शाहबेरी के खरीदारों ने प्रशासन से तंग आकर मुख्य न्यायाधीश को भेजा पत्र, पूरी जानकारी

Greater Noida West : शाहबेरी के खरीदारों ने प्रशासन से तंग आकर मुख्य न्यायाधीश को भेजा पत्र, पूरी जानकारी

शाहबेरी के खरीदारों ने प्रशासन से तंग आकर मुख्य न्यायाधीश को भेजा पत्र, पूरी जानकारी

Tricity Today | Greater Noida West

शाहबेरी के पीड़ित खरीदारों ने प्रशासन के रवैये से तंग आकर देश के मुख्य न्यायाधीश, उच्च न्यायालय इलाहाबाद के मुख्य न्यायाधीश, देश के गृह सचिव, गवर्नर उत्तर प्रदेश, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सहित कई अधिकारियों को पत्र भेजकर घर के बदले घर की मांग की है। 

पत्र में कहा गया है कि शाहबेरी 1994 से ग्रेनो औद्योगिक विकास प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र में स्थित है और जून 2013 में प्रदेश सरकार ने भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की। जिसको रद्द कराने के लिए जमीन के मालिकों ने उच्च न्यायालय में याचिकाएं दाखिल की। जिसमें मुख्य पक्षकार मुख्य सचिव, डीएम, विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी और ग्रेनो प्राधिकरण हैं। जमीन मालिकों द्वारा दाखिल की गई याचिकाओं पर उच्च न्यायालय ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। लेकिन उसके बाद भी यहां अवैध निर्माण जारी है।

शाहबेरी में फ्लैट खरीदार सचिन राघव ने बताया कि उच्च न्यायालय के यथास्थिति के आदेश के बावजूद भी शाहबेरी में बिल्डरों, बैंकों ने प्रशासन के सहयोग से 500 से अधिक अवैध इमारतें बनवाकर सात हजार परिवारों को मौत के मुंह में धकेल दिया और इसी अवैध निर्माण पर बैंकों ने भी नियमों का उल्लंघन करके लगभग 1400 करोड़ का होम लोन घोटाला करके जनता को फंसा दिया है।

इन्हीं इमारतों में से 2 अवैध इमारतें 2018 में बारिश में ढह गई थीं। जिसमें 9 लोगों की असमय मृत्यु हो गई थी और बाकी खरीदार आज भी डर के साए में रहने को मजबूर हैं। क्योंकि किसी को नहीं पता कि कब अवैध बिल्डिंग गिर जाए या रात को सोने के बाद सुबह उठेंगे या नहीं। 2019 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आने के बाद शाहबेरी की अवैध इमारतों की जांच आईआईटी दिल्ली को दी गई थी। 

जिसमें 426 इमारतों में से सिर्फ 3 इमारतें सुरक्षित पाई गई थी और बाकी इमारतें खतरनाक श्रेणी में पाई गईं थीं। इसके बाद प्राधिकरण ने अपने हाथ झाड़ने के लिए शाहबेरी में 5-6 सूचना बोर्ड लगाकर बोल दिया कि सारी इमारतें खतरनाक श्रेणी में हैं और यहाँ न रहें लेकिन यह नहीं सोचा कि यहां खरीदार किसकी कमी की वजह से फंसे।


2014 को उच्च न्यायालय के यथास्थिति के आदेश के बाद भी प्राधिकरण  6 सालों में न तो शाहबेरी में अवैध निर्माण रोक सका है और न ही अवैध निर्माण की रजिस्ट्रियां रोक सका। प्राधिकरण ने अभी तक शाहबेरी में लगभग 80 एफआईआर दर्ज कराई हैं। जिसमें शाहबेरी के अवैध बिल्डरों को बचाने के उद्देश्य से अलग अलग बिल्डरों पर अलग अलग धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई हैं। जिला प्रशासन भी अवैध निर्माण पर होम लोन न देने के लिए एडवाइजरी जारी कर चुका है। 

उन्होंने बताया कि शाहबेरी के कुछ खरीदारों ने बैंकों को दस्तावेज दिए सेक्टर 4, ग्रेटर नोएडा वेस्ट के और उनका होम लोन सैंक्शन हुआ शाहबेरी के अवैध निर्माण पर। बैंकों द्वारा खरीदारों से 8-10 हजार रुपये लीगल फीस भी ली गई। जिसमें वह प्रॉपर्टी की वैधता व गुणवत्ता जांच कराते हैं और उसी रिपोर्ट के आधार पर होम लोन डिस्बर्स करते हैं। लेकिन शाहबेरी कांड में बैंकों ने झूठी या बिना आर्किटेक्ट रिपोर्ट, बिना फील्ड अफसर की रिपोर्ट, बिना नक्शा पास किए व बिना ग्रेनो प्राधिकरण की अनुमति के हुए अवैध निर्माण पर होम लोन देकर शून्य रजिस्ट्रियों को मॉर्गेज किया है। उन्होंने अवैध निर्माण के समय तैनात रहे  अधिकारियों की जांच कराने और शाहबेरी के अवैध घरों के बदले सुरक्षित घर देने की मांग की है।

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