काफी प्यार है। जर्मनी जाने के बाद उन्होंने भारतीय लोगों की परेशानी को समझा। पार्टी में आने के बाद राहुल ने यह मुद्दा वहां की सरकार के समक्ष उठाया। जिस पर जर्मनी सरकार ने हिंदी और पंजाबी को अपने सरकारी सिस्टम का हिस्सा बना लिया है। जो भारतवासियों के लिए गर्व की बात है। उन्होंने बताया कि अभी फ्रैंकफर्ट शहर के सरकारी सिस्टम में हिंदी और पंजाबी भाषा को लागू किया गया है। आने वाले छह माह में पूरे जर्मनी में यह सिस्टम लागू होगा।

अब एक मोबाइल एप्लीकेशन लॉन्च की जाएगी : चचेरे भाई संजीव ने बताया कि जर्मनी में डच भाषा का सबसे अधिक प्रयोग होता है। दूसरे नंबर पर अंग्रेजी है। स्थानीय सरकार के इस फैसला के बाद जल्द ही एक मोबाइल एप्लीकेशन लांच होगी। जिस पर डच भाषा को हिंदी या पंजाबी में बदला जा सकता है। साथ ही हिंदी या पंजाबी भाषा को डच या अंग्रेजी में बदला जा सकेगा। ऐप की मदद से सरकारी कार्यालय में हिंदी का प्रयोग करना आसान हो जाएगा। साथ ही इंटरनेट पर भी वहां हिंदी में खोज की जा सकेगी। राहुल के इस प्रयास से परिवार के सदस्य काफी खुश है।

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