Greater Noida West : रविवार की दोपहर आम्रपाली ग्रुप हाउसिंग की अलग-अलग परियोजनाओं के सैकड़ों घर खरीदार ग्रेटर नोएडा वेस्ट इकट्ठा हुए। यह बैठक फ्लैट खरीदारों की संस्था नेफोवा ने बुलाई थी। सुप्रीम कोर्ट के रिसीवर ने 6 परियोजनाओं में एफएआर बेचने का प्रोपोजल पेश किया था। जिसमें हाऊसिंग सोसायटीज में ओपन स्पेश को बेचने की तैयारी है। कई ऐसे प्रावधान दिए गए हैं, जिसमें घर खरीददारों के हितों की अनदेखी की गई है। इस बैठक में विरोधस्वरूप खरीदारों ने अपनी आपत्तियां दर्ज करवाई हैं। इस बैठक में कई मसलों पर सहमति बनी है।
इन 6 मुद्दों पर घर खरीदार हुए सहमत
इन जमीनों पर पहला अधिकार घर खरीदारों का है, क्योंकि उन्होंने अधिमान्य स्थान शुल्क (पीएलसी) का भुगतान किया है। इन सभी सुविधाओं को परियोजनाओं में जनसंख्या के घनत्व के आधार पर मास्टर प्लान में शामिल किया गया है। इस प्रकार बिना किसी बदलाव के मास्टर प्लान से बेसिक सुविधाओं को नहीं हटाया जाना चाहिए। ऐसा करने का कोई भी प्रयास स्पष्ट रूप से अपार्टमेंट एक्ट के नियमों का उल्लंघन होगा।
इसके अलावा स्कूल, अस्पताल, नर्सिंग होम, पुलिस स्टेशन, टैक्सी स्टैंड, मिल्क बूथ, कम्युनिटी सेंटर और मार्केट बुनियादी सुविधाएं हैं, जो भविष्य की आबादी और उनकी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए ग्रुप हाउसिंग में प्लान की जाती हैं। इसमें किसी भी तरह की छेड़छाड़ घर खरीदार नहीं होने देंगे।
बच्चों का प्ले एरिया, ग्रीन एरिया या पार्क, सब स्टेशन, फायर टेंडर का रास्ता, क्लब, एसटीपी-ईटीपी आदि कॉमन एरिया के तहत आते हैं, जिसकी एवज में घर खरीदारों ने पहले ही आनुपातिक आधार पर भुगतान किया है। इसलिए उनकी सहमति प्राप्त किए बिना परिवर्तन करना खरीदारों के विश्वास को धोखा देने या भंग करने के समान होगा। क्योंकि उन्होंने केवल अपनी बकाया राशि का भुगतान माननीय सर्वोच्य न्यायालय में अपना विश्वास जताते हुए कोर्ट रिसीवर की मांग के अनुरूप किया है। सभी लोगों को यह आश्वस्त किया गया था कि परियोजना उनके अप्रूव्ड मैप के अनुसार ही पूरी की जाएगी।
सुरक्षा के दृष्टिकोण से अगर देखा जाए तो फायर टेंडर पथ, एसटीपी या ईटीपी जैसी आवश्यक सुविधाओं में कोई बदलाव किसी आपात स्थिति में निवासियों के जीवन को खतरे में डालेगा। ऐसी स्थिति पैदा करेगा, जिसे अग्निशमन विभाग या प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जैसे प्राधिकरण अनापत्ति प्रमाण पत्र देने में दिक्कत कर सकते हैं। उनकी मंजूरी के बिना परियोजनाओं को अथॉरिटी से ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट नहीं मिलेगा।
सभी घर खरीदारों ने अपने जीवन यापन के लिए एक घर बुक करके अपनी मेहनत की कमाई का भुगतान किया था। इसलिए किसी भी बदलाव से अथवा सुविधाओं में छेड़छाड़ उनके जीवन को प्रभावित करेगी। यहां तक कि इन प्रीमियम परियोजनाओं की हालत कंक्रीट की हाईराइज झुग्गी बस्तियों जैसी हो जाएगी। जिसके लिए हम सब घर खरीददार बिल्कुल तैयार नहीं हैं।
सुनवाई के दौरान कोर्ट रिसीवर ने नोएडा एक्सटेंशन के एक नामी बिल्डर गौर संस का नाम लेते हुए यह भी कहा था कि उस बिल्डर के अनुसार आम्रपाली की परियोजनाओं के नजदीक बहुत सारे कमर्शियल मॉल बने हुए हैं। जिसके कारण सोसाइटी के अंदर इस तरह की सुविधाओं की आवश्यकता नहीं है। अतः एफएआर को बेचने के लिए इन सुविधाओं में बदलाव किया जा सकता है। घर खरीदारों का स्पष्ट रूप से यह मानना है कि आखिर गौर संस को आम्रपाली की परियोजनाओं में क्या दिलचस्पी है? जिससे वह इसको प्रभावित करने में लगे हुए हैं। अगर गौर संस को दिलचस्पी है तो आम्रपाली के किसी प्रोजेक्ट को सुप्रीम कोर्ट से पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लेकर कंप्लीट करें। जिससे एनबीसीसी को दी रही 'प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसलटेंट' राशि बचेगी। काम कम दाम पर पूरा किया जा सकता है।
आंदोलन से लेकर अदालत तक लड़ेंगे
घर खरीदारों ने साफ तौर पर कहा, "हम लोगों की स्थिति एक तरफ कुआं और दूसरी तरफ खाई जैसी हो गई है। पहले बिल्डर हमारे हकों को लूट रहा था। सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिला। अब कोर्ट रिसीवर के फैसले भी बिल्डर जैसे हो रहे हैं। वह भी बिल्डर की तरह व्यवहार करने लगे हैं।" खरीदारों ने आगे कहा, "जरूरत पड़ी तो आंदोलन करेंगे और अदालत भी जाएंगे।"